चुनाव से पहले तेजस्वी का बड़ा दांव

(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)
बिहार मंे अगले साल अर्थात् 2025 मंे विधानसभा के चुनाव होने हैं। हालांकि उससे पहले दिल्ली मंे विधानसभा के चुनाव होंगे लेकिन बिहार के चुनाव की चर्चा अभी से होने लगी है। इसका प्रमुख कारण है महाराष्ट्र का विधानसभा चुनाव। महाराष्ट्र में शिवसेना छोड़कर आये एकनाथ शिंदे के नेतृत्व मंे सरकार चल रही थी। उस समय भी भाजपा के पास 105 विधायक थे और शिंदे के साथ सिर्फ 40 विधायक थे। एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री बने थे। इस बार जब विधानसभा चुनाव हुए तब भी शिंदे ही मुख्यमंत्री थे लेकिन नतीजे घोषित होने के बाद भाजपा ने अपना मुख्यमंत्री बनाया। बिहार में भी ऐसे ही हालात सामने आ सकते हैं। वहां भाजपा के ज्यादा विधायक हैं लेकिन जद(यू) नेता नीतीश कुमार मुख्यमंत्री हैं। अगले चुनाव में भी इसी तरह के समीकरण रहने की संभावना है। हालांकि विपक्षी दलों के गठबंधन इंडिया के घटक राष्ट्रीय जनता दल (राजद) का यहां वर्चस्व है। कांग्रेस उसके पीछे खड़ी होगी। राजद के नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने अभी से चुनाव की जोरदार तैयारी शुरू कर दी है। उन्होंने गत 4 दिसम्बर को घोषणा की है कि अगर राज्य में महागठबंधन की सरकार बनती है तो प्रदेश के लोगों को 200 यूनिट बिजली मुफ्त दी जाएगी। इस तरह के और भी लुभावने वादे किये गये हैं। उधर, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी चुनाव की तैयारी मंे कमर कस ली है। उन्हांेने एनडीए की बैठक बुलाकर 225 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है। राज्य में हुए उपचुनाव में एनडीए की ही जीत हुई।
बिहार विधानसभा चुनावों से कुछ महीने पहले राष्ट्रीय जनता दल यानी कि राजद के नेता तेजस्वी यादव ने एक बड़ा दांव चल दिया है। तेजस्वी ने वादा किया कि अगर विधानसभा चुनाव में ‘महागठबंधन’ की सरकार बनती है तो सूबे के लोगों को 200 यूनिट मुफ्त बिजली दी जाएगी। पूर्व उपमुख्यमंत्री ने मुंगेर में यह भी कहा कि राजद अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले जनता के साथ शेयर किया जाने वाला एक ‘रोडमैप’ तैयार कर रहा है। अब देखना यह है कि क्या बीजेपी और जेडीयू तेजस्वी यादव के इस ऐलान का काट निकाल पाती हैं। तेजस्वी यादव ने कहा, ‘राज्य के लोग काफी ज्यादा बिजली दरों और ‘स्मार्ट प्रीपेड मीटर’ द्वारा अनियमित बिजली बिल से जूझ रहे हैं। हम बिलों को सही करने और 200 यूनिट फ्री बिजली प्रदान कर लोगों को राहत पहुंचाने का इरादा रखते हैं। हम सत्ता में आने पर ऐसा जरूर करेंगे लेकिन तब तक हम इसके लिए नीतीश कुमार सरकार पर दबाव बनाएंगे।’ विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अब वह नहीं रहे जो वे थे। उन्होंने कहा कि नीतीश एक ऐसे गठबंधन के मुखौटे बनकर रह गए हैं, जो राज्य में सत्ता संभाल रहा है।
तेजस्वी यादव ने जद(यू) सुप्रीमो नीतीश कुमार पर केंद्र में एनडीए सरकार का अभिन्न अंग होने के बावजूद बिहार को विशेष दर्जा दिलाने और वंचित जातियों के लिए बढ़ा हुआ कोटा प्रदान करने वाले कानूनों की रक्षा करने में विफल रहने का आरोप लगाया। उन्होंने सीएम द्वारा जल्द ही निकाली जाने वाली महिला संवाद यात्रा पर टिप्पणी करते हुए इसे जनता के पैसे की बर्बादी कहा और आरोप लगाया कि नौकरशाही को लूट में लिप्त होने की खुली छूट दी गई है। बता दें कि इस यात्रा के लिए 250 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया है। बिहार में 2025 में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं और तेजस्वी की पार्टी सत्ता में आने की उम्मीद संजोए बैठी है।
इस चुनाव की अहमियत को देखते हुए राजद नेता तेजस्वी यादव पहले से ही सभाएं कर रहे हैं। दूसरी ओर अब सीएम नीतीश कुमार ने भी कमर कस ली है और चुनावी तैयारियों में जुट गए हैं। सीएम नीतीश ने एनडीए की बैठक बुलाई जिसमें भाजपा, लोजपा (रामविलास) समेत विभिन्न दलों के नेताओं ने भाग लिया। इस बैठक में साल 2025 के विधानसभा चुनाव में 225 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा गया। बैठक में ये भी तय किया गया है कि एनडीए के सभी घटक दलों के बीच बेहतर समन्वय के लिए जिला स्तर पर भी बैठकें भी होंगी।
एक अणे मार्ग स्थित मुख्यमंत्री के आवास पर हुई बैठक में सीएम नीतीश कुमार ने एनडीए के सभी घटक दलों को एकजुट रहने को कहा। सीएम नीतीश ने साल 2010 में हुए विधानसभा चुनाव जैसी जीत फिर दोहराने की बात कही है। उन्होंने सरकार की योजनाओं को जनता तक पहुंचाने को कहा है। बिहार में विधानसभा चुनाव में अभी वक्त है। अभी ही बैठक बुलाए जाने पर नेताओं ने कहा कि इस बैठक से कार्यकर्ताओं के बीच सकारात्मक संदेश जाएगा और वे चुनावी लड़ाई के लिए खुद को तैयार कर पाएंगे। नेताओं ने कहा कि इसके लिए घटक दलों के बीच सही तालमेल जरूरी है और आज की बैठक इसी उद्देश्य से बुलाई गई है।
विकासशील इंसान पार्टी के सुप्रीमो मुकेश सहनी भी बिहार की सियासत का एक प्रमुख चेहरा बन चुके हैं। कभी एनडीए का घटक दल रही उनकी पार्टी आजकल राष्ट्रीय जनता दल के साथ गठबंधन में है। हालांकि पिछले कुछ दिनों से सियासी गलियारों में ऐसी अटकलें लगने लगी हैं कि सहनी की पार्टी एक बार फिर एनडीए में शामिल हो सकती है। हालांकि सहनी ने बातचीत के दौरान ‘जन सुराज’ के सूत्रधार प्रशांत किशोर की भी खुलकर तारीफ की एनडीए में शामिल होने की अटकलों पर मुकेश सहनी ने कहा, ‘पहले निषाद आरक्षण मिले। प्राण भी मांगेंगे तो दे देंगे। रही बात राजनीतिक फैसले की तो फिर हमारी पार्टी मिलकर इस पर डिसीजन लेगी। पार्टी का फैसला हम अकेले नहीं ले सकते।’ मुकेश सहनी ने प्रशांत किशोर की जमकर तारीफ की और कहा, ‘प्रशांत किशोर जो बात कर रहे हैं, बिहार की भलाई के लिए बात कर रहे हैं, लोग उनको सुन भी रहे हैं। वह अगर अच्छे तरीके से जमीन पर उतरेंगे तो बिहार का भला होगा।
सहनी ने कहा, ‘2014, 2015 और 2020 में हमने बीजेपी के साथ काम किया। देश के प्रधानमंत्री और गृह मंत्री ने हमेशा निषाद आरक्षण का वादा किया तो हमने जो काम किया उसकी मजदूरी के तौर हमें आरक्षण चाहिए। देश का पीएम होने के नाते उनका धर्म और कर्तव्य है कि देश में जो समस्या है उसे दूर करें। अगर बंगाल और दिल्ली में निषाद को आरक्षण है तो बिहार में भी मिलना चाहिए। प्रधानमंत्री का यह धर्म और कर्तव्य है। पहले वह निषाद आरक्षण करें, उसके बदले में व्यक्तिगत हमसे प्राण मांगेंगे तो हम प्राण दे देंगे भाजपा को।’ तेजस्वी को उपचुनावों के नतीजे से धक्का लगा है। तरारी, बेलागंज, रामगढ़, इमामगंज में उम्मीदवारों की नहीं बल्कि उनके सरपरस्तों का इम्तिहान था। वोट की गिनती के बीच उम्मीदवार से ज्यादा उनके अपने बेचैन थे। वजह भी थी, बात अगर रामगढ़ की करें तो यहां राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के बेटे अजीत सिंह मैदान में थे। तरारी में दिग्गज नेता सुनील पांडेय के बेटे विशाल प्रशांत बीजेपी के टिकट पर पहली बार राजनीति के मैदान में उतरे। वहीं बेलागंज में वर्तमान सांसद सुरेंद्र यादव के बेटे विश्वनाथ यादव को राजद ने मैदान में उतारा, जबकि इमामगंज में केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी की बहू दीपा मांझी थीं।
रामगढ़ का मुकाबला तो सांस रोक देने वाला रहा। कयास लगाए जा रहे थे कि राजद के बिहार अध्यक्ष जगदानंद सिंह के छोटे बेटे अजीत सिंह सांसद बन चुके बड़े भाई सुधाकर सिंह की सीट बरकरार रखेंगे लेकिन उन्हें जनता ने तीसरे नंबर पर ढकेल दिया। हालांकि बीजेपी के अशोक सिंह मामूली अंतर से चुनाव जीते। लेकिन राजद को बड़ा झटका लगा है। (हिफी)