किसानों को प्रोत्साहन

(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)
हमारे देश की राजनीति में किसानों का मुद्दा प्रमुख बन गया है। भारत को कृषि प्रधान देश कहा गया तो इसमें अब भी कोई बड़ा बदलाव नहीं आया है। इतना जरूर है कि अब भारत औद्योगिक क्षेत्र में भी विश्व के विकसित देशों से प्रतिस्पर्धा कर रहा है। अंतरिक्ष कम्प्यूटर और एआई के क्षेत्र में तो हम काफी आगे बढ़ चुके हैं लेकिन कृषि क्षेत्र में भी हमारी उपलब्धियां उल्लेखनीय हैं। कभी हमें खाद्यान्न बाहर से मंगाना पड़ता था लेकिन अब हम दूसरे देशों को खाद्यान्न भेजते हैं। इसलिए कृषि और किसानों को केन्द्र में रखकर सरकार नीतियां बनाती है। चुनाव में किसानों को ढेर सारी सुविधाएं देने के प्रयास किये जाते हैं। किसानों के कर्ज को माफ करने की तो राजनीतिक दलों में होड़ लगी रहती है। भाजपा ने लोकसभा चुनाव 2024 में किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) का वादा किया था । अब उसी वादे को पूरा करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने गत 16 अक्टूबर को गेहूं, चना और सरसों समेत रबी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को मंजूरी दी है। गेहूं का एमएसपी 150 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ाकर 2,275 रुपये से 2,425 रुपये कर दिया गया है। इसी क्रम में पीएम अन्नदाता योजना के लिए 35 हजार करोड़ रुपये मंजूर किये गये हैं। पीएम अन्नदाता आय संरक्षण अभियान पीएम आशा का उद्देश्य किसानों को लाभकारी मूल्य प्रदान करना और उपभोक्ताओं के लिए बाजार मूल्य को स्थिर रखना है। इस योजना का एक विशेष मकसद किसानों को फसलों की कटाई के समय जल्दबाजी में अपनी फसल बेचने से रोकना भी है। इससे बिचौलियों को दूर रखा जा सकेगा। दलहन तिलहन और कृषि व बागवानी के उत्पादन में आत्मनिर्भरता बढे़गी। इससे लगभग 10 दिन पहले ही सरकार ने किसानों को दीपावली का तोहफा दिया है। उनके बैंक खातों में प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि की 18 वीं किस्त पहुंच गई है। उत्तर प्रदेश समेत देश के सभी राज्यों के लाखों करोड़ किसानों को भी सम्मान निधि का लाभ मिला है। मोबाइल पर संदेश आते ही किसानों के चेहरे खिल गए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यक्रम का लाइव प्रसारण किसानों ने देखा और उनकी बातों को सुना।
केंद्र सरकार ने 2025-26 के विपणन सत्र के लिए छह रबी फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में वृद्धि की घोषणा की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति (सीसीईए) ने किसानों को बेहतर मूल्य प्रदान करने के लिए एमएसपी में वृद्धि को मंजूरी दी। कैबिनेट बैठक के बाद 16 अक्टूबर को केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इस फैसले की घोषणा की। रबी फसलों के लिए एमएसपी बढ़ोतरी का विवरण देते हुए बताया गया कि गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2,275 से 150 रुपये प्रति क्विंटल बढ़कर 2,425 रुपये प्रति क्विंटल हो गया है। इसी प्रकार जौ का एमएसपी 1,850 से 130 रुपये प्रति क्विंटल बढ़कर 1,980 रुपये हो गया है।
चना का न्यूनतम समर्थन मूल्य 5,440 से 210 रुपये प्रति क्विंटल बढ़कर 5,650 रुपये हो गया है। इसी तरह मसूर का एमएसपी 6,425 से 275 रुपये प्रति क्विंटल बढ़कर 6,700 रुपये हो गया है। दलहनी और तिलहनी फसलों को बढ़ावा देना सरकार की नीति में शामिल है। देश में दालों के भाव काफी चढ़ जाते हैं। एमएसपी बढ़ने से किसानों को इनका रकबा बढाने की प्रेरणा मिलेगी इसीलिए सरसों के एमएसपी को 5,650 से 300 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ाकर 5,950 रुपये और कुसुम के एमएसपी को 140 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ाकर 5,800 से 5940 रुपये कर दिया गया है।
एमएसपी में की गई वृद्धि का उद्देश्य किसानों को बेहतर रिटर्न प्रदान करना और फसलों के विविधीकरण को प्रोत्साहित करना है। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इस बात पर प्रकाश डाला कि यह योजना किसानों की आय को बढ़ाएगी, उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करेगी और प्रमुख कृषि-बागवानी वस्तुओं के उत्पादन का समर्थन करेगी। यह आवश्यक फसल उत्पादन में भारत की आत्मनिर्भरता को बढ़ाने और कृषि अर्थव्यवस्था को और सुरक्षित करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
केंद्र सरकार कृषि क्षेत्र पर काफी फोकस कर रही है। इस सेक्टर की जीडीपी और रोजगार पैदा करने में भी काफी महत्वपूर्ण भूमिका है। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पिछली बार कृषि क्षेत्र से जुड़ी सात बड़ी योजनाओं को मंजूरी दी। इन पर सरकार करीब 14,000 करोड़ रुपये खर्च करेगी। इनमें से 2,817 करोड़ रुपये डिजिटल कृषि मिशन के लिए दिये जाएंगे। वहीं, फसल विज्ञान पर 3,979 करोड़ रुपये खर्च होंगे। पीएम नरेंद्र मोदी की अगुआई में केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक के बाद केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि इन फैसलों को कैबिनेट ने हरी झंडी दे दी है। उन्होंने कहा कि कृषि शिक्षा और प्रबंधन को बेहतर करने के लिए 2,291 करोड़ रुपये के प्रोग्राम को मंजूरी दी गई। उन्होंने कहा कि पशुधन के स्थायी स्वास्थ्य के लिए 1,702 करोड़ रुपये के प्लान को भी मंजूरी दी गई है।
पीएम नरेन्द्र मोदी ने गत 5 अक्टूबर को महाराष्ट्र के वाशिम से पीएम किसान निधि की 18वीं किस्त के अंतर्गत 9.4 करोड़ से अधिक लाभार्थी किसानों को 20,000 करोड़ रुपये से अधिक की धनराशि ट्रांसफर की थी। पीएम मोदी ने 18 जून 2024 को अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी से 17वीं किस्त जारी की थी। इसके तहत 9.26 करोड़ किसानों को लाभ मिला था। पीएम किसान योजना भारत सरकार की एक महत्वपूर्ण योजना है जो छोटे और सीमांत किसानों को आर्थिक मदद देती है। इस योजना के तहत हर साल किसानों को 6000 रुपये दिए जाते हैं। यह राशि तीन किस्तों में 2000-2000 रुपये करके दी जाती है। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना (पीएम-किसान) भारत सरकार द्वारा चलाई जा रही एक केंद्रीय योजना है। इसकी शुरुआत 2019 में की गई थी। इस योजना का मुख्य उद्देश्य देश के छोटे और सीमांत किसानों को आर्थिक सहायता प्रदान करना है। पीएम किसान योजना का लाभ किसानों को डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) के जरिए मिलता है। इसका मतलब है कि पैसे सीधे किसानों के बैंक खातों में भेजे जाते हैं। इससे बिचौलियों की भूमिका खत्म हो जाती है और पैसा सीधे किसानों तक पहुंचता है। एक सर्वे के अनुसार, 60 फीसदी से ज्यादा किसान इस योजना से संतुष्ट हैं। वे इस पैसे का इस्तेमाल खेती के काम और घर के खर्चों के लिए करते हैं। मौसम में परिवर्तन के चलते खेती अब जोखिम का धंधा हो गया है। इसलिए किसानों को प्रोत्साहित करना सरकार का दायित्व है। (हिफी)