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गौतम अडानी पर फिर संकट!

देश के दिग्गज उद्योगपति गौतम अडानी पर हिंडनबर्ग रिपोर्ट के बाद एक बार फिर संकट छाया हुआ है। दरअसल, 20 नवम्बर को अमेरिका ने कहा कि अडानी ने सोलर एनर्जी के कॉन्ट्रैक्ट हासिल करने के लिए भारतीय अधिकारी को मोटी रिश्वत दी है, जो लगभग250 मिलियन डॉलर के आस-पास है। इसके अगले दिन अमेरिकी अभियोजकों ने अडानी के खिलाफ वारंट जारी किया। बता दें कि जब कोई भी कंपनी अमेरिका में अपना व्यापार करती है तो, वहां के कानून के मुताबिक अभियोजक रिश्वतखोरी और धोखाधड़ी के मामले में जांच कर सकते हैं। हालांकि। अडानी ग्रुप ने कहा कि अमेरिकी अभियोजकों की ओर से लगाए गए सभी आरोप बेबुनियाद और मनगढ़ंत हैं। यह किसी साजिश के तहत छवि धूमिल करने की कोशिश की गई है। इस मामले के सामने आने के बाद विपक्ष के नेता लगातार गौतम अडानी पर निशाना साध रहे हैं। केंद्र सरकार ने अभी तक किसी भी प्रकार की टिप्पणी नहीं की है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने तत्काल प्रभाव से अडानी को अरेस्ट करने की बात कही है।
कानून के मुताबिक, अमेरिकी सरकार भारत सरकार से अडानी के प्रत्यार्पण के लिए अनुरोध करेगी। इसके बाद देश की कोर्ट में इस बात का मूल्यांकन किया जाएगा कि गौतम अडानी पर अमेरिका की ओर से लगाए गए सभी आरोप भारतीय कानून के तहत लागू होते हैं या नहीं। इसके अलावा, इस मामले में किसी भी प्रकार का पॉलिटिकल या मानवाधिकार संबंधित कोई परेशानी तो नहीं है। हालांकि गौतम अडानी अपने प्रत्यर्पण को लेकर अदालत के सामने विरोध कर सकते हैं, लेकिन इसकी प्रक्रिया जटिल और लंबी हो जाएगी। गौतम अडानी अभी तक अमेरिकी कोर्ट के सामने नहीं पेश हुए हैं और उनकी ओर से आरोपों के खिलाफ किसी भी प्रकार की कोई दलील नहीं पेश की गई है। अगर भारत सरकार की ओर से प्रत्यर्पण की इजाजत दी जाती है तो , अडानी सरेंडर कर सकते हैं।

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