इस बार उमर को कांटों का ताज

(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)
नेशनल कांफ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री पहले भी बन चुके हैं लेकिन तब यह स्वतंत्र राज्य था। उसका अपना अलग संविधान भी था। अनुच्छेद 370 के तहत तब जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा मिला हुआ था। अब 10 साल के बाद इस राज्य की स्थिति काफी बदल चुकी है। जम्मू कश्मीर को केन्द्र शासित प्रदेश बना दिया गया है। मनोज सिन्हा पहले राज्यपाल का दायित्व संभाल रहे थे लेकिन अब उनका दर्जा उप राज्यपाल का हो गया है लेकिन अधिकार उनके ज्यादा बढ़ गये हैं। जम्मू-कश्मीर में पिछले महीने हुए विधानसभा चुनाव में नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस ने मिलकर चुनाव लड़ा था। साथ में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी भी थी। इस गठबंधन को 90 सदस्यीय विधानसभा में 49 विधायक मिले। नेशनल कांफ्रेंस (एनसी) सबसे बड़ा दल बनकर उभरा और स्वाभाविक रूप से मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को ही बनना था। इस प्रकार औपचारिकताओं का पालन करते हुए 16 अक्टूबर को उमर अब्दुल्ला ने केन्द्र शासित जम्मू-कश्मीर के पहले मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण की। उन्होंने सुरिन्दर कुमार चौधरी को उप मुख्यमंत्री बनाया है जो जम्मू क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं। कांग्रेस के किसी भी विधायक ने मंत्री पद की शपथ नहीं ली लेकिन वह बाहर से समर्थन करेगी। पांच निर्दलीय विधायकों का साथ भी उमर अब्दुल्ला की सरकार को प्राप्त है। इसलिए निर्दलीय सतीश शर्मा को भी मंत्री पद की शपथ दिलायी गयी। उप मुख्यमंत्री सुरिन्दर कुमार चौधरी ने राज्य में भाजपा के अध्यक्ष रवीन्द्र रैना को नौशेरा में पराजित किया है। कांग्रेस को 6 विधायक मिले हैं। इस प्रकार उमर अब्दुल्ला को इस बार कांटों का ताज पहनना पड़ा है। कश्मीर की जनता ने जिस उत्साह के साथ मतदान किया है उसकी भावनाओं का उमर अब्दुल्ला की सरकार को सम्मान करना होगा। उप राज्यपाल से ज्यादा टकराव न हो इसका भी ध्यान नयी सरकार को रखना होगा। विवादास्पद मुद्दों से बचना ही एकमात्र रास्ता होगा।
मुख्यमंत्री की शपथ लेने के बाद उमर अब्दुल्ला ने कहा भी कि यह बड़ा कठिन समय है क्योंकि जनता बहुत ज्यादा उम्मीद कर रही है। कांग्रेस को भी संयम से काम लेना होगा। जम्मू-कश्मीर विधानसभा के लिए 90 सीटों पर चुनाव हुए थे और उप राज्यपाल पांच विधायकों का मनोनयन करेंगे। इस प्रकार राज्य के सदन में 95 विधायक होंगे। मंत्री बनाने का एक फार्मूला बना हुआ है जो कश्मीर में भी लागू होगा। इस फार्मूले के तहत 10 फीसदी मंत्री बनाये जा सकते हैं। राज्य के सदन की स्ट्रेन्थ को देखते हुए अधिकतम 10 मंत्री ही बन सकते हैं। चुनाव पूर्व गठबंधन से ही उमर अब्दुल्ला की सरकार के पास 49 विधायक हैं और पांच निर्दलीय विधायकों ने सरकार के समर्थन की घोषणा कर दी है। आम आदमी पार्टी का भी एक विधायक है और उसने भी समर्थन की बात कही है।
एकता दिखाते हुए इंडिया गठबंधन दलों के कई नेता शपथ समारोह में शामिल हुए। लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी, कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा, प्रमुख फारूक अब्दुल्ला, समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव, पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती, आप नेता संजय सिंह, सीपीआई नेता डी राजा सहित गठबधन के अन्य नेता मौजूद थे। कांग्रेस पार्टी सरकार में शामिल नहीं हुई है। कांग्रेस ने उमर सरकार को बाहर से समर्थन देने के फैसला लिया है। उमर अब्दुल्ला के साथ नेशनल की तरफ से सुरिंदर चौधरी, सतीश शर्मा, सकीना इटू ने मंत्री पद की शपथ ली है। सुरिंदर चौधरी डिप्टी सीएम बनाए गए हैं। शेर-ए-कश्मीर इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर (एसकेआईसीसी) में मुख्यमंत्री और उनके मंत्रिपरिषद के सदस्यों के शपथ ग्रहण समारोह हुआ। शपथ ग्रहण समारोह स्थल के आसपास कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई थी। शपथ समारोह से पहले उमर अब्दुल्ला ने नेकां के संस्थापक शेख मुहम्मद अब्दुल्ला के स्मारक पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। पठानी सूट और कोट पहने 54 वर्षीय अब्दुल्ला ने पार्टी संस्थापक के स्मारक पर फूल चढ़ाए। जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव 2024 में नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस गठबंधन को पूर्ण बहुमत हासिल हुआ है। वहीं, भारतीय जनता पार्टी ने भी अब तक का अपना बेहतर प्रदर्शन किया है। भाजपा को नेशनल कॉन्फ्रेंस से भी अधिक वोट मिले हैं। भाजपा जम्मू-कश्मीर की सबसे बड़ी पार्टी बनकर ऊभरी है। जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव 2024 के नतीजे चौकाने वाले रहे। कुछ दिग्गजों को हार का सामना करना पड़ा तो कुछ ने शानदार जीत दर्ज की है। जम्मू-कश्मीर विधानसभा की सभी 90 सीटों पर चुनाव परिणाम परिणाम 8 अक्टूबर को घोषित हुआ था। नेशनल कॉन्फ्रेंस को 42, बीजेपी को 29, कांग्रेस को 6, पीडीपी 3, पीपुल्स कॉन्फ्रेंस 1, आप 1, सीपीआई-एम 1 और निर्दलीय 7 निर्दलीय विजयी रहे। इंडिया अलायंस ने 49 सीटों पर जीत दर्ज करके पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने की राह साफ कर ली थी वहीं भाजपा 29 सीटों के साथ विधानसभा की दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनी है।
एक दशक बाद हुए जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव में नेशनल कांफ्रेंस अकेले दम पर 42 सीटें जीतने में सफल रही है। गठबंधन में शामिल कांग्रेस भी 6 सीटों पर जीत दर्ज करने में सफल रही है। इस प्रकार इंडिया गठबंधन (49) जम्मू-कश्मीर विधानसभा में बहुमत के नंबर (46) के पार पहुंच गया है। भारतीय जनता पार्टी जम्मू में भी अपनी उम्मीद के मुताबिक सीटें नहीं जीत पाई। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष रविन्द्र रैना भी अपनी सीट नौशेरा 7 हजार वोटों से हार गए। अपने दम पर चुनाव लड़ने वाली आम आदमी पार्टी के खातें में भी एक सीट गई । उसके उम्मीदवार मेहराज डोडा विधानसभा क्षेत्र से जीतने में सफल रहे। चुनावों से पहले जिन निर्दलीय उम्मीदवारों को लेकर सभी लोग बात कर रहे थे वह उतने असरदार साबित नहीं हुए। केवल 7 निर्दलीय उम्मीदवार इस चुनाव में जीत दर्ज कर पाए। पिछली बार भाजपा के साथ मिलकर सरकार बनाने वाली पीडीपी केवल तीन सीटों पर जीत दर्ज करने में सफल रही। महबूबा मुफ्ती के चुनाव न लड़ने के कारण पार्टी का पूरा दारोमदार उनकी बेटी इल्तिजा मुफ्ती पर आया, लेकिन वह अपनी सीट भी बचाने में नाकाम रहीं। उनको उमर अब्दुल्ला ने इंडिया गठबंधन में शामिल करने से इनकार कर दिया था।
कांग्रेस नेताओं के उमर कैबिनेट में शामिल न होने की 2 वजह बताई जा रही हैं. पहला तो ये कि उमर सरकार में कांग्रेस दो मंत्रिपद चाहती थी, लेकिन केवल एक ही दिया जा रहा था. दबाव बनाने के लिए कांग्रेस ने बाहर से समर्थन का फैसला किया. वहीं, दूसरा ये कि कांग्रेस नेतृत्व चाहता है कि पहले जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया जाए। हालांकि, सियासी एकजुटता का संदेश देने के लिए
राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खरगे उमर अब्दुल्ला के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल हुए।
जम्मू-कश्मीर प्रदेश अध्यक्ष तारिक हमीद कर्रा ने भी इसको लेकर बयान दिया है. उन्होंने बताया, ष्कांग्रेस ने केंद्र से जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा बहाल करने की पुरजोर मांग की है प्रधानमंत्री ने भी सार्वजनिक बैठकों में बार-बार यही वादा किया, लेकिन जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा
बहाल नहीं किया गया है. हम नाखुश हैं इसलिए हम फिलहाल मंत्रालय में शामिल नहीं हो रहे हैं. जेकेपीसीसी प्रमुख ने कहा कि कांग्रेस पार्टी राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए लड़ाई जारी रखेगी। (हिफी)