विश्व-लोक

बांग्लादेश का इतिहास बदल रहे हैं यूनुस

मोहम्मद यूनुस तो बांग्लादेश का इतिहास बदलने पर तुल गए हैं। वह उन हकीकत को झुठला रहे हैं, जो दुनिया की नजर में सच है। शेख हसीना से नफरत के चक्कर में मोहम्मद यूनुस बांग्लादेश का इतिहास ही बदलने लगे हैं। जी हां, अब मोहम्मद यूनुस बांग्लादेश में नया इतिहास पढ़ाना चाहते हैं। ऐसा इतिहास, जिसमें बांग्लादेश के निर्माण में शेख हसीना के पिता मुजीब की भूमिका कम हो, बांग्लादेश की आजादी की लड़ाई से भारत का रोल गायब हो। दरअसल, मोहम्मद यूनुस ने स्कूलों के लिए करीब 40 करोड़ किताबें छपवाई हैं। इन किताबों का मकसद है देश के संस्थापक शेख मुजीबुर्रहमान और उनकी बेटी पूर्व पीएम शेख हसीना से जुड़ी सामग्री को हटाना। इतना ही नहीं, इन किताबों से शेख मुजीब को तो हटाया ही गया है। बांग्लादेश की आजादी में भारत के योगदान को कम किया गया है।
नई किताबों में भारत की भूमिका का जिक्र तो है मगर काफी तस्वीरें हटा दी गई हैं। बांग्लादेश में बीते साल अगस्त में विरोध प्रदर्शनों हुआ था। इसके बाद 5 अगस्त को शेख हसीना की सरकार गिर गई थी। शेख हसीना बांग्लादेश छोड़ भारत आ गईं। उसके बाद वहां मोहम्मद यूनुस की अगुवाई में अंतरिम सरकार है। अब यूनुस की सरकार शेख हसीना और उनके परिवार के योगदान को खत्म करने में जुटी है। शेख हसीना की तस्वीरें और उनके बारे में लिखा टेक्स्ट सभी स्कूली पाठ्यपुस्तकों से पूरी तरह हटा दिया गया है।
शेख हसीना के पिता और देश के संस्थापक राष्ट्रपति शेख मुजीबुर रहमान से जुड़ा कंटेंट या तो हटा दिया गया है या उसे कम कर दिया गया है। बांग्लादेश के स्वतंत्रता आंदोलन में भारत की भूमिका को बरकरार रखा गया है, मगर मुजीबुर रहमान के साथ इंदिरा गांधी की तस्वीरें हटा दी गई हैं। किबाब के पीछे के कवर पर छात्रों के लिए हसीना का संदेश हटा दिया गया है। उसकी जगह 2024 के जुलाई में उनके शासन के खिलाफ हुए विद्रोह के दौरान बनाई गई कलाकृतियों की तस्वीरें लगाई गई हैं। ये कुछ बड़े बदलाव हैं जो इस साल बांग्लादेश में नेशनल करिकुलम एंड टेक्स्टबुक बोर्ड ने स्कूली पाठ्यपुस्तकों में किए हैं। इन बदलावों से प्रधानमंत्री शेख हसीना का जिक्र लगभग गायब हो गया है और उनके पिता मुजीब की आजादी की लड़ाई में भूमिका को कम करके दिखाया गया है। इन बदलावों के पीछे यूनुस का एक छिपा हुआ मकसद है- बांग्लादेश मुक्ति युद्ध में भारतीय नेतृत्व के योगदान को कम करके दिखाना। दिसंबर 1971 में भारतीय सेना और बांग्लादेश के स्वतंत्रता सेनानियों की संयुक्त सेना ने पाकिस्तान के सशस्त्र बलों को हराया था, जिससे बांग्लादेश का निर्माण हुआ था। बांग्लादेश की आजादी में भारत का क्या रोल रहा है, यह पूरी दुनिया जानती है।

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