भजनलाल व गहलोत की परीक्षा

(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)
राजस्थान मंे भाजपा और कांग्रेस एक बार फिर आमने-सामने आ गये हैं। इसी साल सम्पन्न हुए लोकसभा चुनावों मंे कांग्रेस ने भाजपा को कड़ी टक्कर दी थी। राज्य की 25, लोकसभा सीटों मंे से 14 पर भाजपा को विजयश्री मिली तो 11 पर कांग्रेस और सहयोगी दलों का कब्जा रहा। कांग्रेस को 8 सांसद मिले थे। इस प्रकार पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अब 7 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव मंे भाजपा को सबक सिखाने की रणनीति बना रहे हैं। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा भी इन उपचुनावों को महत्वपूर्ण मानते हुए सभी सीटों पर विजयश्री हासिल करना चाहते हैं। इस बीच राजा मिहिर भोज का विवाद राजस्थान की राजनीति पर भी असर डाल सकता है। राजपूतों और गुर्जरों के बीच का यह विवाद है और ये दोनों ही भाजपा के वोट बैंक हैं। राजस्थान में उपचुनाव 13 नवम्बर को होने जा रहे हैं। लगभग 11 महीने पहले ही भाजपा ने विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को जबर्दस्त पटकनी दी थी। इस प्रकार इन उपचुनावों मंे भजनलाल शर्मा और अशोक गहलोत दोनों की परीक्षा होनी है।
राजस्थान में 7 विधानसभा सीटों पर 13 नवंबर को उपचुनाव होंगे और नतीजे 23 नवंबर को आएंगे। झुंझुनूं, दौसा, देवली-उनियारा, खींवसर चौरासी, सलूंबर,रामगढ़ सीटों पर उपचुनाव होंगे। विधानसभा चुनाव के 11 महीने बाद ही इन सीटों पर फिर से चुनाव होंगे। इनमें से 5 सीटें विधायकों के सांसद बनने से खाली हुई हैं, वहीं 2 सीटें विधायकों के निधन के कारण खाली हैं। उपचुनाव वाली 7 सीटों में से महज 1 सीट पर बीजेपी का कब्जा था। 2023 के चुनाव में बीजेपी के खाते में सिर्फ सलूंबर सीट थी। अन्य 6 सीटों में से 4 पर कांग्रेस के प्रत्याशी विजयी रहे थे, जबकि एक सीट भारतीय आदिवासी पार्टी और 1 सीट पर राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी आरएलपी का विधायक था। 2023 के विधानसभा चुनाव में शेखावाटी की झुंझुनू सीट, दौसा, देवली-उनियारा और रामगढ़ विधानसभा सीट पर कांग्रेस के एमएलए बने थे।
राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट को महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस नेतृत्व ने बड़ी जिम्मेदारी दी है। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी ने गहलोत और पायलट को महाराष्ट्र की अलग अलग विधानसभा सीटों पर सीनियर ऑब्जर्वर नियुक्त किया है। इस संबंध में पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव केसी वेणुगोपाल ने आदेश जारी किए हैं।पूर्व सीएम अशोक गहलोत को मुंबई कोंकण विधानसभा सीट का सीनियर ऑब्जर्वर नियुक्त किया गया है जबकि सचिन पायलट को मराठवाड़ा विधानसभा सीट पर सीनियर ऑब्जर्वर नियुक्त किया गया है। मुंबई और कोणक विधानसभा सीट पर गहलोत के सात डॉ. जी. परमेश्वरा को भी लगाया गया है जबकि मराठवाड़ा सीट पर पायलट के साथ उत्तम कुमार रेड्डी को भी सीनियर ऑब्जर्वर नियुक्त किया गया है।हाल ही में हरियाणा और जम्मू कश्मीर में भी विधानसभा चुनाव हुए। इन चुनावों में भी कांग्रेस के राष्ट्रीय नेतृत्व ने पूर्व सीएम अशोक गहलोत और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट को बड़ी जिम्मेदारियां दी थीं। गहलोत को हरियाणा का मुख्य पर्यवेक्षक बनाकर भेजा गया था जबकि सचिन पायलट को जम्मू कश्मीर में स्टार प्रचारक बनाया गया था। सचिन पायलट राजस्थान से एकमात्र कांग्रेसी नेता थे जिन्हें जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनावों में स्टार प्रचारकों की सूची में जगह दी गई। इस प्रकार राज्य में इनको ज्यादा समय नहीं मिला।
अब 7 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने वाले हैं। कांग्रेस के राष्ट्रीय नेतृत्व ने इन सात सीटों पर भी प्रभारी सचिवों की नियुक्ति की है। झुंझुनूं, रामगढ़ और खींवसर विधानसभा सीट पर चिरंजीव राव को प्रभारी सचिव नियुक्त किया गया है। सलूंबर और चौरासी विधानसभा सीट पर ऋत्विक मकवाना को प्रभारी सचिव नियुक्त किया गया है जबकि दौसा और देवली उनियारा विधानसभा सीट के लिए पूनम पासवान को प्रभारी सचिव लगाया गया है। इन प्रभारी सचिवों की नियुक्ति का आदेश प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा की ओर से जारी किया गया।
इसी बीच सम्राट मिहिर भोज को लेकर यूपी, एमपी के बाद अब राजस्थान में विवाद शुरू हो गया है। उनकी प्रतिमा के अनावरण के दौरान गुर्जर और क्षत्रिय समाज के लोग आमने सामने आ गए। बीजेपी का कहना है कि मिहिर भोज गुर्जरों के पूर्वज थे, जबकि राजपूतों का कहना है कि उन्हें गुर्जरों का पूर्वज कहना इतिहास के साथ छोड़छाड़ करना है। गौतम बुद्ध नगर के दादरी में 22 सितम्बर को बालिका इंटर कॉलेज में सम्राट मिहिर भोज की प्रतिमा के अनावरण के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सामने ही विवाद शुरू तब हुआ जब शिलापट्ट पर लिखे गुर्जर प्रतिहार सम्राट मिहिर भोज पर गुर्जर शब्द पर किसी ने कालिख पोत दी। घटना को लेकर राजपूतों और गुर्जरों के बीच तनाव पैदा हो गया। क्षत्रिय समाज के प्रतिनिधित्व का दावा करने वाले संगठन करनी सेना ने शिलापट्ट पर गुर्जर शब्द लिखने का विरोध करते हुए दावा किया कि सम्राट मिहिर भोज क्षत्रिय थे, इसलिए उन्हें सिर्फ ‘गुर्जर’ जाति से जोड़कर नहीं देखना चाहिए।
करनी सेना की उत्तर प्रदेश इकाई के अध्यक्ष करण ठाकुर कहते हैं कि राजपूत प्रतिमा का विरोध नहीं कर रहे हैं बल्कि सम्राट मिहिर भोज को गुर्जर सम्राट कहे जाने का विरोध कर रहे हैं। करण ठाकुर कहते हैं, विवाद कुछ नहीं है। प्रतिमा लगी है और हम उसका स्वागत करते हैं लेकिन शिलापट्ट पर गुर्जर सम्राट लिखा जाना गलत है क्योंकि वो क्षत्रिय सम्राट थे। शिलापट्ट पर जिस जगह गुर्जर शब्द लिखा गया था, उस पर किसी ने स्याही लगा दी। इसी के बाद विवाद शुरू हुआ। अब अखिल भारतीय वीर गुर्जर महासभा शिलापट्ट पर फिर से गुर्जर शब्द लिखने का प्रयास कर रहा है। इसीलिए महापंचायत भी बुलाई गई।
पिछले एक महीने से सम्राट मिहिर भोज की प्रतिमाएं पश्चिमी उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में कई स्थानों पर लगाई गई हैं और जहाँ-जहाँ ये लगीं हैं, वहीं से संघर्ष की खबरें भी आ रहीं हैं। राजस्थान में भी राजपूत इस मामले को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं। झालावाड़ में सम्राट मिहिर भोज को लेकर गुर्जर और राजपूत समाज का विवाद चल रहा है। गुर्जर समाज ने भोज जयंती रैली का आयोजन किया तो राजपूत समाज ने आपत्ति जतायी। राज्य की भाजपा सरकार इसमंे हस्तक्षेप करने से बच रही है। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा उपचुनावों को देखते हुए तटस्थ बने हैं। गर्जुरों ने रैली की तो राजपूतों ने वाहन रैली निकाली। (हिफी)