विश्व-लोक

जयशंकर ने फिर उठाई सुरक्षा परिषद में सुधारों के लिए आवाज

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने एक बार फिर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधारों की जोरदार वकालत की है। भारतीय विदेश मंत्री ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र अतीत का कैदी बना हुआ है। ग्लोबल दक्षिण के देशों को अब और नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थायी श्रेणी में इन देशों का उचित प्रतिनिधित्व विशेष रूप से आवश्यक है।
जी-20 की दूसरी विदेश मंत्रियों की बैठक में एस जयशंकर ने यह बयान दिया। जिसका विषय था-‘एक न्यायपूर्ण विश्व और एक टिकाऊ ग्रह का निर्माण’। जयशंकर ने कहा, दुनिया एक स्मार्ट, आपस में जुड़ी और बहुध्रुवीय क्षेत्र में विकसित हो गई है। संयुक्त राष्ट्र की स्थापना के बाद से इसके सदस्यों की संख्या चार गुना बढ़ गई है। फिर भी संयुक्त राष्ट्र अतीत का कैदी बना हुआ है।
उन्होंने कहा कि, इसका परिणाम ये हुआ है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद अंतर्राष्ट्रीय शांति और स्थिरता बनाए रखने में संघर्ष करती दिख रही है। जिससे उसकी प्रभावशीलता और विश्वसनीयता कम होती जा रही है। बुधवार को संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जयशंकर ने कहा कि, बिना सुधार और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की सदस्यता की दोनों श्रेणियों में विस्तार के इस 15 देशों के संगठन की प्रभावशीलता में कमी जारी रहेगी।
विदेश मंत्री ने कहा, स्थायी श्रेणी में विस्तार और उचित प्रतिनिधित्व एक अहम जरूरत है। एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका, ग्लोबल दक्षिण को लगातार नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें उनकी वैध आवाज दी जानी चाहिए। जयशंकर ने इस बात पर जोर दिया कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में वास्तविक परिवर्तन होना चाहिए और इस प्रक्रिया में तेजी की जरूरत है। भारत ने इस बात पर जोर दिया है कि वह सही मायनों में इस बैठक में स्थायी सीट पाने का हकदार है। भारत पिछली बार 2021-22 में संयुक्त राष्ट्र की हाई काउंसिल में अस्थायी सदस्य के तौर पर बैठा था। आज के दौर में सुरक्षा परिषद मौजूदा शांति और सुरक्षा चुनौतियों से निपटने में विफल रहा है, क्योंकि परिषद के सदस्य यूक्रेन युद्ध और इजरायल-हमास संघर्ष जैसे मुद्दों पर बंटे नजर आ रहे हैं।

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