बाजरे को तनाछेक जैसे रोगों से बचाएं

इन दिनों बाजरा खेतों मंे लहलहा रहा है। यह खरीफ सीजन की फसल है। इस समय बाजरे की फसल कई रोगों और कीटों से ग्रसित हो जाती है जिसमें तुलासिता रोग, प्ररोह मक्खी, सफेद लट, ब्लास्ट रोग, कातरा कीट और तना छेदक जैसे प्रकोप का भय रहता है। बाजरा की फसल की खेती कर रहे किसानों को कृषि विभाग की तरफ से चेतावनी जारी की गई है। जिसमें किसानों को सतर्क रहने को कहा गया है।
कृषि विभाग का कहना है कि बाजरा की फसल को बचाने के लिए विभाग द्वारा बनाए गए तरीकों से खेती करनी जरूरी है। जब भी फसल पर छिड़काव करें तब कुछ बातों का ध्यान रखें जिसमें मुंह पर मास्क, चश्मा, हाथों में दस्ताने के साथ ही पूरे कपड़े पहनना जरूरी है। जब मौसम साफ हो तभी छिड़काव करें। इसके साथ ही कृषि विभाग ने यह भी बताया कि जिन खेतों में तुलासिता रोग का प्रकोप दिखाई पड़े ऐसे स्थान पर मैन्कोजेब 2 किलोग्राम प्रति हैक्टेयर की दर से बुआई होने के 21 दिन बाद छिड़काव करें।
यदि ब्लास्ट रोग के प्रकोप की शुरुआत दिखाई दे रही है तो ऐसे में आपको ट्राइफलोक्सीस्ट्रोबिन 25 प्रतिशत के साथ टेबुकोनाजोल 50 प्रतिशत या प्रोपीकोनाजोल 25 ईसी का छिड़काव करें। इसे 15 दिन बाद दोबारा दोहराने के बाद कीटों का प्रकोप कम हो सकता है।
यदि आपकी खड़ी फसल में दीमक या सफेद लट दिखाई दे तो उसके नियंत्रण के लिए इमिडाक्लोप्रिड 17.8 एसएल का 60 ग्राम सक्रिय का उपयोग किया जाना चाहिए जो बुवाई के 21 दिन के बाद प्रति हेक्टेयर की दर से इस्तेमाल किया जाना चाहिए। (हिफी)