गांधी मानते थे कि अहिंसा मानवता के लिए सबसे बड़ी ताकत है: गुटेरेस

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने महात्मा गांधी के अहिंसा-शांति और समानता के संदेश को रेखांकित किया और हिंसा का सामना कर रही दुनिया और यूक्रेन से लेकर पश्चिम तक जारी संघर्षों पर गहरी चिंता व्यक्त की। दो अक्टूबर को गांधी जंयती के उपलक्ष्य में अपने संदेश में गुतारेस ने कहा, अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस पर, हम महात्मा गांधी की जंयती मनाते हैं और उन मूल्यों को दोहराते हैं जिनके लिए उन्होंने अपना जीवन समर्पित किया। एंटोनियो गुटेरेस ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा, आज दुनिया हिंसा का सामना कर रही है और दुनिया भर में संघर्ष बढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा, यूक्रेन से लेकर सूडान, पश्चिम एशिया तथा और भी जगहों पर युद्ध के कारण विनाश हो रहा है। असमानता और जलवायु के प्रति असंवेदनहीनता शांति की नींव को कमजोर कर रही है। ऑनलाइन माध्यम से फैलाई गई नफरत का असर सड़कों पर हिंसा के रूप में दिख रहा है। संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने इस बात पर जोर दिया कि गांधी मानते थे कि अहिंसा मानवता के लिए सबसे बड़ी ताकत है, जो किसी भी हथियार से अधिक शक्तिशाली है। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से आह्वान किया कि वे मिलकर उस महान दृष्टिकोण का समर्थन करने के लिए संस्थाओं का निर्माण करें। अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस मनाने के लिए संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन द्वारा आयोजित गांधीवादी मूल्य और संयुक्त राष्ट्र घोषणापत्र शीर्षक से बुधवार को संरा मुख्यालय में एक विशेष कार्यक्रम आयोजित किया।
इस कार्यक्रम के दौरान, संयुक्त राष्ट्र महासभा के 79वें सत्र के अध्यक्ष के शेफ द केबिनेट इवोर फंग ने कहा कि गांधी का जीवन शांतिपूर्ण विरोध की प्रभावशीलता का एक शक्तिशाली प्रमाण है, जो दुनिया भर में, विशेष रूप से एशिया और अफ्रीका में लोगों को प्रेरित करता है। संयुक्त राष्ट्र महासभा के 79वें सत्र के अध्यक्ष फिलेमोन यांग की ओर से संदेश को पढ़ते हुए फंग ने कहा कि नेल्सन मंडेला और मार्टिन लूथर किंग जूनियर जैसे नेता गांधी की, सत्याग्रह की अवधारणा से बेहद प्रभावित थे।