लेखक की कलम

अब कार्यकारिणी में सुक्खू कर सकते हैं मनमानी

(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)
हिमाचल प्रदेश मंे कांग्रेस ने भाजपा से सत्ता छीन ली लेकिन अपने अंदर की गुटबाजी पर विजय नहीं प्राप्त कर सकी। पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के परिवार को उम्मीद थी कि उसे ही मुख्यमंत्री की कुर्सी मिलेगी लेकिन सुखविंदर सिंह सुक्खू मुख्यमंत्री बनने मंे सफल हो गये। कांग्रेस हाईकमान ने वीरभद्र सिंह की पत्नी प्रतिभा सिंह को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की कुर्सी सौंपकर संतुलन बैठाने का प्रयास किया था। अब राज्य की कार्यकारिणी भंग कर दी गयी है और नये सिरे से पदाधिकारियों का चुनाव होना है। माना जा रहा है कि अब संगठन मंे भी अपने ज्यादा से ज्यादा लोगों को बैठाने का प्रयास सुखविंदर सिंह सुक्खू कर सकते हैं। इसको लेकर प्रतिभा सिंह गुट से टकराव भी हो सकता है। हालांकि मुख्यमंत्री सुक्खू अपनी सरकार के एक फैसले को लेकर झटका खा चुके हैं। मुख्यमंत्री ने आउट सोर्स भर्तियां कर रखी थीं। इसकी शिकायत हाईकोर्ट तक पहुंच गयीं और कोर्ट ने आउट सोर्स भर्तियों पर रोक लगा दी। माना जा रहा है कि राज्य मंे 50 हजार से ज्यादा आउट सोर्स कर्मचारी काम कर रहे हैं। स्वास्थ्य, वन और शिक्षा विभाग मंे इसका विरोध किया जा रहा है।
हिमाचल प्रदेश कांग्रेस की नई कार्यकारणी के गठन की प्रकिया जल्द शुरू होगी। पार्टी सूत्रों के अनुसार कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष प्रतिभा सिंह की सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू से बैठक के बाद प्रकिया शुरू की जाएगी। सीएम फिलहाल सिरमौर दौरे पर हैं। उसके बाद ही प्रतिभा सिंह सीएम से मुलाकात कर नई कार्यकारिणी को लेकर चर्चा करेंगी। वहीं, सीएम के अलावा डिप्टी सीएम से भी चर्चा की जाएगी और उसके बाद हिमाचल प्रभारी और कांग्रेस आलाकमान के साथ चर्चा कर नामों की घोषणा की जाएगी। हालांकि, इस सब के बीच सीएम सुक्खू और वीरभद्र सिंह गुट को लेकर सबकी नजरें रहेंगी।
जानकारी के अनुसार, कांग्रेस की नई टीम में जातीय और क्षेत्रीय संतुलन होगा। साथ ही वरिष्ठ और युवा नेताओं को भी अहम जिम्मेदारी दी जाएगी। दिसंबर से पहले नई कार्यकारिणी के कुछ पदाधिकारियों के नामों की घोषणा की जाएगी। सबसे पहले संगठन महासचिव और कोषाध्यक्ष की नियुक्ति होगी, उसके बाद बाकी पदाधिकारियों को लेकर फैसला लिया जाएगा। जानकारी ये भी है कि पार्टी एक व्यक्ति एक पद का फॉर्मूला लागू करेगी, जिसके चलते सत्ता में पद हासिल करने वाले नेताओं को कार्यकारिणी में पद नहीं मिलेगा। नई कार्रकारिणी के गठन में सीएम सुक्खू का भी पूरा दखल रहेगा। इस बाबत प्रदेश कांग्रेस के पूर्व कार्यकारी अध्यक्ष और वर्तमान सरकार में मुख्य संसदीय सचिव संजय अवस्थी ने कहा कि संगठन में बदलाव बेहतरी के लिए होता है, ये रूटीन प्रोसेस है। उन्होंने कहा कि ये बदलाव काफी समय से लंबित था और लोकसभा चुनावों के बाद अपेक्षित था। उन्होंने कहा कि इस प्रकिया में निष्क्रिय लोगों को हटाया जाएगा और कर्मठ कार्यकर्ताओं को कार्यकारिणी में स्थान दिया जाएगा। अवस्थी ने कहा कि एक व्यक्ति एक पद का फॉर्मूला पहले से लागू था, उस पर अमल होगा। साथ ही कहा कि कर्मठ कार्यकर्ताओं को स्थान मिलना चाहिए, क्योंकि संगठन की रीढ़ की हड्डी कार्यकर्ता ही होता है। सरकार के अलावा निगमों बोर्डों में ओहदेदारों को नई कार्यकारिणी में जगह नहीं दी जाएगी। नियुक्तियों में पारदर्शिता लाने के लिए हर पदाधिकारी का पूर्व का रिकार्ड भी देखा जाएगा। संभावना इस बात की भी है कि कार्यकारी अध्यक्ष नहीं बनाया जाएगा।कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष पहले ही साफ कर चुकी हैं कि संगठन में काम करने वालों को ही कार्यकारिणी में जगह मिलेगी, इस बदलाव के साथ ही 2027 के चुनावों की तैयारी भी शुरू की जाएगी। इसके चलते महिला कांग्रेस, युवा कांग्रेस और अन्य अग्रणी संगठनों के कुछ पदाधिकारियों को प्रमोट कर प्रदेश कार्यकारिणी में लाया जा सकता है। कांग्रेस में गुटबाजी के लिहाज से देखें तो दिलचस्प ये भी रहेगा कि सीएम सुक्खू और हॉलीलॉज (वीरभद्र सिंह का आवास) के करीबियों को कहां किस स्थान पर जगह दी जाती है। सभी गुटों को एकजुट रखने के
लिए किस तरह का समन्वय बनाया जाएगा, ये देखना भी अहम रहेगा। हालांकि कांग्रेस आलाकमान ने
जैसे ही कार्यकारिणी को भंग किया है उसके बाद से ही कई नेता अपने-अपने लोगों को नई कार्यकारिणी में स्थान देने के लिए लॉबिंग शुरू कर चुके हैं।
मुख्यमंत्री सुक्खू की एक और परेशानी है। दरअसल हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने आउटसोर्स भर्तियों पर अहम आदेश जारी किया है। कोर्ट ने सभी ऑउटसोर्स भर्तियों पर रोक लगा दी है और सरकार से डाटा मांगा है। ऐसे में सुक्खू सरकार को बड़ा झटका लगा है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने मामले पर सुनवाई की। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि कॉरपोरेशन के तहत पंजीकृत सभी कंपनियों का डाटा बेवसाइट पर अपलोड किया जाए। जब तक सभी कंपनियों का डाटा वेबसाइट पर अपलोड नहीं होगा, तब तक आउटसोर्स भर्तियों पर रोक रहेगी। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने अदालत को बताया कि प्रदेश में 110 कंपनियां फर्जी पाई गई हैं और इसके बावजूद इनके जरिए हजारों लोगों को आउटसोर्स पर भर्ती किया जा रहा है। मामले की अगली सुनवाई 21 नवंबर को होगी। गौर करने वाली बात है कि सुक्खू सरकार बड़े पैमाने पर ऑउटसोर्स पर भर्तियां करने जा रही है। शिक्षा विभाग में छह हजार के करीब टीचर्स को ऑउटसोर्स पर रखने की प्रक्रिया चल रही है। इसी तरह, वन और स्वास्थ्य विभाग में नर्सों को भी ऑउटसोर्स पर रखा जा रहा है। अब 10 हजार के करीब पदों पर भर्ती रुक जाएगी।
हिमाचल प्रदेश में 50 हजार के करीब ऑउटसोर्स कर्मचारी तैनात हैं। उधर, शिमला में 2100 से अधिक वोकेशनल टीचर धरना दे रहे हैं और स्थायी पॉलिसी बनाने को लेकर मांग कर रहे हैं क्योंकि इन्हें कंपनियों की तरफ से एरियर नहीं मिला है।
हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस द्वारा अपनी सभी इकाइयों को भंग करने के एक दिन बाद, प्रदेश कांग्रेस प्रमुख प्रतिभा सिंह ने कहा कि वह राज्य में कांग्रेस सरकार बनने के बाद से ही एक व्यक्ति, एक पद की वकालत कर रही थीं। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने पार्टी में नई जान फूंकने के लिए पीसीसी, जिला और ब्लॉक इकाइयों सहित प्रदेश कांग्रेस कमेटी को भंग कर दिया। उन्होंने कहा, पार्टी में कोई गुटबाजी नहीं है और मैंने मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के साथ मिलकर उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री और अन्य वरिष्ठ नेताओं से परामर्श के बाद इकाइयों को भंग करने के लिए पार्टी हाईकमान को पत्र लिखा था। प्रतिभा सिंह ने कहा, संगठन में कांग्रेस के नेता जो अब सरकार का हिस्सा हैं, उन्हें खुद ही अपने पद छोड़ देने चाहिए और अपने प्रतिस्थापन के लिए सुझाव देने चाहिए। उन्होंने कहा कि निष्क्रिय नेताओं की जगह मेहनती लोगों को लाया जाएगा जो पार्टी के काम के लिए अधिक समय दे सकें। अप्रैल 2022 में राज्य कांग्रेस प्रमुख का पद संभालने वाली सिंह पहले ही पार्टी की सर्वोच्च निर्णय लेने वाली संस्था कांग्रेस कार्यसमिति (सीडब्ल्यूसी) की सदस्य बन चुकी हैं। (हिफी)

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