सम-सामयिक

अयोध्या के कण-कण में हैं राम

(मनीषा-हिफी फीचर)
देश की सबसे बड़ी अदालत और पुरातात्विक दस्तावेज पहले ही साबित कर चुके हैं कि राम लला यहीं पर नरलीला करने को प्रकट हुए थे। यह राम लला का धाम है। यहां के कण-कण में राम हैं। अभी 23 जून को अयोध्या के राम मंदिर परिसर में एक नायाब चीज मिली है। यहां कुबेर टीला मार्ग निर्माण के दौरान प्राचीन अवशेष मिले हैं। मिली जानकारी के अनुसार जो अवशेष खुदाई के दौरान मिले हैं, वह हजारों साल प्राचीन बताए जा रहे हैं।
अयोध्या को लेकर मिली ताजा जानकारी के मुताबिक, कुबेर टीला मार्ग निर्माण के दौरान प्राप्त अवशेष में दो शेर और उस पर सवार देवी की आकृति प्रतीत हो रही है। यह अवशेष ऐतिहासिक दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण है। अवशेषों को लम्बे समय तक
संरक्षित करने के लिए ट्रस्ट ने प्रक्रिया तेज कर दी है। इससे पहले 2023 में खुदाई के दौरान प्राचीन मंदिर के
अवशेष मिले थे जिसमें कई मूर्तियां और स्तंभ थे। श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने इसकी जानकारी खुद सोशल मीडिया के जरिए दी थी। उन्होंने एक फोटो भी शेयर किया था। उस फोटो में सभी अवशेष इकट्ठा करके रखे गए थे। यह अवशेष उस वक्त मिले थे, जब राम मंदिर निर्माण कार्य चल रहा था। दर्जन भर से ज्यादा मूर्तियां, स्तंभ, शिलाओं में देवी-देवताओं की कलाकृतियां उभरी हुई हैं। उसी समय कहा गया था कि इन सभी अवशेषों को रामलला के मंदिर में श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए रखा जाएगा।
अयोध्या को ऐतिहासिक रूप से साकेत के नाम से जाना जाता था, खासकर संस्कृत, जैन, बौद्ध, ग्रीक और चीनी स्रोतों में. अयोध्या प्राचीन कोसल राज्य की राजधानी थी, इसलिए इसे कोसल भी कहा जाता था। अंग्रेजी में, अयोध्या को ‘अवध’ या ‘ओउदे’ भी कहा जाता था। 1856 तक, यह जिस रियासत की राजधानी थी, उसे आज भी अवध राज्य के नाम से जाना जाता है।
अयोध्या नाम भी प्राचीन काल से ही प्रयोग होता रहा है और इसका अर्थ है जिसे जीता न जा सके या जिसके साथ युद्ध करना असंभव हो।
अयोध्या में भव्य राम मंदिर निर्माण ने सिर्फ धार्मिकता को ही नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय टूरिज्म सेक्टर को भी नई दिशा दी है। श्रीलंका टूरिज्म प्रमोशन ब्यूरो और श्रीलंका कन्वेंशन ब्यूरो ने गत दिनों लखनऊ के गोमतीनगर स्थित एक फाइव स्टार होटल में बीटूबी नेटवर्किंग रोड शो आयोजित किया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य उत्तर भारत, विशेषकर उत्तर प्रदेश में पर्यटन के बाजार की संभावनाएं तलाशना और भारत-श्रीलंका पर्यटन सहयोग को बढ़ाना रहा। कार्यक्रम में ब्यूरो की सहायक निदेशक शिरानी हेरथ ने बताया कि जनवरी से मई 2025 तक श्रीलंका में कुल 10,29,803 पर्यटक पहुंचे। इनमें से 2,04,060 भारतीय थे। यानी कुल पर्यटकों का 20 फीसद हिस्सा भारत से आया। इस आंकड़े में अकेले उत्तर प्रदेश का योगदान 25 फीसदी है। उन्होंने बताया कि अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के बाद से यूपी से श्रीलंका जाने वालों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। ये धार्मिक और सांस्कृतिक टूरिज्म को नई ऊंचाई दे रहा है। ट्रैवल एजेंट्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (टीएएआई) की यूपी चेयरपर्सन हीना जैदी ने बताया कि यूपी से हर साल 10,000 से अधिक सैलानी श्रीलंका जाते हैं। यह संख्या लगातार बढ़ रही है क्योंकि यहां रामपथ और बुद्ध सर्किट दोनों ही श्रीलंका से जुड़े हुए हैं। ट्रैवल ऑपरेटर सुनील बी सत्यवक्ता के मुताबिक अयोध्या आने वाले विदेशी पर्यटक अब श्रीलंका की यात्रा को भी अपने शेड्यूल में जोड़ने लगे हैं। इससे दोनों देशों के धार्मिक पर्यटन को काफी लाभ हुआ है।
राम मंदिर एक महत्वपूर्ण और लगभग पूर्ण निर्मित मन्दिर है जो अयोध्या, उत्तर प्रदेश, भारत में है। जनवरी 2024 में इसका गर्भगृह तथा प्रथम तल बनकर तैयार किया गया और 22 जनवरी 2024 को इसमें श्रीराम के बाल रूप में विग्रह की प्राणप्रतिष्ठा की गई। यह मंदिर उस स्थान पर स्थित है जिसे राम का जन्मस्थान माना जाता है। राम जन्मभूमि का इतिहास 500 वर्षों से अधिक पुराना है और यह भारतीय इतिहास और संस्कृति में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। इस स्थल को भगवान राम के जन्मस्थान के रूप में मान्यता प्राप्त है और यह हिंदू धर्म के अनुयायियों के लिए एक पवित्र स्थल है। इस स्थल का इतिहास विवादों और संघर्षों से भरा हुआ है।
सन् 2019 में, भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने विवादित भूमि को मंदिर निर्माण के लिए हिंदुओं को देने का फैसला सुनाया, जबकि मुसलमानों को मस्जिद बनाने के लिए अयोध्या के धन्नीपुर में पास की जमीन दी गई। अदालत ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की एक रिपोर्ट को सबूत के रूप में संदर्भित किया, जिसमें ध्वस्त बाबरी मस्जिद के नीचे एक संरचना की उपस्थिति का सुझाव दिया गया था, जो गैर- इस्लामिक पाया गया था। मंदिर के आसपास की जमीन में आज भी देवी देवताओं की प्रतिमाएं मिलती हैं।
5 अगस्त 2020 को, राम मंदिर के निर्माण की शुरुआत के लिए भूमि पूजन भारत के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किया गया था। वर्तमान में निर्माणाधीन मंदिर परिसर की देखरेख श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट द्वारा की जा रही है। 22 जनवरी 2024 को, मोदी ने इस आयोजन के लिए अनुष्ठानों के मुख्य यजमान के रूप में कार्य किया और मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा समारोह का आयोजन श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र द्वारा किया गया था।
राम मंदिर का मूल डिजाइन 1988 में अहमदाबाद के सोमपुरा परिवार द्वारा तैयार किया गया था। सोमपुराओं ने कम से कम 15 पीढ़ियों से दुनिया भर में 100 से अधिक मंदिरों के डिजाइन में योगदान दिया है, जिसमें सोमनाथ मंदिर भी शामिल है। मंदिर के मुख्य वास्तुकार चंद्रकांत सोमपुरा थे, जिन्हें उनके दो बेटों, निखिल सोमपुरा और आशीष सोमपुरा ने सहायता प्रदान की, जो स्वयं भी वास्तुकार हैं। मंदिर 250 फीट (76 मीटर) चैड़ा, 380 फीट (120 मीटर) लंबा और 161 फीट (49 मीटर) ऊंचा है। अयोध्या का श्री राम मंदिर परिसर दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा हिंदू मंदिर बन गया। इसे नागरा शैली के मारू-गुर्जर वास्तुकला में डिजाइन किया गया है, जो मुख्य रूप से उत्तरी भारत में पाई जाने वाली हिंदू मंदिर वास्तुकला का एक प्रकार है। मौजूदा समय में मंदिर का एक मॉडल 2019 में प्रयाग कुंभ मेले के दौरान प्रदर्शित किया गया था। साधु-संतों ने इसको सर्व सहमति से स्वीकार किया था। (हिफी)

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button