लेखक की कलम

सैलजा की राजनीतिक समझदारी

(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)
हरियाणा में कांग्रेस की वरिष्ठ नेता कुमारी सैलजा को उनकी अपनी पार्टी के नेताओं से शिकायत है। कांग्रेस हाईकमान राजस्थान की तरह एक बार फिर स्थानीय नेताओं के सामने बौना साबित हुआ। इसका उसे सियासी खामियाजा भी भुगतना पड़ सकता है। विपक्षी दल और हरियाणा में सत्तारूढ़ भाजपा के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने तो सैलजा को भाजपा में शामिल होने और मुख्यमंत्री बनने तक का ऑफर दे दिया था लेकिन सैलजा एक अनुभवी राजनेता हैं। प्रलोभन की राजनीति को अच्छी तरह समझती हैं। उन्होंने भाजपा नेताओं को टका सा जवाब देते हुए कहा कि कांग्रेस मेरे खून में शामिल है। मैं किसी दूसरी पार्टी में जाने वाली नहीं। इसके साथ ही सैलजा ने अपनी पार्टी के नेताओं को अपनी नाराजगी का एहसास भी करा दिया है। सैलजा को राज्य की प्रमुख दलित नेताओं में गिना जाता है। हरियाणा में दलित और जाट सरकार बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं । हरियाणा की सभी 90 विधानसभा सीटों के लिए 5 अक्टूबर को मतदान होगा और मतों की गिनती आठ अक्टूबर को होगी। हरियाणा विधानसभा चुनाव में कुमारी सैलजा की नाराजगी से कांग्रेस आलाकमान कितना परेशान था, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि राहुल गांधी तब तक चुनाव प्रचार में नहीं उतरे जब तक कुमारी सैलजा मान नहीं गईं। अब खबर आ रही है कि राहुल गांधी की पहली चुनावी रैली कुमारी सैलजा के करीबी कैंडिडेट के क्षेत्र में होगी।
हरियाणा विधानसभा चुनाव में कुमारी सैलजा की नाराजगी की वजह से कांग्रेस बुरी तरह फंसी नजर आ रही थी। कई दिनों से कुमारी सैलजा की खामोशी टेंशन बढ़ा रही थी लेकिन अब खुद उन्होंने साफ कर दिया है कि कांग्रेस से उनकी कोई नाराजगी नहीं है और वे जल्द चुनाव प्रचार में उतरेंगी लेकिन सवाल ये उठाए जा रहे थे कि आखिर राहुल गांधी हरियाणा में चुनाव प्रचार से दूर क्यों हैं? कहीं इसके पीछे कुमारी सैलजा की खामोशी तो वजह नहीं? अब हकीकत सामने आ गई है। कुमारी सैलजा 12 सितंबर से हरियाणा में प्रचार से दूर थीं। उन्होंने बिल्कुल खामोशी बरती हुई थी। इसे लेकर कई तरह की अटकलें लगाई गईं। यहां तक कहा गया कि वे बीजेपी के संपर्क में हैं लेकिन अब कुमारी सैलजा ने खुद साफ किया है कि वो 26 सितंबर को नरवाना से प्रचार अभियान की शुरुआत करेंगी। जैसे ही यह खबर सामने आई, इसके कुछ ही देर बाद पता चला कि राहुल गांधी ने भी हरियाणा चुनाव में प्रचार के लिए उतरने का दिन तय कर दिया है। जिस दिन कुमारी सैलजा चुनाव प्रचार के लिए उतरेंगी, उसी दिन यानी 26 सितंबर को राहुल गांधी भी चुनाव प्रचार करने हरियाणा के मैदान में होंगे।
हरियाणा विधानसभा चुनाव प्रचार के बीच कांग्रेस की वरिष्ठ नेता और सांसद कुमारी सैलजा की नाराजगी से पार्टी असहज हो गयी थी। टिकट बंटवारे में भूपेंद्र सिंह हुड्डा के दबदबे से नाराज सैलजा चुनावी कैंपेन से दूर थीं। इस बीच हुड्डा के विरोधी कैंप में माने जाने वाले कांग्रेस के राज्यसभा सांसद रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि कुमारी सैलजा प्रचार करेंगी। साथ ही सुरजेवाला ने कहा कि राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे के नेतृत्व में कांग्रेस लड़ेगी, जीतेगी व हरियाणा के सपनों को साकार करेगी।
कुमारी सैलजा की नाराजगी को बीजेपी ने बड़ा मुद्दा बनाया था। पार्टी का कहना है कि कांग्रेस दलितों का सम्मान नहीं करती है। हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा, ‘‘हमारी दलित बहन घर पर बैठी हैं। आज बहुत से लोग सोच रहे हैं कि उन्हें क्या करना चाहिए। बहुत से लोग उनसे नाराज थे और हमने उन्हें अपनी पार्टी में शामिल होने का निमंत्रण दिया। हम पेशकश के साथ तैयार हैं और अगर वह आती हैं तो हम उन्हें पार्टी में शामिल करने के लिए तैयार हैं।
बहरहाल हरियाणा कांग्रेस में मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर और समर्थकों को पर्याप्त टिकट न मिलने के विवाद के चलते प्रचार अभियान से दूर चल रहीं कांग्रेस महासचिव और सांसद कुमारी सैलजा को मना लिया गया है। इससे पहले सैलजा के लिए कहा जा रहा था कि वह कांग्रेस के एक कार्यक्रम में अपने लिए जातिसूचक शब्द के इस्तेमाल से नाराज हैं और इस वजह से ही हरियाणा विधानसभा चुनाव के कैंपेन में शामिल नहीं हो रही हैं। भाजपा और बसपा ने भी इसको चुनाव में मुद्दा बनाया था। कुमारी सैलजा की कांग्रेस से नाराजगी के बीच हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर ने सैलजा को बीजेपी में शामिल होने का निमंत्रण दे दिया था। वहीं, पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मोहन लाल बडौली ने कहा, हम चाहते हैं कि वह मुख्यमंत्री बनें। यदि वह मुख्यमंत्री बनती हैं, तो हरियाणा की पहली महिला मुख्यमंत्री होंगी और यह एक अहम और सकारात्मक कदम होगा। इस प्रकार भाजपा ने प्रलोभन की राजनीति करने का भी प्रयास किया लेकिन सफलता नहीं मिली। कयास तो यहां तक लगाए जा रहे थे कि कुमारी सैलजा 25 सितंबर को बीजेपी ज्वाइन कर सकती हैं, लेकिन इससे पहले कांग्रेस कुमारी सैलजा को मनाने में कामयाब रही। बीते दिन उनसे सवाल किया गया कि बीजेपी आप पर डोरे क्यों डाल रही है। इसके जवाब में उन्होंने कहा, बीजेपी कोई डोरे नहीं डाल रही है, क्योंकि मैं चुप थी इसलिए वो कुछ-कुछ बातें करने लग गए। ऐसी कोई बात नहीं है। पता उनको भी है। ये उनको भी मालूम है और सभी को मालूम है कि सैलजा कांग्रेसी है। उसके खून में कांग्रेस शामिल है। कांग्रेस छोड़कर सैलजा कहीं नहीं जा सकती।
कांग्रेस की वरिष्ठ नेता कुमारी सैलजा दलित वर्ग से आती हैं। हरियाणा में 20.2 फीसदी दलित वोटर हैं। जिस पार्टी के पक्ष में ये वोट चला जाए वह सीधे सत्ता को हासिल कर सकता है। सैलजा कांग्रेस की बड़ी नेता हैं और वोटरों पर उनकी मजबूत पकड़ है। वह स्थानीय मुद्दों की गंभीर समझ भी रखती हैं। बहरहाल हरियाणा में दलित पॉलिटिक्स की पिछले दिनों धुरी बन चुकी कुमारी सैलजा अब पूरी तरह कांग्रेस के साथ खड़ी दिख रही हैं। कुछ दिनों से बीजेपी और कांग्रेस दोनों उन्हें अपने साथ रखने की कवायद में जुटे थे। सैलजा ने राजनीतिक समझदारी दिखाते हुए बीजेपी के ऑफर को न कह दिया है। वह गांधी परिवार की करीबी हैं। कुमारी सैलजा का अपना कैडर वोट है। कांग्रेस के
सोशल इंजीनियरिंग के तहत कुमारी सैलजा को हुड्डा कैडर पर अंकुश लगाने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। (हिफी)

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