गीतों में अमर रहेंगी शारदा सिन्हा

(मोहिता-हिफी फीचर)
बिहार कोकिला, पद्मश्री एवं पद्म भूषण जैसे सम्मान पाने वाली लोक गायिका शारदा सिन्हा का 5 नवम्बर को निधन हो गया। उन्हांेने मैथिली, भोजपुरी के अलावा हिन्दी के गीत भी गाये। शारदा सिन्हा ने छठ पूजा के गीतों को अन्तरराष्ट्रीय पहचान दिलायी। राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार समेत देश भर के लोक संगीत प्रेमियों ने शारदा सिन्हा के निधन पर शोक जताया है। इसे भी संयोग ही कहा जाएगा कि छठ पूजा के गीतों को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाने वाली शारदा सिन्हा ने अंतिम सांस तभी ली जब 2024 की छठ पूजा प्रारम्भ हो गयी। शारदा सिन्हा के पति का हाल ही मंे निधन हो गया था। इसके बाद से ही उनकी तबीयत भी खराब रहने लगी थी। शारदा सिन्हा को जटिल प्रकार के कैंसर की बीमारी थी जो बहुत खतरनाक मानी जाती है। इस बीमारी का पता 2018 में चला था। शारदा सिन्हा ने लगभग 6 साल तक इस बीमारी से संघर्ष किया लेकिन 5 नवम्बर को वह बीमारी से पराजित हो गयीं। आज उनका नश्वर शरीर नहीं है लेकिन अपने गीतों मंे वह अमर रहेंगी।
मशहूर लोक गायिका शारदा सिन्हा 72 साल की थीं। कुछ दिन पहले बीमारी के चलते उन्हें दिल्ली के एम्स में भर्ती कराया गया था। शारदा सिन्हा के पुत्र अंशुमन सिन्हा ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म फेसबुक पर पोस्ट में उनके निधन की जानकारी दी। उन्होंने बताया, ष्आप सब की प्रार्थना और प्यार हमेशा मां के साथ रहेंगे। मां को छठी मइया ने अपने पास बुला लिया है। मां अब शारीरिक रूप में हम सब के बीच नहीं रहीं। शारदा सिन्हा ने छठ पूजा के पहले दिन अपनी अंतिम सांस ली। एक ओर पूर्वांचल में छठ पूजा चल रही हैं, जहां बिहार कोकिला के गीतों से रौनक लगी रहती है, वहीं दूसरी ओर शारदा सिन्हा के निधन की खबर से लोग शोक में हैं शारदा सिन्हा ने अपने घर के आंगन से ही गाने की शुरुआत की थी। शारदा सिन्हा ने खुद एक कार्यक्रम के दौरान बताया था कि उन्होंने लोक गायिका बनने की शुरुआत अपने घर के आंगन से ही की थी और भाई की शादी के बाद नेग मांगने के लिए पहली बार गाना गाया था। उन्होंने बताया कि उनसे उनकी भाभी ने पूछा था कि जब भइया द्वार पर आएंगे तो तुम नेग कैसे मांगोगी। इस पर उन्होंने अपना पहला गाना सुनाया जो उन्होंने अपने भाई से नेग मांगने के लिए द्वार के छकाई नेगा गाया था। शारदा सिन्हा ने सबसे पहले इसी गाने को रिकॉर्ड किया था। 1978 में उन्होंने छठ गीत उग हो सुरुज देव गाया था और उनके इस गाने ने रिकॉर्ड बनाया था। इतना ही नहीं आज भी छठ पर्व के दौरान उनके इस गाने को लोग सुनते हैं। इस गाने को छठ का पूरक माना जाता है। बिहार कोकिला को बिहार ही नहीं भारत की भी शान माना जाता है। इतना ही नहीं 2018 में उन्हें लोक गीतों में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका के लिए पद्म भूषण से भी सम्मानित किया गया था। उस वक्त देश के राष्ट्रपति रहे रामनाथ कोविंद ने उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया था। केवल छठ ही नहीं बल्कि होली और विवाह समारोह में भी शारदा सिन्हा के गानों की उपस्थिति हमेशा रही। उनके गानों की सादगी किसी कमरे में बैठे इंसान को भी बिहार के छठ घाटों तक पहुंचा देती है। अन्य लोकगायिकाओं से इतर शारदा सिन्हा की खासियत यह थी कि वह किसी भी भाषा के बंधन से नहीं बंधीं और बिहार, पूर्वी उत्तर प्रदेश के साथ झारखंड के बड़े हिस्से में भी लोकप्रिय रही हैं।
शारदा सिन्हा के पति का हाल ही में ब्रेन हैमरेज से निधन हुआ था। इसके बाद से उनकी तबीयत भी खराब रहने लगी थी। साल 2018 में शारदा सिन्हा को कैंसर मल्टीपल मायलोमा बीमारी का पता लगा था। बीते दिनों उन्हें बोन मैरो कैंसर डिटेक्ट हुआ था जिसके बाद उनका इलाज एम्स के अंकोलॉजी मेडिकल डिपार्टमेंट में चल रहा था। मायलोमा या मल्टीपल मायलोमा एक तरह का ब्लड कैंसर है, जिसे बी सेल मेलिग्नेंसी भी बोलते हैं। यह हमारे शरीर की ब्लड सेल्स और बोन मैरो को प्रभावित करता है। इसमें बी सेल्स एब्लनॉर्मल फंक्शन शुरू कर देते हैं। जिन भी मरीजों में ये डायग्नोस होता है उन लोगों को अक्सर कमर में दर्द या बैक पेन रहता है।
शारदा ने मैथिली, भोजपुरी के अलावा हिन्दी गीत गाये। मैंने प्यार किया, हम आपके हैं कौन तथा गैंग्स ऑफ वासेपुर जैसी फिल्मों में इनके द्वारा गाये गीत काफी प्रचलित हुए। उनके गाये गीतों के कैसेट संगीत बाजार में सहजता से उपलब्ध है। दुल्हिन, पीरितिया, मेंहदी जैसे कैसेट्स काफी बिके। बिहार एवं यहाँ से बाहर दुर्गा-पूजा, विवाह-समारोह या अन्य संगीत समारोहों में शारदा सिन्हा द्वारा गाये गीत अक्सर सुनाई देते हैं। लोकगीतों के लिए इन्हें बिहार-कोकिला, पद्म श्री एवं पद्म भूषण सम्मान से विभूषित किया गया है।
सिन्हा का जन्म बिहार के हुलास, सुपौल जिले में 1 अक्टूबर 1952 को हुआ था। उनकी ससुराल बेगूसराय जिले के सिहमा गांव में है। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत मैथिली लोक गीत गाकर की थी। शारदा सिन्हा के निधन पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि मैथिली और भोजपुरी में अपनी मधुर आवाज देकर शारदा सिन्हा ने अपार लोकप्रियता पाई। उन्होंने कहा, उनका सुमधुर गायन अमर रहेगा। मैं उनके परिवारजन एवं प्रशंसकों के प्रति गहन शोक-संवेदना व्यक्त करती हूं। राष्ट्रपति भवन के सोशल मीडिया एक्स अकाउंट पर एक पोस्ट में लिखा गया- बिहार कोकिला के रूप में प्रसिद्ध गायिका डॉक्टर शारदा सिन्हा जी के निधन का समाचार अत्यंत दुखद है। बिहारी लोक गीतों को मैथिली और भोजपुरी में अपनी मधुर आवाज देकर शारदा सिन्हा जी ने संगीत जगत में अपार लोकप्रियता पायी। आज छठ पूजा के दिन उनके मधुर गीत देश-विदेश में भक्ति का अलौकिक वातावरण बना रहे होंगे। उन्हें वर्ष 2018 में कला के क्षेत्र में पद्म भूषण से भी सम्मानित किया गया था। उनका सुमधुर गायन अमर रहेगा।
शारदा सिन्हा के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह समेत कई हस्तियों ने शोक जताया है। पीएम मोदी ने कहा कि मैथिली और भोजपुरी के लोकगीत शारदा सिन्हा की आवाज में रिकॉर्ड किए गए, जो पिछले कई दशकों से बेहद लोकप्रिय रहे हैं। उनका जाना संगीत जगत के लिए एक अपूरणीय क्षति है। शारदा सिन्हा के निधन पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गहरी संवेदना प्रकट की। उन्होंने कहा कि शारदा सिन्हा को देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मानों से भी सम्मानित किया जा चुका है।शारदा सिन्हा को कला जगत में अभूतपूर्व योगदान के लिए देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मानों से नवाजा गया था। पद्म श्री और पद्म भूषण से सम्मानित शारदा सिन्हा के बेटे अंशुमान ने मीडिया से बात करते हुए कहा था कि खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनसे फोन पर बात कर मां की तबीयत के बारे में जानकारी ली।शारदा सिन्हा को मैथिली और भोजपुरी संगीत में उनके महत्वपूर्ण योगदान के लिए जाना जाता है। उन्हें लोक गायिकी के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए एक सांस्कृतिक राजदूत के रूप में जाना जाता है। गायिकी के अलावा शारदा सिन्हा विभिन्न सांस्कृतिक आयोजनों में भी सक्रिय रहीं। लगभग पांच दशक लंबे संगीत करियर में अभूतपूर्व योगदान के लिए उन्हें कई पुरस्कार मिले। बिहार सरकार ने भी इन्हें सम्मानित किया। ओडिशा के राज्यपाल रघुबर दास ने भी शारदा सिन्हा के निधन पर शोक जताया। दास झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं। उन्होंने कहा कि उनका जाना संगीत और आध्यात्म जगत के लिए अपूरणीय क्षति है। छठ गीतों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलानेवाली, सुप्रसिद्ध लोक गायिका पद्मभूषण श्रीमती शारदा सिन्हा गीतों में अमर रहेंगी। (हिफी)