कश्मीर में असंतोष रोकेंगे नड्डा

(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)
चुनाव चाहे केंद्र सरकार बनाने के लिए हो रहे हों अथवा राज्य में सरकार बनाने के लिए सत्तारूढ़ और विपक्षी दलों में नेता आत्मा की आवाज कुछ ज्यादा सुनने लगते हैं। यही आवाज उनके असंतोष का आधार बन जाती है। जम्मू कश्मीर में तो लगभग एक दशक के बाद और नये परिसीमन में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं। वहां नेताओं में असंतोष की संभावना ज्यादा है। टिकट वितरण को लेकर प्रदेश भाजपा में भी असंतोष बढ़ गया है, लेकिन हाई कमान ने बड़ी पहल कर चार वरिष्ठ नेताओं को नई जिम्मेदारियां सौंपी हैं। इन चारों को पार्टी ने इस बार टिकट नहीं दी है। चारों अपने विधानसभा क्षेत्रों में खासा प्रभाव रखते हैं। राश्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा की यह रणनीति कितनी सफल होगी यह तय चुनाव नतीजे ही बताएंगे। हालात कांग्रेस समेत विपक्षी दलों के भी अच्छे नहीं हैं।
कश्मीर में विधानसभा चुनाव तैयारियों के बीच भाजपा को बड़ा झटका लगा है। दरअसल पार्टी ने जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव को लेकर उम्मीदवारों की एक लिस्ट जारी की थी जिसे कुछ ही समय बाद वापस कर लिया गया। हालांकि उस लिस्ट में कुछ सीटों पर नए कार्यकर्ताओं को टिकट दिया गया था जिसको लेकर पुराने कार्यकर्ता नाराज हो गए ।भाजपा के नेता जो पिछले लंबे समय से पार्टी को अपने क्षेत्र में मजबूत करने का कार्य कर रहे थे, वह काफी निराश है और लगातार अपने समर्थकों से बातचीत करके आजाद उम्मीदवार के तौर पर चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी करने लगे है। जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव 2024 के दूसरे चरण के लिए नामांकन वापस लेने की समय सीमा समाप्त हो गई है। विधानसभा चुनाव के दूसरे पेज के लिए नामांकन जमा कराने वाले 27 उम्मीदवारों ने अपना नाम वापस ले लिया। अब 26 सीटों पर 239 उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला होगा। बता दें कि दूसरे चरण के लिए 25 सितंबर मतदान होगा।जम्मू कश्मीर विधानसभा के गठन के लिए 90 सीटों पर चुनाव तीन चरणों मे हो रहा है। पहले चरण में 24 सीटों के लिए 18 सितंबर और दूसरे चरण में शामिल 26 सीटों पर 25 सितंबर और तीसरे व अंतिम चरण में 40 सीटों पर पहली अक्टूबर 2024 को मतदान होगा।
दरअसल, उम्मीदवारों की सूचियां आने के बाद भाजपा में अंतर्कलह बढ़ गई है। नाराज दावेदारों को मनाने के लिए केंद्रीय मंत्री से लेकर पार्टी के वरिष्ठ नेता भी जुटे हैं ताकि पार्टी की जीत के गणित को ये लोग बिगाड़ न सकें। बड़ी भूमिका जेपी नड्डा निभा रहे हैं। नौशहरा से चुनाव लड़ रहे रविंद्र रैना के व्यस्त रहने के कारण सत शर्मा को प्रदेश भाजपा का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया है जबकि डॉ. निर्मल सिंह को चुनाव प्रचार समिति का
अध्यक्ष व सुखनंदन चौधरी को
उपाध्यक्ष की जिम्मेदारी दी गई है। पूर्व उपमुख्यमंत्री कविंद्र गुप्ता को चुनाव प्रबंधन समिति का अध्यक्ष बनाया है। ये चारों नेता टिकट के प्रबल दावेदार थे लेकिन वरिष्ठता के चलते उन्होंने चुप्पी साधे रखी। गत 9 सितंबर को राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने प्रदेश भाजपा में चार वरिष्ठ नेताओं को अहम जिम्मेदारियां देने का फैसला किया। भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव मुख्यालय प्रभारी अरुण सिंह ने पार्टी का आदेश जारी किया।
पार्टी हाईकमान ने विधानसभा चुनाव की तैयारियों के बीच चारों नेताओं को तत्काल प्रभाव से अपनी जिम्मेदारियां संभालने के निर्देश दिए हैं। पार्टी पूरी कोशिश कर रही है कि चारों नेता अपने-अपने विधानसभा क्षेत्रों में उम्मीदवारों की जिताने में पूरा सहयोग दें।
दरअसल भाजपा की पहली से छठी सूची में कई दावेदारों के नाम गायब होने के बाद संबंधित नेता पार्टी के खिलाफ बगावत कर निर्दलीय रूप से अपनों के खिलाफ चुनाव मैदान में कूद पड़े हैं। उधमपुर पूर्व से टिकट कटने पर प्रदेश उपाध्यक्ष पवन खजुरिया ने निर्दलीय चुनाव लड़ने का एलान कर दिया है।जम्मू के मढ़ विधानसभा क्षेत्र से भाजपा उम्मीदवार के खिलाफ भी पार्टी के कुछ सरपंचों ने मोर्चा खोल दिया है। दूसरी ओर स्टार प्रचारकों के दौरे शुरू होने से भाजपा अंतर्कलह को समाप्त करने के मिशन में जुटी है।भाजपा की छठी सूची आने के बाद आक्रोश और बढ़ गया है। ऊधमपुर पूर्व से दावेदार माने जा रहे पवन का टिकट कटने पर उन्होंने पार्टी के खिलाफ बगावत कर दी है। उनके समर्थकों की मांग है कि अगर भाजपा ने उन्हें उम्मीदवार नहीं बनाया तो पवन निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे। पार्टी ने इस सीट से आरएस पठानिया को टिकट दिया है। वहीं मढ़ क्षेत्र में भी कार्यकर्ताओं में रोष से भाजपा की दिक्कतें बढ़ गई हैं। मढ़ के पूर्व विधायक सुखनंदन चौधरी क्षेत्र में खासा प्रभाव रखते हैं। यहां सरपंचों ने सुखनंदन से सुरेंद्र भगत को उम्मीदवार बनाने पर रोष जताया था।
पूर्व सरंपचों ने बैठक कर तय किया है कि वे टिकट बंटवारे में नजरअंदाज जिला विकास परिषद के सदस्य बलवीर लाल को अपना उम्मीदवार मानते हैं। परिषद के चुनाव में उम्मीदवार न बनाने के विरोध में बलवीर ने निर्दलीय चुनाव लड़ जीता था। उन्हें उस समय सुखनंदन ने पूरा समर्थन दिया था। बलवीर चुनाव जीतने के बाद फिर भाजपा में स्वीकार कर लिये गए थे। भाजपा के बांदीपोरा से उम्मीदवार और पार्टी के बांदीपोरा जिला अध्यक्ष नसीर लोन मजबूत स्थिति में हैं। उन्होंने जम्मू-कश्मीर की मुख्यधारा की राजनीतिक पार्टियों पर कश्मीरी लोगों को अपने फायदे के लिए इस्तेमाल करने का आरोप लगाया। बांदीपोरा में पार्टी कार्यालय में लोन ने कहा कि सत्ता में आने के बाद से भाजपा ने कश्मीर घाटी पर कब्जा कर लिया है और अब कोई नागरिक हत्या या पत्थरबाजी नहीं हुई है। उन्होंने यह भी कहा कि जो भी कश्मीर घाटी से जीतेगा उसे भाजपा के साथ गठबंधन करना होगा, इसलिए हम लोगों से अनुरोध करते हैं कि वे उन्हें चुनने के बजाय सीधे हमें चुनें। उन्होंने कहा,बांदीपोरा में हम मजबूत हैं और हमारे कार्यकर्ता एनसी, पीडीपी और अन्य उम्मीदवारों को कड़ी टक्कर देंगे। अगर मैं बांदीपोरा निर्वाचन क्षेत्र से हार गया तो पार्टी से इस्तीफा दे दूंगा।
उधर जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस से तीसरी लिस्ट जारी हो चुकी है। पार्टी के कुल 19 उम्मीदवारों के नाम का एलान किया है।सोपोर सीट से हाजी अब्दुल रशीर डार को उम्मीदवार बनाया गया है। सांबा विधानसभा सीट से कृष्ण देव सिंह को टिकट मिला है।
जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस मिलकर सभी 90 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ रहे हैं। एनसीपी के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने कहा था हम और कांग्रेस एक साथ हैं। सीपीआई-एम भी हमारे साथ जुड़े हैं। हमें भरोसा है कि इस चुनाव में हमारी जीत होगी। कांग्रेस का कहना है कि जम्मू-कश्मीर के लोग कई सालों से कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं। जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस गठबंधन के तहत कुल 32 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। पांच सीटों पर मैत्रीपर्ू्ण मुकाबला होगा। यानी इन सीटों पर कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस दोनों के प्रत्याशी आमने-सामने होंगे। गठबंधन पर गतिरोध समाप्त करने की खातिर कांग्रेस ने चार सीटों पर दावेदारी छोड़ दी थी। (हिफी)