बिहार में जहरीली शराब का कहर

(मनोज कुमार अग्रवाल-हिफी फीचर)
देश के कई हिस्सों में अवैध शराब समय समय पर लोगों को मौत परोसने का काम करती रही है। हर साल सैकड़ों लोगों की मौत अवैध शराब के सेवन से होने की घटनाएं सामने आ रही हैं लेकिन सरकार इस समस्या से निपटने में पूरी तरह नाकाम साबित हुई है। ताजा घटना बिहार से सामने आ रही है। यहां सीवान और सारण जिलों में जहरीली शराब पीने से 47 लोगों की मौत हो गई है, सैकड़ों मौत से जूझ रहे हैं और कई की आंखों की रोशनी चली गई है।
जहरीली शराब से हुई मौतों के कारण कई गांवों में मातम पसरा हुआ है। मृतकों के परिजन मौत की वजह जहरीली शराब बता रहे लेकिन प्रशासन की ओर से इसको लेकर कोई पुष्टि नहीं की गई है। घटना के बाद सीवान एसपी ने एक थानाध्यक्ष को लाइन हाजिर किया है, वहीं 2 चौकी इंचार्ज सस्पेंड किए गए हैं। मामले की गंभीरता को देखते हुए एसआईटी का गठन किया गया। छापेमारी की जा रही है। स्वास्थ्य महकमे को अलर्ट रखा गया है। लोगों की संदिग्ध मौतों का मामला 16 अक्टूबर को सामने आया। सीवान के सीमावर्ती सारण जिले के मशरक थाना क्षेत्र के इब्राहिमपुर गांव में दो लोगों की संदिग्ध हालातों में मौत हो गई और एक को गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती कराया गया। देर शाम तक जिले में कई मौतों के मामले सामने आए। इसके साथ ही सिवान जिले में भी ऐसी घटना से हड़कंप मच गया। पुलिस प्रशासन को खबर मिलने पर अधिकारी प्रभावित गांवों में पहुंचे। ग्रामीणों द्वारा बताया गया है कि एक दिन पहले ही इलाके में मछली पार्टी का आयोजन किया गया था, जिसमें शराब का भी सेवन किया गया। शराब के पीने के बाद से ही इसे पीने वाले लोगों की तबियत खराब होने लगी। बता दें कि बिहार में 2016 से शराबबंदी है, इसके बाद भी जहरीली शराब से मौतों के मामले सामने आते रहते हैं।
आपको बता दें कि करीब चार महीने पहले तमिलनाडु में अवैध शराब का कहर टूटा। कल्लाकुरिची जिले से सामने आए अवैध शराब के मामले में मौतों का आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है। इन पंक्तियों के लिखे जाने तक 57 लोग दम तोड़ चुके थे।
शराब एक ऐसी बुराई है जिस पर रोक लगाई जानी चाहिए परंतु हमारी सरकारों ने इस ओर से आंखें मूंद रखी हैं। इसका कारण यह है कि हमारी सरकारें इसकी बिक्री से होने वाली भारी-भरकम आय को खोना नहीं चाहती क्योंकि सरकारें इसी के सहारे ही चलती हैं। देश में शराब का सेवन लगातार बढ़ रहा है और अब तो समाज विरोधी तत्वों द्वारा नकली जहरीली शराब भी बनाई जाने लगी है जिसके इस्तेमाल से होने वाली मौतों के कारण बड़ी संख्या में महिलाओं के सुहाग उजड़ रहे हैं और बच्चे अनाथ हो रहे हैं। शराब वैध हो या अवैध दोनों ही स्वास्थ्य का नुकसान करती है। नकली अवैध शराब तो सीधे जहर पीना है लेकिन सस्ती के चक्कर में नशे के आदी लोग नकली अवैध शराब पीने से भी बाज नहीं आ रहे हैं। इसी का परिणाम है कि आए दिन शराब पीने से लोगों की असमय मौत के मामले बढ़ रहे हैं।
रिपोर्ट बताती हैं 2022 में छपरा में नकली शराब पीने से 38 लोगों की मौत हो गई थी। इसमें मास्टरमाइंड सहित पांच लोगों की गिरफ्तारी हुई थी। इसके पूर्व बिहारशरीफ, गोपालगंज और बेतिया में नकली शराब पीने से मौत के मामले सामने आए थे। 26 जुलाई, 2022 को गुजरात के बोटाद जिले में जहरीली शराब पीने से 18 लोगों की मौत और 45 लोग गंभीर रूप से बीमार हो गए। 24 सितम्बर, 2023 को बिहार के मुजफ्फरपुर में जहरीली शराब पीने से 2 लोगों की मौत तथा 3 लोगों की आंखों की रोशनी चली गई। 11 नवम्बर, 2023 को हरियाणा के यमुनानगर और अम्बाला में जहरीली शराब पीकर मरने वालों की संख्या 20 तक पहुंच गई। 19 नवम्बर, 2023 को बिहार के सीतामढ़ी में जहरीली शराब पीने से 3 लोगों की मौत तथा 1 गंभीर रूप से बीमार हो गया। 22 मार्च, 2024 को संगरूर में जहरीली शराब पीने से 20 लोगों की मौत हो गई जबकि कुछ लोग अंधे हो गए। 18 जून, 2024 को छत्तीसगढ़ में कोरबा जिले के ‘कोटमेर’ गांव में जहरीली शराब पीने से एक महिला सहित 3 लोगों की मौत हो गई।
18 जून, 2024 को ही तमिलनाडु के ‘कल्लाकुरिची’ जिले में ‘पैकेट’ और ‘सैशे’ के रूप में खरीदी जहरीली शराब पीने के कुछ ही समय बाद बड़ी संख्या में लोगों को दस्त, उल्टी आने, पेट दर्द और आंखों में जलन की शिकायत शुरू हो गई और फिर उनकी तबीयत बिगड़ती चली गई। 23 जून के आते-आते जहरीली शराब पीने से मरने वालों की संख्या 57 तक पहुंच गई, जबकि 100 से अधिक लोगों की उपचार से जान बचा ली गई। इस मामले में 49 वर्षीय अवैध शराब विक्रेता ‘कन्नुकुट्टी’ सहित 4 लोगों को गिरफ्तार किया गया था। ‘कन्नुकुट्टी’ के पास से जब्त की गई 200 लिटर अवैध शराब की जांच में सामने आया कि उसमें घातक ‘मेथेनाल’ मौजूद था।
उल्लेखनीय है कि गत वर्ष भी राज्य के ‘विल्लूपुरम’ तथा ‘चेंगलपट्टू’ जिलों में अवैध शराब पीने से 22 लोगों की मौत हो गई थी। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने इस मामले की जांच के लिए मद्रास उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश बी. गोकुलदास के नेतृत्व में एक सदस्यीय आयोग गठित करने का निर्देश देने के अलावा जिले के एसपी को बर्खास्त तथा जिला कलेक्टर का तबादला कर दिया था।
देश में नकली शराब से सबसे अधिक 134 लोगों की मौत बिहार में हुई। इसके बाद दूसरे स्थान पर कर्नाटक और तीसरे स्थान पर पंजाब है। वर्ष 2022 में देश भर में अवैध व नकली शराब के 507 केस दर्ज हुए। इनमें 617 लोगों की मौत हुई, जिनमें 15 महिलाएं थीं। हालांकि, बिहार में एक भी महिला की मौत अवैध शराब के सेवन से नहीं हुई है। एनसीआरबी 2022 की रिपोर्ट चौंकाने वाली है। अवैध और नकली शराब से जुड़े बिहार में सबसे कम 29 केस सामने आए, लेकिन मौत के मामले में आंकड़ा सबसे अधिक है। आपको बता दें कि फेडरेशन ऑफ इंडियन चैम्बर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री की रिपोर्ट बताती है कि देश में अवैध शराब का कारोबार 23 हजार 466 करोड़ रुपये का है। फिक्की के मुताबिक, अवैध शराब की तस्करी की वजह से सरकार को 15 हजार 262 करोड़ रुपये का नुकसान होने का अनुमान है। अवैध शराब यानी जिसका कोई रिकॉर्ड नहीं है। ये शराब बिना किसी रिकॉर्ड के बिकती है। इसकी तस्करी होती है और इस पर कोई टैक्स नहीं दिया जाता है। लिहाजा अवैध शराब की तस्करी से सरकार को रेवेन्यू लॉस होता है, लोगों की मौत होती है तो दूसरी ओर शराब कारोबारी पैसा कमाते हैं।
एक अनुमान के मुताबिक, भारत में हर साल पांच अरब लीटर शराब पी जाती है। इसमें 40 फीसदी से ज्यादा अवैध तरीके से बनाई जाती है और ये सस्ती होती है। ग्रामीण इलाकों में देसी शराब ज्यादा पी जाती है। जबकि, विश्व स्वास्थ्य संगठन का अनुमान है कि भारत में हर साल शराब की जितनी खपत होती है, उसमें से 50 फीसदी अवैध तरीके से बनती और बिकती है।
ऐसे हालात में शराब को लेकर अभी बहुत जागरूकता लाने और सरकारी नीतियों का पुनरीक्षण कर विचार करने की जरूरत है ताकि लोगों को शराब के जहर से बचाया जा सके। (हिफी)