भारतीय तीर्थ यात्री पहुंचे कैलाश मानसरोवर

भगवान शिव का निवास माने जाने वाले कैलाश पर्वत और मानसरोवर की पूजा-अर्चना के लिए तिब्बत रवाना हुआ भारतीय तीर्थयात्रियों का पहला जत्था बृहस्पतिवार को पवित्र स्थल पर पहुंचा। चीन के अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
भारत में चीन के राजदूत शू फेइहोंग ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘यह जानकर प्रसन्नता हुई कि तीर्थयात्रियों का पहला जत्था चीन के शिजांग (तिब्बत) स्वायत्त क्षेत्र में मपाम युन त्सो (मानसरोवर) झील पर पहुंच गया है।’’ कैलाश मानसरोवर की यात्रा के लिए गये 36 तीर्थयात्रियों का जत्था इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि वे पांच वर्ष के अंतराल के बाद इस पवित्र स्थान पर आने वाले भारतीय तीर्थयात्रियों का पहला समूह हैं।
पूर्वी लद्दाख गतिरोध के बाद भारत और चीन के बीच चार साल से अधिक समय तक द्विपक्षीय संबंधों में गर्मजोशी नहीं रही। पिछले साल रूस के कजान में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच बैठक के बाद दोनों देश संबंधों को फिर से बहाल करने पर सहमत हुए थे। कैलाश मानसरोवर यात्रा को फिर से शुरू करना दोनों देशों द्वारा संबंधों को सामान्य करने की दिशा में उठाया गया पहला कदम माना जा रहा है। इस साल कैलाश मानसरोवर के लिए 15 बैच रवाना होने हैं, जिसमें हर बैच में 50 यात्री शामिल रहेंगे। 5 बैच उत्तराखंड राज्य से लिपुलेख दर्रे को पार करते हुए और 10 बैच सिक्किम से नाथुला दर्रे को पार करते हुए यात्रा करेंगे। यात्रा जून से अगस्त 2025 के दौरान आयोजित की जाएगी।
विदेश मंत्रालय के मुताबिक, ‘केएमवाईडॉटजीओवीडॉटइन’ वेबसाइट पर आवेदन स्वीकार किए जा रहे हैं, साल 2015 के बाद से ऑनलाइन आवेदन होते हैं, कंप्यूटरीकृत प्रक्रिया के जरिए ही यात्रियों के रूट और बैच तय होते हैं, जिसमें बाद में आमतौर पर बदलाव नहीं होता, हालांकि जरूरी होने पर चयनित यात्री बैच में परिवर्तन के लिए अनुरोध कर सकते हैं, लेकिन ये परिवर्तन खाली स्थान उपलब्ध होने पर ही किया जाता है।’ कैलाश मानसरोवर यात्रा अपने धार्मिक मूल्य और सांस्कृतिक महत्व के लिए जानी जाती है। भगवान शिव के निवास के रूप में हिंदुओं के लिए ये महत्वपूर्ण स्थान है। जैन और बौद्ध अनुयायियों के लिए भी कैलाश मानसरोवर यात्रा का धार्मिक महत्व है।