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ग्वालियर का क्रूर डाकू था गब्बर, शोले मंे उसी की है कहानी

शोले भारतीय सिनेमा की एक ऐसी फिल्म है जिसने न सिर्फ बॉक्स ऑफिस पर इतिहास रचा, बल्कि इसके किरदार और संवाद आज भी लोगों के दिलों में रचे-बसे हैं। धर्मेंद्र, अमिताभ बच्चन, अमजद खान, जया बच्चन, हेमा मालिनी, संजीव कुमार, जगदीप और असरानी की इस फिल्म का निर्देशन रमेश सिप्पी ने किया। साल 1975 की सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्मों की लिस्ट में इसका नाम टॉप पर आता है। दिलचस्प यह है कि शोले वो फिल्म है, जिसे पहले हफ्ते फ्लॉप मान लिया गया था, लेकिन वर्ड ऑफ माउथ का ऐसा जादू चला कि इसने पांच साल तक सिनेमाघरों से उतरने का नाम ही नहीं लिया। आप जानते हैं कि शोले का डाकू गब्बर सिंह कहां से आया?
ग्वालियर के बीहड़ों में 1950 के दशक में एक ऐसा डाकू हुआ करता था, जिसके नाम से लोग थर-थर कांपते थे। उसका नाम था गब्बर सिंह, जो अपनी क्रूरता के लिए कुख्यात था। यह डाकू पुलिसवालों को अपना सबसे बड़ा दुश्मन मानता था और उनकी नाक-कान काटने में उसे मजा आता था। भिंड के डांग गांव में 1926 में जन्मा गब्बर सिंह पहले साधारण जीवन जीता था, लेकिन 1955 में डाकू कल्याण सिंह गुर्जर के गैंग में शामिल होने के बाद उसकी जिंदगी बदल गई। जल्द ही उसने अपना अलग गैंग बना लिया और चंबल घाटी में आतंक का पर्याय बन गया। इस पर 50 हजार रुपये का इनाम था। गब्बर सिंह के आतंक का अंत 13 नवंबर 1959 को हुआ। इस तरह 1975 में रिलीज हुई फिल्म शोले का किरदार गब्बर सिंह इसी असली डाकू से प्रेरित था। फिल्म के लेखक सलीम खान ने अपने पिता, जो मध्य प्रदेश पुलिस में थे, से गब्बर के किस्से सुने थे। इस तरह उन्होंने इस किरदार को गब्बर सिंह का नाम दिया। अमजद खान ने इस किरदार को इतनी शिद्दत से निभाया कि फिल्म थिएटर्स में 5 साल तक चली और कमाई के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए। शोले आज भी भारतीय सिनेमा की सबसे प्रतिष्ठित फिल्मों में से एक है। (हिफी)

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