लेखक की कलम

संकटों के दौर में सुक्खू सरकार

(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)
हिमाचल प्रदेश में सरकार पर भी जब देवता खुश नहीं रहते तो संकटों का दौर शुरू हो जाता है। गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरित मानस में कहा है-
जहां सुमति तहं सम्पत्ति नाना।
जहां कुमति तहं विपति निधाना।।
अर्थात जहां कुमति है विचारों की शुचिता समाप्त हो गयी है, वहां विपत्तियां आती हैं। हिमाचल प्रदेश की कांग्रेस इकाई में भी ऐसे ही हालात हैं। पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र ने कांटे बिछाये तो अब उन्हीं कांटों पर उनक सरकार को चलना पड़ रहा है। पहले अदालत ने आउटसोर्सिंग पर तैनाती को अवैध बताते हुए नियुक्तियां रोक दीं और अब राज्य में पर्यटन विभाग के घाटे में चल रहे होटलों को बंद करने का हुक्म भी हाईकोर्ट ने जारी कर दिया है। हाईकोर्ट के न्यायाधीश अजय मोहन गोयल ने पर्यटन विकास निगम के
प्रबंध निदेशक को 18 होटलों को बंद करने संबंधी आदेशों का पालन सुनिश्चित करने के लिए व्यक्तिगत रूप से जिम्मेदारी सौंपी है। न्यायालय इस तत्य को न्यायिक संज्ञान में ले सकता है कि राज्य सरकार अदालत के समक्ष आये वित्त (धन) से जुड़े मामलों में संकट की बात करती रहती है तो फिर घाटे का सौदा क्यों किया जा रहा है। अदालत ने पर्यटन विकास विभाग का बकाया वसूलने
के लिए सख्ती करने का भी आदेश
दिया था लेकिन सरकार ने ढिलाई दिखाई है।
हिमाचल प्रदेश की सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार को हाई कोर्ट से एक के बाद एक झटके लग रहे हैं। हाईकोर्ट ने एचपीटीडीसी के घाटे में चल रहे 18 होटलों को तुरंत प्रभाव से बंद करने के आदेश जारी किए हैं। इन होटलों में द पैलेस होटल चायल, होटल गीतांजलि डलहौजी, होटल बाघल दाड़लाघाट, होटल धौलाधार धर्मशाला, होटल कुणाल धर्मशाला, होटल कश्मीर हाउस धर्मशाला, होटल एप्पल ब्लॉसम फागू, होटल चंद्रभागा केलांग, होटल देवदार खजियार, होटल गिरीगंगा खड़ापत्थर, होटल मेघदूत क्यारीघाट , होटल सरवरी कुल्लू, होटल लॉग हट्स मनाली, होटल हडिम्बा कॉटेज मनाली, होटल कुंजुम मनाली, होटल भागसू मैक्लोडगंज, होटल द कैसल नग्गर कुल्लू और होटल शिवालिक परवाणू शामिल हैं। कोर्ट ने इस आदेश का कारण स्पष्ट करते हुए कहा कि ऐसा इसलिए करना जरूरी है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि पर्यटन विकास निगम द्वारा इन सफेद हाथियों के रखरखाव में सार्वजनिक संसाधनों की बर्बादी न हो।
कोर्ट के समक्ष कुल 56 होटलों द्वारा किए व्यवसाय से जुड़ी जानकारी रखी गई थी। इस जानकारी को खंगालने के बाद कोर्ट ने उपरोक्त होटलों को सफेद हाथी बताते हुए कहा कि ये होटल राज्य पर बोझ हैं। कोर्ट ने कहा कि पर्यटन विकास निगम अपनी संपत्तियों का उपयोग लाभ कमाने के लिए नहीं कर पाया है। इन संपत्तियों का संचालन जारी रखना स्वाभाविक रूप से राज्य के खजाने पर बोझ के अलावा और कुछ नहीं है। कोर्ट ने यह आदेश पर्यटन निगम से सेवानिवृत कर्मचारियों को वित्तीय लाभ न देने से जुड़े मामले पर सुनवाई के पश्चात दिए। कोर्ट ने पर्यटन विकास निगम के प्रबंध निदेशक को उपरोक्त होटल बंद करने से जुड़े इन आदेशों के क्रियान्वयन के लिए अनुपालन शपथ पत्र दाखिल करने को कहा है। कोर्ट ने एचपीटीडीसी से चतुर्थ श्रेणी के सेवानिवृत्त कर्मचारियों तथा अब इस दुनिया में नहीं रहे उन कर्मचारियों की सूची भी प्रस्तुत करने को कहा है, जिन्हें उनके वित्तीय लाभ नहीं मिले हैं।
हिमाचल प्रदेश पर्यटन विकास निगम के होटलों से खाने-पीने के पैसों का भुगतान जिलों के अफसरों ने नहीं किया है।
हैरानी की बात ये है कि हमीरपुर डीसी ऑफिस के पास पर्यटन निगम की 5 लाख रुपए की देनदारी बाकी है। एक साल 4 महीने से हमीरपुर डीसी ऑफिस ने ये देनदारी पर्यटन निगम को नहीं दी है। इस मामले को लेकर पर्यटन निगम की ओर से हमीरपुर डीसी ऑफिस से 3 बार पत्राचार हो चुका है, लेकिन अभी तक इस राशि का भुगतान नहीं किया गया है। मामले की जानकारी पर्यटन निगम बिलासपुर के मैनेजर व डीडीओ तुलसीराम ठाकुर द्वारा दी गई। हिमाचल प्रदेश पर्यटन निगम बिलासपुर के मैनेजर व डीडीओ तुलसीराम ठाकुर ने बताया कि हमीरपुर डीसी ऑफिस के साथ-साथ डीसी ऑफिस कुल्लू, डीसी ऑफिस बिलासपुर, एम्स बिलासपुर, सीएमओ बिलासपुर, छात्रा स्कूल बिलासपुर की भी काफी सारी देनदारी पेंडिंग पड़ी हुई हैं, लेकिन अब पर्यटन निगम बिलासपुर ने इन सभी विभागों को पत्राचार कर दिया है। पर्यटन निगम ने सभी से जल्द से जल्द पेंडिंग पेमेंट को पूरा करने के लिए कहा है।
गौरतलब है कि हिमाचल प्रदेश पर्यटन विकास निगम एचपीटीडीसी ने 48 घंटे के अंदर रिकवरी के आदेश जारी किए हैं। हिमाचल हाईकोर्ट के 12 नवंबर के आदेशों के तहत निगम के प्रबंध निदेशक राजीव कुमार ने सभी होटल यूनिट प्रबंधकों को आदेश जारी किए हैं। अपने आदेशों में उन्होंने स्पष्ट कहा है कि सरकारी विभागों, बोर्ड और निगमों से जो पैसे की रिकवरी की जानी है, उसे 30 नवंबर तक पूरा कर लिया जाए। पर्यटन विकास निगम के होटलों में आयोजित होने वाले कार्यक्रमों के एवज में देनदारियां न चुकाने के कारण निगम का घाटा बढ़ता जा रहा है। घाटा ज्यादा होने के चलते पर्यटन निगम अपने कर्मचारियों और पेंशनर्स की देनदारी नहीं चुका पा रहा है। बता दें कि हिमाचल प्रदेश में पहले से ही पर्यटन निगम के होटल घाटे में चल रहे हैं। पर्यटन निगम की ओर से इन होटल्स को घाटे से निकालने की कोशिश की जा रही है, लेकिन सरकारी विभागों के पास लाखों रुपयों की राशि पेंडिंग है। ऐसे में पर्यटन निगम को उम्मीद है कि अगर इस राशि का उन्हें भुगतान हो जाता है तो इससे पर्यटन निगम को थोड़ी राहत मिलेगी।
घाटे के दलदल में फंसे हिमाचल प्रदेश पर्यटन विकास निगम (एचपीटीडीसी) को राज्य के विभिन्न सरकारी विभागों से 4.13 करोड़ रुपये से अधिक रुपये लेने हैं। इसके अलावा पर्यटन विकास निगम को निजी संस्थाओं से एक करोड़ रुपये से अधिक की रकम लेनी है। ये कुल रकम 5.19 करोड़ रुपये से अधिक बनती है। घाटे में चल रहे पर्यटन विकास निगम के लिए ये रकम काफी बड़ी है, लेकिन इसे वसूल करने में निगम सफल नहीं रहा है। अब मामला हाईकोर्ट में है। हाईकोर्ट ने पर्यटन विकास निगम की डांवाडोल आर्थिक हालत को सुधारने के लिए कड़े निर्देश जारी किए थे। इसी कड़ी में हाईकोर्ट ने निगम के कर्ता-धर्ताओं से सारे ब्यौरे तलब किए हैं। इसी कड़ी में हाईकोर्ट को बताया गया कि सरकारी विभागों व निजी संस्थाओं पर निगम की करोड़ों रुपये की देनदारी है। इस पर हाईकोर्ट ने आदेश जारी किए हैं कि विभागों पर पर्यटन विकास निगम की देनदारियों को वसूला जाए। हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति अजय मोहन गोयल के समक्ष मामले की सुनवाई हो रही है। न्यायमूर्ति अजय मोहन गोयल ने प्रदेश के एडवोकेट जनरल को आदेश जारी करते हुए कहा कि वो ये सुनिश्चित करें कि मामले पर अगली सुनवाई तक सभी विभागों द्वारा पर्यटन विकास निगम की तमाम देनदारियों का भुगतान कर दिया जाए।
मामले पर सुनवाई के दौरान हिमाचल प्रदेश पर्यटन विकास निगम के अधिवक्ता ने अदालत को बताया कि इस साल 31 अगस्त तक निगम की हिमाचल प्रदेश सरकार के विभिन्न विभागों पर 4 करोड़, 13 लाख, 41 हजार 848 रुपये की राशि बकाया है। इसके अलावा निगमों व अन्य निजी संस्थाओं पर 1 करोड़, 06 लाख, 28 हजार 422 रुपये की रकम बकाया है। इस तरह से इस साल 31 अगस्त तक अलग-अलग देनदारों पर कुल मिलाकर 5 करोड़, 19 लाख, 70 हजार 270 रुपये की राशि बकाया है। हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार के महाधिवक्ता को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि पर्यटन विकास निगम को विभिन्न सरकारी विभागों पर बकाया 4 करोड़ 13 लाख 41 हजार 848 रुपये की रकम अगली तारीख से पहले तुरंत चुकाई जाए। पर्यटन विकास निगम वसूली नहीं कर पाया, इसलिए होटल बेचने का आदेश जारी किया गया है। (हिफी)

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