हिमाचल में सुक्खू भी योगी की राह पर

(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)
पिछले दिनों खान पान के मामले में कुछ वीभत्स समाचार सुनने और देखने को मिले थे। सोशल मीडिया पर मैं भरोसा नहीं करता क्योंकि उस पर वैमनस्यता फैलाने का कुप्रयास ज्यादा किया जाता है। उसी से मिलती एक वारदात सामने आयी। आरोपी पकड़ा भी गया। जूस में वह बहुत गंदी चीज मिला रहा था। यह मिलावट पैसा कमाने के लिए नहीं बल्कि गंदी सोच के चलते की जा रही थी। ऐसे मामलों को सियासत का जामा पहना दिया गया ताकि मूल समस्या से लोगों का ध्यान हट जाए। हिंदू धर्म की प्रबल पच्छधर भारतीय जनता पार्टी भाजपा ने इसका जोरदार विरोध भी किया। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कांवर यात्रा के दौरान खानपान की दूकानों पर उनके मालिकों का नाम लिखना अनिवार्य किया । यह मामला अदालत तक गया था। अदालत में व्यवसाय प्रभावित होने का तर्क दिया गया । दुकानदारों को छूट भी मिल गयी लेकिन समस्या जस की तस बनी हुई है । योगी सरकार के फैसले का विरोध करने वाली कांग्रेस पार्टी की हिमाचल प्रदेश सरकार भी अब उसी रास्ते पर चल पड़ी है। मुख्यमंत्री सुखविन्दर सिंह सुक्खू भी मानते हैं कि एक विशेष सम्प्रदाय के लोग खानपान में अशुद्धता का कुप्रयास कर सकते हैं। खानपान में मिलावट गंभीर अपराध है । यह अपराध तिरुपति मंदिर के लड्डू प्रसादम् में हो रहा हो अथवा जूस बेचने वाला कर रहा हो तो उसे सजा मिले और ऐसी मिसाल भी कायम की जाए ताकि भविष्य में वैसा दुस्साहस कोई अन्य न कर सके। कांग्रेस शासित हिमाचल प्रदेश सरकार ने सही दिशा में कदम उठाया है। इसपर राजनीति नहीं होनी चाहिए ।
उत्तर प्रदेश की तरह अब हिमाचल प्रदेश में भी हर भोजनालय और फास्ट फूड की रेहड़ी पर दुकान मालिक की आईडी लगाई जाएगी, ताकि लोगों को किसी भी तरह की कोई परेशानी न हो। हिमाचल प्रदेश सरकार में मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने 25 सितंबर को सोशल मीडिया पर इस फैसले की जानकारी दी। इसके बाद सवाल उठ रहे हैं कि हिमाचल की कांग्रेस सरकार योगी आदित्यनाथ के एजेंडे पर क्यों आगे बढ़ रही है। देश में कांग्रेस की फिलहाल तीन राज्यों में सरकार है, जहां पर वो अपने दम पर सत्ता पर काबिज है। इन्हीं में एक राज्य है हिमाचल प्रदेश। यहां की सुक्खू सरकार इन दिनों ‘यूपी की योगी सरकार’ के नक्शेकदम पर चलती नजर रही है। बीजेपी के हिंदुत्व वाले एजेंडे को लेकर कांग्रेस पार्टी और राहुल गांधी हमेशा सवाल खड़े करते रहे हैं। बीजेपी शासित राज्यों और केंद्र सरकार के फैसलों को लेकर कांग्रेस कहती रही है कि बीजेपी हिंदुत्व के एजेंडे को आगे बढ़ा रही और आरएसएस की सोच को पूरे देश पर थोपना चाहती है। इसके बावजूद हिमाचल की कांग्रेस सरकार योगी के हिंदुत्व वाले मॉडल को अपना रही है। इसके पीछे सटीक कारण है।
हिमाचल की कांग्रेस सरकार के मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट शेयर करते हुए लिखा कि हिमाचल में भी अब उत्तर प्रदेश की तरह हर भोजनालय और फास्ट फूड की रेहड़ी पर दुकान मालिक की आईडी लगाई जाएगी, ताकि लोगों को किसी भी तरह की कोई परेशानी न हो। इसके लिए शहरी विकास विभाग और नगर निगम की बैठक में निर्देश जारी कर दिए गए हैं। इससे पहले हिमाचल सरकार के मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने विधानसभा में शिमला की संजौली मस्जिद को अवैध बताते हुए गिराने की मांग उठाई थी। मंत्री अनिरुद्ध सिंह को पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के सियासी वारिस और हिमाचल सरकार में मंत्री विक्रमादित्य सिंह का करीबी माना जाता है । इस तरह कांग्रेस के दोनों ही नेता इन दिनों हिंदुत्व के एजेंडे पर खुलकर उतर गए हैं। शिमला की अवैध मस्जिद का मामला अब दुकानदारों के नेमप्लेट तक पहुंच गया है। कांग्रेस से अब न निगलते बन रहा है और न उगलते। अनिरद्ध सिंह ने सिर्फ मस्जिद का मामला ही नहीं उठाया बल्कि घुसपैठियों तक का जिक्र किया। उन्होंने कहा था कि संजौली बाजार में महिलाओं का चलना मुश्किल हो गया है। चोरियां हो रही हैं और लव जिहाद जैसी घटनाएं बढ़ रही हैं, जो प्रदेश और देश के लिए खतरनाक हैं।
हिमाचल सरकार के मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने वक्फ बोर्ड के मुद्दे पर भी पार्टी लाइन से अलग बयान दिया था। उन्होंने वक्फ बोर्ड में सुधार की जरूरत बताते हुए सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में लिखा हिमाचल और हिमाचलियत के हित सर्वश्रेष्ठ, सर्वत्र हिमाचल का संपूर्ण विकास। जय श्री राम! समय के साथ हर कानून में तब्दीली लाना जरूरी है। वक्फ बोर्ड में भी बदलते समय के साथ सुधार की जरूरत है। इसके बाद योगी सरकार के एजेंडे को हिमाचल में आगे बढ़ा रहे हैं।
विक्रमादित्य ने हिमाचल प्रदेश की खाने पीने की दुकान पर दुकानदारों के नाम लगाने का आदेश जारी किया है, जिसे पिछले दिनों यूपी में योगी सरकार ने लागू किया है। इसे लेकर कांग्रेस समाज में भेदभाव पैदा करने का आरोप लगाकर योगी सरकार और बीजेपी पर हमलावर दिखी थी।
कुछ लोगों का मानना है कि धर्म की राजनीति से अभी तक अछूते रहे हिमाचल प्रदेश में हिंदुत्व की सियासत नई करवट लेती नजर आ रही है। हिमाचल की जनसंख्या में 97 फीसदी आबादी हिंदुओं की है और मुस्लिम समुदाय 2.1 फीसदी है। यहां मुसलमान प्रमुख रूप से शिमला, कुल्लू और मनाली जैसे पर्यटक वाले इलाके में बसे हुए हैं। वहीं, कुछ मुस्लिम आबादी कांगड़ा और मंडी जिलों में भी है। हिमाचल पहाड़ी राज्य है, जहां हिंदू धर्म का गहरा प्रभाव है। इसे देवभूमि यानी देवताओं की भूमि भी कहा जाता है। हिमाचल के कई क्षेत्रों का महाभारत और रामायण जैसे प्राचीन ग्रंथों में जिक्र मिलता है। देवभूमि होने के नाते यहां देवी-देवताओं का हर वर्ग पूरा सम्मान करता रहा है, लेकिन देवी-देवताओं को लेकर भी कभी चुनावी माहौल नहीं बनाया गया और न ही कभी सियासत हुई । अब बहुसंख्यक वोटों की चिंता है । हिमाचल में मुस्लिम समुदाय की आबादी इतनी कम है कि वह सियासी तौर कोई खास असर नहीं डालते हैं। इस बात को कांग्रेस भी समझ रही है। हिमाचल में जिस तरह मुस्लिमों दुकानदारों की संख्या बढ़ी है, उसके चलते बीजेपी और हिंदू संगठनों ने उसे मुद्दा बनाया है। ऐसे में कांग्रेस बहुसंख्यक वर्ग को नाराज करने का जोखिम भरा कदम नहीं उठाना चाहती। देवी-देवताओं में पूरी आस्था होने के साथ प्रदेश में सबसे पहले धर्मांतरण के खिलाफ कानून बनाने का श्रेय विक्रमादित्य सिंह कांग्रेस को देते रहे हैं। इसी 2024 के लोकसभा चुनाव के दौरान भी विक्रमादित्य ने कहा था कि हिमाचल शक्तिपीठ है यह देवभूमि है। यह देवी और देवरा की भूमि है। वीरभद्र सरकार ही 2007 में धर्मांतरण विरोधी विधेयक लेकर आई थी। उस समय आरएसएस और विश्व हिंदू परिषद वीएचपी ने कांग्रेस को धन्यवाद दिया था। विक्रमादित्य इस तरह यह बताने की कोशिश करते रहे हैं कि उनके पिता वीरभद्र सिंह भी हिंदुत्व की सियासत करते रहे हैं।
राज्य में बदले हुए सियासी समीकरण और आर्थिक स्थिति को देखते हुए कांग्रेस की सरकार कशमकश की स्थिति में है। बीजेपी सत्ता से बेदखल होने के बाद से हिमाचल में हिंदुत्व की राजनीति को धार दे रही है, जिसके चलते ही कांग्रेस की सरकार भी उसी पिच पर उतर गई है।
कांग्रेस नेताओं को पार्टी से ज्यादा अपनी राजनीतिक चिंता है और उसे ही बचाने के लिए हिंदुत्व के एजेंडे पर चल रहे हैं। हिमाचल प्रदेश में कभी कोई मुस्लिम विधायक नहीं रहा और न ही किसी को लोकसभा में प्रतिनिधित्व का मौका मिल पाया है। हिमाचल में भी पिछले दिनों कुछ ऐसी घटनाएं देखी गई थीं, जिनमें कुछ हिदुत्ववादी संगठनों के कार्यकर्ताओं ने मुस्लिमों को निशाना बनाया था। कांगड़ा जिले के नगरोटा में अन्य प्रदेशों से आकर दुकान चला रहे युवकों की पिटाई हुई थी। इसके बाद शिमला की मस्जिद का मुद्दा उठने के बाद कई और भी मामले सामने आए हैं। हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद से ही राज्य की आर्थिक स्थिति खस्ताहाल होती चली गई है यह बात किसी से छुपी नहीं है जिस तरह के दावों और वादों को चुनाव के समय जनता के बीच रखकर कांग्रेस यहां
सत्ता में आई उसे पूरा करने में
राज्य सरकार के खजाने खाली हो रहे हैं और अब वहां सरकार के पसीने छूट रहे हैं। (हिफी)