योगी का आत्मनिर्भर भारत का संकल्प

(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)
जिस तरह केंद्र में सरकार बनाने का रास्ता उत्तर प्रदेश से होकर गुजरता है उसी प्रकार भारत को आत्मनिर्भर बनाने का मार्ग भी उत्तर प्रदेश से ही जाता है। यह देश का सबसे बड़ा प्रदेश है। यहां विकास के जो मापदंड तय होते हैं उनका प्रभाव पूरे देश पर पड़ता है। उत्तर प्रदेश से ही प्रधानमंत्री बने लालबहादुर शास्त्री ने भारत को उस समय आत्मनिर्भर और आत्म सम्मान की शिक्षा दी थी जब देश में भीसण खाद्यान्न संकट था। उत्तर प्रदेश से ही उस समय सप्ताह में एक दिन उपवास और ज्यादा से ज्यादा हरी सब्जियां उगाने और खाने का जोश जगाया गया था। हरित क्रांति उत्तर प्रदेश से ही शुरू हुई थी। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत अभियान को आगे बढ़ाने का प्रयास कर रहे हैं। लाल बहादुर शास्त्री जी का जन्म भी 2 अक्टूबर को हुआ था। इसी को ध्यान में रखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने रेडियो कार्यक्रम मन की बात में उत्तर प्रदेश की विशेष रूप से सराहना की है। उन्होंने वृक्षारोपण स्वच्छ भारत मिशन और आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को मजबूत करने के लिए राज्य के प्रयासों की प्रशंसा की। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी प्रधानमंत्री का आभार व्यक्त किया। मुख्यमंत्री ने इसे धरती माता के प्रति जिम्मेदारी और प्रेम का प्रतीक बताया। मुख्यमंत्री ने कहा कि ‘मन की बात’ कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नई उत्तर प्रदेश के ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान के तहत 26 करोड़ से अधिक पौधरोपण का जिक्र किया है। मुख्यमंत्री ने इसे धरती माता के प्रति जिम्मेदारी और प्रेम का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री की प्रेरणा और प्रदेश सरकार के प्रयासों से यह अभियान एक जन आंदोलन बना, जिसमें ग्रामीण पंचायतों से लेकर शहरी क्षेत्रों तक सभी ने भाग लिया। स्कूल, कॉलेज और स्थानीय संगठनों की भागीदारी से इस पहल को एक नई ऊंचाई मिली है। इस प्रकार एक जनपद एक उत्पाद ओडीओपी योजना भी जहां एक तरफ प्रदेश के राजस्व को बढ़ा रही है वहीं लोगों को आत्मनिर्भर भी बना रहता है। गत दिनों यूपी इंटरनेशनल ट्रेड शो’ में कई युवाओं ने इसका खुलासा भी किया।
सीएम योगी ने पोस्ट में यह भी उल्लेख किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ‘मन की बात’ कार्यक्रम 3 अक्टूबर को अपने सफलतम 10 वर्ष पूर्ण करने जा रहा है। उन्होंने कहा कि यह कार्यक्रम देश को एक सूत्र में बांधने और आम जनता को राष्ट्रीय और सामाजिक कार्यों से जोड़ने का महत्वपूर्ण माध्यम बना है। ‘मन की बात’ ने स्वच्छता, डिजिटल इंडिया, महिला सशक्तिकरण, पर्यावरण संरक्षण और युवा उत्थान जैसे क्षेत्रों में सकारात्मक परिवर्तन लाया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आगामी 2 अक्टूबर को ‘स्वच्छ भारत मिशन’ के 10 वर्षों की पूर्णता का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री और समस्त स्वच्छता प्रहरियों को बधाई दी। उन्होंने इस मिशन को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को समर्पित बताते हुए कहा कि इसने जन-जन के अंदर स्वच्छता के प्रति जागरूकता लाने का काम किया है। मुख्यमंत्री ने प्रदेशवासियों से आग्रह किया कि वे इस अभियान के साथ जुड़े रहें और प्रधानमंत्री की स्वच्छता मंशा के अनुरूप सशक्त और समर्थ भारत के निर्माण के लिए संकल्प लें। मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री के ‘मन की बात’ कार्यक्रम में ‘आत्मनिर्भर भारत’ की संकल्पना को आगे बढ़ाते हुए पोस्ट किया कि देशवासियों को पर्व और त्योहारों में स्वदेशी सामानों की खरीदारी करनी चाहिए। उन्होंने प्रधानमंत्री की अपील का समर्थन करते हुए कहा कि ‘वोकल फॉर लोकल’ के मंत्र को अपनाना चाहिए और खरीदारी के समय इस बात का
ध्यान रखना चाहिए कि सामान ‘मेड इन इंडिया’ हो। मुख्यमंत्री ने इसे ‘राष्ट्र प्रथम’ भावना के प्रति समर्पित एक प्रेरक पहल बताया और प्रदेशवासियों से इस अभियान में योगदान देने का आह्वान किया।
योगी आदित्यनाथ की सरकार ने प्रदेश के उद्यमियों को नई दिशा देने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। इसका नतीजा है कि राज्य के ओडीओपी (एक जिला एक उत्पाद) उद्यमी अब कारोबारी सफलता की नई गाथाएं लिख रहे हैं। पिछले दिनों ‘यूपी इंटरनेशनल ट्रेड शो’ में भाग लेकर इन उद्यमियों ने अपनी कला और उत्पादों को प्रदर्शित किया, जिससे उनके कारोबार में नई जान आई है। एक उद्यमी कुमार प्रजापति, जो काली मिट्टी से बर्तन (ब्लैक पॉटरी) बनाने का पारंपरिक काम करते हैं, ने कहा, सरकारी सहायता न मिलने के कारण मुझे मुंबई जाकर भेलपुरी बेचना पड़ा लेकिन योगी सरकार ने ओडीओपी योजना के तहत मेरे काम को समर्थन दिया, जिससे मैं फिर से अपने पुश्तैनी कारोबार में लौट आया। उन्होंने बताया कि उन्हें स्विट्जरलैंड भेजने के साथ-साथ ट्रेड शो ने उनके व्यवसाय को नई ऊंचाई दी है। बांदा जिले के शजर पत्थरों से बने आभूषणों के कारोबारी द्वारिका प्रसाद शर्मा ने कहा, पूर्व की सरकारों ने इस उद्योग की अनदेखी की। 2017 में योगी सरकार के आने के बाद, इस उद्योग में जान फूंकी गई। हमें लोन और सब्सिडी के साथ-साथ प्रदर्शनियों में स्टॉल भी मुहैया कराया गया।
उन्होंने यह भी बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा विदेशी मेहमानों को दिए उपहारों में उनके उत्पादों को भी शामिल किया था। दिव्यांग डेवलपमेंट सोसाइटी के मूक बधिर बच्चों के उत्पादों की भी शोहरत बढ़ी है। मनप्रीत कौर ने बताया, यह हमारे बच्चों का पहला ट्रेड शो है और उनके बनाए कैंडल और अन्य उत्पाद दर्शकों का ध्यान खींचने में सफल हो रहे हैं। योगी सरकार ने इन बच्चों को नई उड़ान दी है। संस्था ने 2018 में रानी लक्ष्मीबाई पुरस्कार भी जीता है और सरकार ने इन बच्चों को सिंगापुर में प्रशिक्षण के लिए भेजा था। ओडीओपी पवेलियन में ग्लॉस हैंडीक्राफ्ट के स्टॉल को भी दर्शकों ने खूब सराहा। उत्तर प्रदेश सरकार की महत्त्वाकांक्षी “एक जनपद, एक उत्पाद” कार्यक्रम का उद्देश्य है कि उत्तर प्रदेश की उन विशिष्ट शिल्प कलाओं एवं उत्पादों को प्रोत्साहित किया जाए जो देश में कहीं और उपलब्ध नहीं हैं, जैसे प्राचीन एवं पौष्टिक काला नमक चावल, दुर्लभ एवं अकल्पनीय। गेहूँ डंठल शिल्प, विश्व प्रसिद्ध चिकनकारी, कपड़ों पर जरी-जरदोजी का काम, मृत पशु से प्राप्त सींगों व हड्डियों से अति जटिल शिल्प कार्य जो हाथी दांत का प्रकृति, अनुकूल विकल्प है इत्यादि। इनमें से बहुत से उत्पाद जी.आई. टैग अर्थात भौगोलिक पहचान पट्टिका धारक हैं । ये वे उत्पाद हैं जिनसे स्थान विशिष्ट की पहचान होती है। हींग, देशी घी, काँच के आकर्षक उत्पाद, चादरें, गुड़, चमड़े से बनी वस्तुएं, उत्तर प्रदेश के जनपद इन वस्तुओं के उत्पादन में विशेषज्ञता रखते हैं। ये भी संभव है कि आप उत्तर प्रदेश में निर्मित किसी उत्पाद का पहले से प्रयोग कर रहे हों और आपको इसकी जानकारी भी न हो। यहाँ लघु एवं
मध्यम दर्जे की तमाम ऐसी औद्योगिक इकाइयाँ हैं जिन्हें उन्नत मशीनरी, आधुनिकीकरण एवं उत्पादक क्षमता वृद्धि की आवश्यकता है। प्रदेश में जन विविधता, जलवायु विविधता, आस्थाओं और संस्कृतियों की विविधता की तरह ही उत्पादों एवं शिल्प कलाओं में भी एक मोहक विविधता है। प्रदेश के 75 जनपदों से होकर गुजरने वाली इस उद्योग यात्रा में शामिल होइए और अनुभव कीजिये उस उत्पाद का जो उस क्षेत्र को विशेष बनाता है। निश्चित ही इनमें से कुछ तो पहले से ही आपके घरों में प्रयोग किए जा रहे होंगे और अन्य भी शीघ्र ही आपके घर पर होंगे। यही देश के आत्मनिर्भर होने की मणि हैं जिनसे आत्मनिर्भर भारत की माला तैयार होती है। (हिफी)