सम-सामयिक

नेता और जज के बिगड़े बोल

(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)
नेता और जजों के बिगडे़ बोल चर्चा का विषय बने हुए हैं। तेलंगाना के कांग्रेस विधायक ने भाजपा के एक नेता का सिर काटकर लाने पर ईनाम देने की बात कही है। उधर एक जज ने कर्नाटक में एक स्थान को मिनी पाकिस्तान बताया तो एक जज ने महिला वकील से प्रतिपक्ष के सदस्य के अंतर्वस्त्रों के रंग का उल्लेख किया। दरअसल राहुल गांधी को आतंकवादी बताने वाले केंद्रीय मंत्री रवनीत सिंह बिट्टू ने पिछले दिनों कांग्रेस को सिखों के खून का प्यासा करार दिया और कहा कि 1984 से आज तक पार्टी में कोई बदलाव नहीं आया है। इस पर तेलंगाना में सत्तारूढ़ कांग्रेस के एक विधायक ने कथित तौर पर यह कहकर विवाद खड़ा कर दिया कि वह रवनीत सिंह बिट्टू का ‘सिर लाने’ वाले को अपनी संपत्ति दे देंगे। इसी प्रकार एक वीडियो क्लिप में न्यायमूर्ति श्रीशानंद को महिला वकील से यह कहते हुए सुना जा सकता है कि वह ‘विपक्षी पक्ष’ के बारे में बहुत कुछ जानती हैं, इतना कि वह संबंधित व्यक्ति के अंतर्वस्त्रों का रंग भी बता सकती हैं।
तेलंगाना में सत्तारूढ़ कांग्रेस के एक विधायक ने कथित तौर पर यह कहकर विवाद खड़ा कर दिया कि वह रवनीत सिंह बिट्टू का ‘सिर लाने’ वाले को अपनी संपत्ति दे देंगे। इसके बाद केंद्रीय मंत्री ने विपक्षी दल को निशाने पर लिया और कहा कि यह पार्टी 1984 के सिख विरोधी दंगे के समय से अब तक नहीं बदली है। बिट्टू ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, “1984 से 2024, कांग्रेस नहीं बदली है। तब उसने सिखों का खून मांगा था, आज भी वह वही मांग रही है। खरगे जी मोहब्बत की दुकान?” तेलंगाना में सत्तारूढ़ कांग्रेस के विधायक अपने इस कथित बयान को लेकर विवादों में घिर गये हैं कि जो भी ‘रवनीत सिंह बिट्टू का ‘सिर लेकर आयेगा, उसे वह अपनी संपत्ति दे देंगे’। खानापुर (अनुसूचित जनजाति) वेदमा बोज्जू ने कहा कि जो भी बिट्टू का सिर कलम करेगा, उसे वह अपनी जमीन देने को तैयार हैं। बोज्जू ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर मंत्री के बयान के खिलाफ प्रदर्शन किया था। उन्होंने टीवी चैनलों से कहा था, “रवनीत सिंह बिट्टू को अपनी टिप्पणी वापस लेनी चाहिए। अगर वह इसे वापस नहीं लेते हैं, तो मैं भी खानपुर विधायक के तौर पर घोषणा कर रहा हूं. मैं अपने पिता द्वारा कमाई गई एक एकड़ और 38 गुंटा जमीन उस व्यक्ति को सौंप दूंगा जो उनका सिर काटकर लाएगा। यही हमारी संपत्ति है। मैं अपनी और अपने पिता की संपत्ति (देने) की घोषणा कर रहा हूं।”
भारत में सिखों की स्थिति के बारे में बयान को लेकर लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी को आड़े हाथों लेते हुए रेलवे राज्य मंत्री बिट्टू ने कहा था कि यदि ‘बम बनाने वाले’ लोग उनका समर्थन कर रहे हैं तो वह ‘नंबर वन’ आतंकवादी हैं।
उधर न्यायपालिका में भी बिगडे बोल सुनाई पड़ने लगते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने इसपर नाराजगी जतायी है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश की आलोचना करने वाले पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के जज को कड़ी फटकार लगाई। कोर्ट ने इस बात पर जोर देते हुए कह कि उसके आदेशों का अनुपालन पसंद का विषय नहीं, बल्कि संवैधानिक दायित्व का मामला है। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर सवाल उठाने वाले पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट के जज पर 8 अगस्त को सीजेआई की 5 जजों की बेंच सुनवाई कर रही थी तभी चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने आलोचना को ‘अनावश्यक’ बताया और कहा कि इससे दोनों अदालतों की गरिमा कम हुई है। चीफ जस्टिस ने कहा कि कोई पक्ष किसी निर्णय से असंतुष्ट हो सकता है… लेकिन जस्टिस कभी भी उच्च संवैधानिक मंच द्वारा पारित आदेश पर असंतोष व्यक्त नहीं कर सकते। सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के जस्टिस राजबीर सेहरावत द्वारा की गई निंदनीय टिप्पणियों को हटा दिया।
बीती 17 जुलाई को पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट के जस्टिस राजबीर सहरावत ने अपने अप्रत्याशित आदेश में सुप्रीम कोर्ट की आलोचना की थी। जस्टिस सहरावत ने अपने आदेश में कहा था कि हाई कोर्ट सुप्रीम कोर्ट का कोई अधीनस्थ कोर्ट नहीं है। हाई कोर्ट में चल रही अवमानना की कार्रवाई में दखल देते समय सुप्रीम कोर्ट को एहतियात बरतना चाहिए। पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट की पीठ ने 17 जुलाई को पारित हुए सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर यह टिप्पणी की थी। उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट को संवैधानिक रूप से कम ‘उच्च’ माना जाता है!
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस के खिलाफ स्वयं अवमानना की कार्यवाही शुरू करने से इनकार कर दिया, खासकर तब जब एक खंडपीठ ने पहले ही कार्रवाई करते हुए न्यायमूर्ति सेहरावत के आदेश पर रोक लगा दी थी। यह मामला तब सामने आया जब जज की टिप्पणी का वीडियो वायरल हो गया। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि वीडियो जज के खिलाफ गंभीर अवमानना का मामला बनाता है।
इसी तरह सुप्रीम कोर्ट ने अभी 20 सितंबर को कर्नाटक हाईकोर्ट की खिंचाई की और हाल ही में एक सुनवाई के दौरान जस्टिस वेदव्यास श्रीशानंद द्वारा दिए गए विवादास्पद बयानों के बारे में रिपोर्ट मांगी। शीर्ष अदालत ने जज द्वारा की गई विवादास्पद टिप्पणियों वाले वीडियो क्लिप का स्वतः संज्ञान लिया। मकान मालिक-किराएदार विवाद पर चर्चा करते हुए जस्टिस श्रीशानंद ने बेंगलुरु के मुस्लिम बहुल इलाके को ‘पाकिस्तान’ कहा था। एक अन्य मामले में उन्होंने एक महिला वकील के बारे में भी महिला विरोधी टिप्पणी की थी। भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति बीआर गवई, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति ऋषिकेश रॉय की पांच सदस्यीय पीठ ने मामले की सुनवाई की। सर्वोच्च न्यायालय ने उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल को निर्देश दिया कि वे कर्नाटक उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से प्रशासनिक निर्देश प्राप्त करने के बाद सर्वोच्च न्यायालय को रिपोर्ट प्रस्तुत करें। लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने कहा, अदालती कार्यवाही के दौरान कर्नाटक उच्च न्यायालय के न्यायाधीश द्वारा की गई टिप्पणियों पर मीडिया रिपोर्टों ने
ध्यान आकर्षित किया है। हम कर्नाटक उच्च न्यायालय से अनुरोध करते हैं कि वह उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से निर्देश प्राप्त करने के बाद एक रिपोर्ट प्रस्तुत करें।
सीजेआई चंद्रचूड़ ने सावधानी बरतने की सलाह दी क्योंकि सभी अदालती सुनवाई लाइव-स्ट्रीम की गई थी और आलोचना के अधीन थी। रिपोर्ट के अनुसार, सीजेआई ने कहा, सोशल मीडिया के इस युग में, हम पर कड़ी नजर रखी जाती है और हमें उसी के अनुसार काम करना होगा। न्यायाधीश का वीडियो क्लिप, जिसमें वे आपत्तिजनक टिप्पणी करते नजर आ रहे हैं, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर भी सामने आया है, जिसमें इंदिरा जयसिंह जैसी कई प्रमुख अधिवक्ताओं ने स्वतः संज्ञान लेने की मांग की है। उन्होंने टिप्पणी की कि कर्नाटक उच्च न्यायालय के न्यायाधीश को लिंग संवेदीकरण प्रशिक्षण के लिए भेजा जाना चाहिए। वीडियो क्लिप में न्यायमूर्ति श्रीशानंद को महिला वकील से यह कहते हुए सुना जा सकता है कि वह विपक्षी पक्ष के बारे में बहुत कुछ जानती हैं, इतना कि वह संबंधित व्यक्ति के अंतर्वस्त्रों का रंग भी बता सकती हैं। (हिफी)

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