बेटियों ने चूर किया चीन का गुरूर

(एससी मिश्र-हिफी फीचर)
हमारे देश मंे क्रिकेट का जुनून रहता है लेकिन ओलंपिक तक में हाकी मंे हमने बड़ों-बड़ों को पछाड़ा है। महिलाएं भी खेल जगत मंे देश का नाम रोशन कर रही हैं। इस मामले मंे हरियाणा का नाम सबसे पहले आता है जहां कुश्ती से लेकर हाकी और क्रिकेट में बेहतरीन खिलाड़ी निकले हैं। अभी हाल मंे हरियाणा की गोल्डन गर्ल दीपिका ने भारतीय महिला हाकी टीम को एशिया का सिरमौर साबित किया। बिहार शरीरफ मंे हाकी की चैंपियंस ट्राफी मंे भारतीय टीम ने अपनी बादशाहत कायम रखते हुए ओलंपिक के रजत पदक विजेता चीन को पराजित कर तीसरी बार एंशियाई चैंम्पियंस ट्राफी पर कब्जा किया है। इस मैच में गोल्डन गर्ल दीपिका ने खूब चमक बिखेरी। दीपिका ने मैच के 31वें मिनट में गोल कर चीन को 1-0 से शिकस्त दी है। इस प्रकार भारत की बेटियों ने चीन का गुरूर ही नहीं सपना भी चकनाचूर कर दिया है। चीन को तीसरी बार फाइनल मंे भारत के हाथों हार मिली है। भारत की बेटियों ने पिछली बार रांची में और 2016 मंे सिंगापुर मंे यह खिताब जीता था। बिहार पहली बार हाकी मैच की मेजबानी कर रहा था। वहां इस मैच को एक उत्सव के रूप मंे मनाया गया। जगह-जगह होर्डिंग और साइन बोर्ड के जरिए हाकी को बिहार का पर्व बताया गया। भारतीय महिला हाकी टीम की इस ऐतिहासिक जीत पर बिहार सरकार ने जमकर पैसे भी लुटाए हैं। टीम के मुख्य कोच हरेन्द्र सिंह को 10 लाख रुपये, सपोर्टिंग स्टाफ को 5 लाख और टीम की प्रत्येक खिलाड़ी को 10-10 लाख रुपये नकद देने की घोषणा की गयी।
गोल्डन गर्ल दीपिका के टूर्नामेंट में 11वें गोल की मदद से भारत ने ओलंपिक रजत पदक विजेता चीन को 1-0 से हराकर महिला एशियाई चैंम्पियंस ट्रॉफी हॉकी खिताब बरकरार रखा। पिछले साल रांची में और 2016 में सिंगापुर में यह खिताब जीत चुकी भारतीय टीम ने जबर्दस्त तालमेल और संयम का परिचय देते हुए चीन को हाशिये पर रखा। पहला हाफ गोलरहित रहने के बाद दूसरे हाफ के पहले ही मिनट में भारत को मिले पेनल्टी कॉर्नर पर दीपिका ने गोल करके खचाखच भरे बिहार खेल यूनिवर्सिटी स्टेडियम में मौजूद दर्शकों में उत्साह का संचार कर दिया। दूसरे हाफ के पहले ही मिनट में भारत को लालरेम्सियामी ने पेनल्टी कॉर्नर दिलाया। इस पर पहला शॉट चूक गया लेकिन गेंद सर्कल के भीतर ही थी और नवनीत की स्टिक से डिफ्लैक्ट होकर दीपिका के पास पहुंची जिसने शानदार फ्लिक से उसे गोल के भीतर डाला। भारत के पास तीसरे क्वार्टर में ही बढत दुगुनी करने का सुनहरा मौका था लेकिन 42वें मिनट में मिले पेनल्टी स्ट्रोक पर दीपिका का शॉट चीन की गोलकीपर ने दाहिनी ओर डाइव लगाकर बचा लिया।
भारत को चौथे क्वार्टर में भी एक पेनल्टी कॉर्नर मिला लेकिन वैरिएशन का कोई नतीजा नहीं निकला। इससे पहले चीन ने शुरूआती मिनट से गेंद पर नियंत्रण के मामले में दबदबा बनाये रखा। पहले हाफ में हालांकि भारतीय टीम आठ बार चीन के सर्कल में घुसी और चीनी टीम पांच बार ही हमले बोल सकी लेकिन उसने भारतीय खिलाड़ियों को गेंद आसानी से नहीं लेने दी। वहीं भारतीय खिलाड़ी एक बार फिर फिनिशंग टच के लिये जूझते रहे। जापान के खिलाफ सेमीफाइनल में 16 पेनल्टी कॉर्नर में से एक भी तब्दील नहीं कर सकी भारतीय टीम की कमजोरी फाइनल में पहले 30 मिनट में फिर देखने को मिली जब उसे मिले चार पेनल्टी कॉर्नर बेकार गए। भारत के पास चौथे मिनट में गोल करने का मौका था जब सुनेलिटा टोप्पो दाहिने फ्लैंक से अकेले गेंद लेकर आगे बढी लेकिन उनके प्रयास को चीन की गोलकीपर ने नाकाम कर दिया। दूसरे क्वार्टर में तीसरे ही मिनट में चीन को पेनल्टी कॉर्नर मिला लेकिन तान झिंझुयांग के शॉट को भारतीय गोलकीपर बिछू देवी ने दाहिने ओर डाइव लगाकर बचाया और रिबाउंड पर भी गोल नहीं होने दिया। इस बीच भारत को 20वें से 21वें मिनट के भीतर मिले चार पेनल्टी कॉर्नर बेकार गए। पहले पर दीपिका का शॉट गोलपोस्ट के ऊपर से निकल गया जबकि दूसरा गोलकीपर ने और तीसरा डिफेंडर ने बचाया। चौथे पेनल्टी कॉर्नर पर वैरिएशन भी असफल रहा।
दीपिका सहरावत (जन्म 6 दिसंबर 2003) एक भारतीय फील्ड हॉकी खिलाड़ी हैं। वह 2022 एशियाई खेलों में कांस्य पदक जीतने वाली टीम का हिस्सा थीं। वह फॉरवर्ड के रूप में खेलती हैं और ड्रैग-फ्लिक्स में माहिर हैं। वह घरेलू स्तर के टूर्नामेंटों में इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड की हॉकी टीम का हिस्सा हैं। भारत के लिए एशियन चैंपियंस ट्रॉफी महिला हॉकी में सबसे ज्यादा गोल जमाने वाली दीपिका सेमीफाइनल में जापान के खिलाफ कोई गोल नहीं कर पाईं। लेकिन भारत की 2-0 से जीत की राह बनाने वाली वही रहीं।
पहले तीन क्वॉर्टर गोल रहित बीत जाने के बाद आखिरी क्वार्टर में दीपिका के प्रयास से ही भारत को पेनल्टी स्ट्रोक मिला, जिसे नवनीत कौर ने गोल में बदलकर भारत को बढ़त दिलाई। इस सफलता के बाद भारत के खेल में और निखार आया और वह लालरेमसेमी के गोल से 2-0 से जीत पाने में सफल हो गई।
दीपिका जैसी खिलाड़ी कम ही देखने को मिलती हैं। वे टीम की फॉरवर्ड खिलाड़ी होने के साथ ही ड्रैग फ्लिकर भी हैं। आमतौर पर ड्रैग फ्लिकर डिफेंडर होते हैं। इसकी वजह से डिफेंडर मजबूत कद काठी के होते हैं और उनकी ताकत उनके शॉट्स में दिखती है। लेकिन दीपिका इस मामले में अलग हैं। असल में दीपिका में डिफेंडरों जैसी ताकत है और इसकी वजह ये है कि वे पहलवानी वाले खानदान से आती हैं। दीपिका कहती भी हैं कि पहलवानी खानदान से आने की वजह से उन्हें विरासत में ताकत मिली है।
दीपिका के हॉकी खिलाड़ी बनने की कहानी भी कम दिलचस्प नहीं है। वे हरियाणा के रोहतक के पास के गाँव की हैं। उनके भाई हिसार स्थित कुश्ती केंद्र में ट्रेनिंग करने जाते थे। पिता बेटे के साथ दीपिका को भी ले जाते थे। लेकिन दीपिका को लगता था कि उनके लिए पहलवान बनना संभव नहीं है।
इसलिए वह केंद्र में हॉकी की ट्रेनिंग देखने लगीं। हॉकी कोच आजाद सिंह मलिक ने उनकी हॉकी में दिलचस्पी देखकर उससे हॉकी खेलने को कहा और वह लगभग एक दशक में देश की स्टार बन गई हैं। जापान के खिलाफ सेमी फाइनल मैच में भारत की जीत की कहानी आखिरी क्वार्टर में लिखी गई। पहले तीन क्वार्टर भारत के एक के बाद एक हमले बनने और मौके गंवाने के लिए याद किया जाएगा। लेकिन आखिरी क्वार्टर के दूसरे मिनट में दीपिका दाहिने फ्लैंक से गेंद लेकर सर्किल में पहुंची और जब वह लक्ष्य पर निशाना साधने जा रहीं थीं, तब ही एक जापानी डिफेंडर ने उन्हें गिरा दिया। इस पर अंपायर ने पेनल्टी स्ट्रोक दिया। जापान ने इस पर रेफरल लिया, लेकिन पेनल्टी स्ट्रोक बरकरार रहा। नवनीत कौर ने स्ट्रोक को गोल में बदलकर भारत को मैच में बढ़त दिला दी।
एक गोल जमाते ही भारतीय हमलों में अच्छा तालमेल दिखने लगा और दाहिने फ्लैंक से ही बने हमले में गोल के सामने लालरेमीसेमा को पास मिला और उन्होंने कोई गलती किए बगैर गेंद को गोल में डालकर भारत की जीत तय कर दी।
पिछले ओलंपिक में नहीं खेल पाने की वजह से कोच हरेंद्र सिंह ने नई ओलंपिक साइकिल में यंग ब्रिगेड पर भरोसा किया है। इसका फायदा भी मिला। (हिफी)