भाजपा की अचूक चुनावी रणनीति

(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)
बिहार में राजद के नेता तेजस्वी यादव और उनके साथी जहां औरंगजेब और अन्य फिजूल के मुद्दों में उलझे हैं वहां भारतीय जनता पार्टी बीजेपी बिहार विधानसभा चुनाव के लिए अचूक चुनावी रणनीति बना रही है। भाजपा बिहार के बाहर रहने वाले बिहारियों पर ध्यान दे रही है। बीजेपी के आकलन के मुताबिक, लगभग 2 करोड़ बिहारी रोजगार की तलाश में देशभर में बसे हुए हैं। बिहार के स्थापना दिवस अर्थात 22 मार्च से 30 मार्च तक भाजपा ने इसी संदर्भ में विभिन्न राज्यों में बिहार दिवस के नाम पर कार्यक्रम प्रारम्भ कर दिये हैं । इन कार्यक्रमों में प्रवासी बिहारी समाज के साथ संवाद स्थापित किया जाएगा और बिहार में एनडीए सरकार की प्रमुख उपलब्धियों को बताया जाएगा। इस रणनीति को मुख्य मंत्री नीतीश कुमार भी नहीं समझ पाये लेकिन चौकन्ने जरूर हैं।
बिहार में अपनी सरकार बनाने के लिए भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) एक नई रणनीति पर काम कर रही है। केंद्र में लगातार तीन बार सत्ता में रहने वाली बीजेपी बिहार में अब तक अपने दम पर सरकार नहीं बना पाई है। इसी को ध्यान में रखते हुए, पार्टी अब प्रवासी बिहारियों को साधने की कोशिश कर रही है। इस रणनीति के तहत, 22 मार्च को बिहार दिवस के मौके पर बीजेपी ने ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत, स्नेह मिलन’ कार्यक्रम शुरू किया, जिसमें विभिन्न राज्यों में रहने वाले बिहार के लोगों से संवाद किया जाएगा।बिहार की राजनीति में जाति का अहम प्रभाव रहा है, जिसके चलते बीजेपी को सत्ता में आने के लिए नीतीश कुमार का समर्थन लेना पड़ा लेकिन अब पार्टी अपने दम पर सरकार बनाने की तैयारी कर रही है। इस प्रकार आगामी बिहार विधानसभा चुनाव से पहले, बीजेपी ने अपनी रणनीति तैयार कर ली है। पार्टी पहले ही नीतीश कैबिनेट का विस्तार कर सियासी समीकरणों को साध चुकी है। अब वह प्रवासी बिहारी वोटरों को लुभाने में जुटी है। बीजेपी ने ‘मिशन बिहार’ के तहत एक व्यापक योजना बनाई है, जिसके तहत देशभर में फैले बिहारियों तक पहुंच बनाई जाएगी। 22 मार्च से 30 मार्च तक पार्टी के नेता अलग-अलग राज्यों में बसे बिहार के लोगों के साथ बैठक करेंगे। इस पहल को शीर्ष नेतृत्व की मंजूरी मिलने के बाद इसकी पूरी रूपरेखा तैयार कर ली गई। बीजेपी ने बिहार दिवस पर 9 दिनों का ही कार्यक्रम बनाया, लेकिन पार्टी की योजना इसे चुनाव तक जारी रखने की है। इसके लिए 75 प्रवासी टोलियां बनाई गई हैं, जो अगले पांच महीनों तक बिहार चुनाव को ध्यान में रखते हुए काम करेंगी। कार्यक्रम के तहत विभिन्न सामाजिक और राजनीतिक समूहों से संवाद किया जाएगा। बीजेपी विभिन्न शहरों में छठ पूजा समितियों के साथ बैठकें कर प्रवासी बिहारियों से संवाद स्थापित करेगी। इन बैठकों में बिहार से जुड़ाव और जड़ों की ओर लौटने पर चर्चा होगी। पार्टी बिहारियों को राज्य में वोट डालने के लिए प्रेरित करने की भी योजना बना रही है।
बीजेपी के आकलन के मुताबिक, लगभग 2 करोड़ बिहारी रोजगार की तलाश में देशभर में बसे हुए हैं। इन्हें साधने के लिए 9 दिनों में कई राज्यों में कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। दिल्ली में पांच, झारखंड में सात, महाराष्ट्र में सात, उत्तर प्रदेश में छह, हरियाणा में सात, गुजरात, पश्चिम बंगाल और पंजाब में छह-छह कार्यक्रम होंगे। इसके अलावा, असम, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा और उत्तराखंड में भी बैठकें आयोजित की जाएंगी।
उल्लेखनीय है कि दिल्ली विधानसभा चुनाव के दौरान पूर्वांचली वोटरों को साधने के लिए बीजेपी ने ‘चोखा-बाटी’ कार्यक्रम चलाया था, जिसमें बिहारी मतदाताओं के साथ संवाद स्थापित किया गया था। दिल्ली में बिहार और यूपी के मतदाताओं का मामला आम आदमी पार्टी ने चुनाव आयोग तक पहुंचाया था। इसी तर्ज पर अब पार्टी पूरे देश में फैले प्रवासी बिहारियों के साथ बैठकें करने जा रही है। इसके लिए एक विशेष टीम गठित की गई है, जो प्रमुख शहरों में जाकर लोगों को बीजेपी के साथ जोड़ने का काम करेगी।
बिहार दिवस के मौके पर 22 मार्च को इस अभियान की शुरुआत हो गयी है और 30 मार्च तक यह अभियान चलेगा। इन बैठकों में उन लोगों को आमंत्रित किया जाएगा जो बिहार से बाहर सफल हुए हैं। बीजेपी उन्हें सम्मानित करेगी और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन भी करेगी। इन आयोजनों में बिहारी व्यंजनों के साथ सहभोज भी होगा। इसके साथ ही, बिहार के ऐतिहासिक योगदान को भी प्रदर्शित किया जाएगा। कार्यक्रम के दौरान बिहार में एनडीए सरकार द्वारा किए गए विकास कार्यों की जानकारी दी जाएगी। साथ ही, प्रवासी बिहारियों से आगामी विधानसभा चुनाव में सहयोग देने की अपील की जाएगी। इन बैठकों में बिहार बीजेपी के नेता, मंत्री, सांसद और विधायक भी शामिल होंगे। सोशल मीडिया के माध्यम से भी इस कार्यक्रम को व्यापक प्रचार दिया जाएगा।
भारतीय जनता पार्टी की इस नई रणनीति को लेकर राजनीतिक विश्लेषकों की मिलीजुली राय है। कुछ राजनीतिकों का मानना है कि यह अभियान बिहार में बीजेपी के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है, जबकि अन्य का कहना है कि बिहार की जटिल जातीय राजनीति में केवल प्रवासी वोटरों पर निर्भर रहना पर्याप्त नहीं होगा।बीजेपी का यह प्रयास बिहार की राजनीति में एक नया मोड़ ला सकता है। अगर पार्टी प्रवासी मतदाताओं को साधने में सफल रहती है, तो यह बिहार की सत्ता के समीकरणों को बदल सकता है। हालांकि, जातीय और सामाजिक संतुलन को ध्यान में रखते हुए बीजेपी को आगे की रणनीति बनानी होगी।बीजेपी के लिए बिहार में सत्ता तक पहुंचना एक बड़ी चुनौती है, लेकिन पार्टी इसे लेकर पूरी तरह तैयार नजर आ रही है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि यह रणनीति बिहार में कितना असर डालती है और क्या बीजेपी अपने दम पर सरकार बनाने में सफल हो पाती है या नहीं।
बिहार विधानसभा चुनाव में भले ही अभी सात-आठ महीने का वक्त हो, लेकिन बीजेपी अभी से ही इलेक्शन मोड में आ गई है। पार्टी की कोशिश बिहार से बाहर परदेस में रहने वाले लोगों को अपने पाले में पूरी तरह से लाने की है। इसके लिए दिन भी चुना गया है बिहार दिवस का। इस लिए 22 मार्च से देश के अलग-अलग राज्यों और अलग-अलग शहरों में रह रहे बिहार के लोगों को साधने की कवायद बीजेपी की तरफ से शुरू हो गई है। बीजेपी के प्लान के मुताबिक,पूरे देश में बिहार के बाहर रह रहे लोगों को साधने के लिए बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के निर्देश के मुताबिक, यह कार्यक्रम किया जा रहा है जिसमें शीर्षक दिया गया है “एक भारत श्रेष्ठ भारत, स्नेह मिलन कार्यक्रम”। इस रणनीति को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने बनाया है।सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन भी होगा और इन सब के साथ सहभोज कार्यक्रम भी होगा। इन कार्यक्रमों में भारत की संस्कृति और इतिहास में बिहार के योगदान को दिखाया जाएगा। इसके अलावा बिहार में एनडीए सरकार की उपलब्धियां को भी बताया जाएगा। साथ ही आगामी विधानसभा चुनाव के लिए प्रवासी बिहारी समाज से किस तरह का सहयोग लिया जाए इस पर भी चर्चा होगी। इन कार्यक्रमों में बिहार की संस्कृति, इतिहास, वहां के पर्यटन और दर्शनीय स्थल और विकास के सभी पहलुओं को लेकर प्रदर्शनी भी लगाई जाएगी। इस बात की पूरी व्यवस्था होगी कि इस कार्यक्रम में कम से कम 1000 प्रतिनिधि हों। इसके अलावा सोशल मीडिया पर भी इन कार्यक्रमों का ठीक तरीके से प्रचार प्रसार और कवरेज हो। इस कार्यक्रम में बीजेपी के बिहार सरकार के मंत्री विधायक सांसद और केंद्रीय मंत्री समेत कई बड़े नेता शिरकत करेंगे। सबसे बड़ी बात यह कि बिहार के लगभग अतिरिक्त 2 करोड़ मतदाताओं का ब्योरा भाजपा के हाथ में होगा। (हिफी)