कतर के अमीर की मोदी ने की प्रोटोकाल तोड़कर अगवानी

कतर के अमीर शेख तमीम बिन हमद अल-थानी भारत यात्रा पर हैं। प्रधानमंत्री मोदी खुद पालम हवाईअड्डे पर उनकी अगवानी करने पहुंचे। ये देश दुनिया का ऐसा उदाहरण है, जो कम देखने को मिलता है। कतर कैसे गरीब से धनी नहीं बल्कि सुपर रिच या जबरदस्त धनी देश बन गया।
कतर मिडिल ईस्ट के सबसे छोटे देशों में एक है। आबादी केवल 28 लाख। इसमें भी करीब 90 फीसदी प्रवासी यानि दूसरे देशों के हैं, जो यहां काम करने के सिलसिले में रहते हैं। 1925 तक कतर को रहने लायक नहीं समझा जाता था। यहां के लोग दूसरे मुल्कों की तरफ पलायन कर रहे थे। आज कतर मध्य पूर्व के सबसे रईस देशों में शुमार होता है। कतर महज 12,000 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ देश है। इसे कभी मछुआरों का देश कहा जाता था। एक समय तक यहां की ज्यादातर आबादी मछुआरे या खानबदोश थी। ऐसे में ये लोग किसी भी एक जगह पर टिकते ही नहीं थे। कतर में साल 1930 से 1940 के बीच भयंकर आर्थिक संकट के हालात पैदा हो गया। देश की अर्थव्यवस्था चरमरा गई। उस दौर में कतर की करीब 30 फीसदी आबादी पलायन कर गई। साल 1939 कतर के लिए किस्मत बदलने वाला साबित हुआ। इसी साल इस देश में पहला तेल का कुआं खोजा गया। यह कुआं कतर की राजधानी दोहा से 80 किमी दूर दुखान में मिला। कुएं की खोज ठीक उसी समय हुई, जब पूरी दुनिया दूसरे विश्व युद्ध के कगार पर खड़ी थी। कतर ने इसका पूरा फायदा उठाया। दूसरे देशों को तेल बेचना शुरू किया। इससे उसका खजाने भरने लगा। किस्मत बदलने लगी। यहीं से गरीब कतर मिडिल ईस्ट का सबसे अमीर देश बनने की ओर चल पड़ा। कतर में खुशहाली लौटने लगी तो 1950 के बाद आबादी भी बढ़ने लगी। देश छोड़कर गए लोग वापस लौटने लगे। कतर के नागरिक ही नहीं, काम की तलाश में बड़ी तादाद में दूसरे देशों के लोग भी पहुंचने लगे। दुनिया के कई देशों को तेल की आपूर्ति करने से 1970 आते-आते कतर की जीडीपी 30 करोड़ अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गई। तेल की खोज ने जहां कतर की अर्थव्यवस्था को उबारा, तो प्राकृतिक गैस की खोज ने उसकी अर्थव्यवस्था को पंख दे दिए।