चीन में सेना व परमाणु निगम के अधिकारी हटाये गये

चीन के राष्ट्रपति शी जिपिंग के खिलाफ क्या बगावत हो रही है? यह सवाल इसलिए पूछा जा रहा है क्योंकि जिनपिंग ने चीन की सबसे ताकतवर सेंट्रल मिलिट्री कमीशन (सीएमसी) में एक बड़ा उलटफेर किया है। पीएलए (पीपल्स लिबरेशन आर्मी) के सबसे सीनियर एडमिरल मियाओ हुआ को उनके पद से हटा दिया गया है। इसके अलावा देश के राष्ट्रीय परमाणु निगम के डिप्टी चीफ इंजीनियर लियू शिपेंग को चीन की संसद नेशनल पीपल्स कांग्रेस यानी एनपीसी से निकाल दिया गया है। साउथ चाइना सागर में जब चीन लगातार अपनी सैन्य तैनाती बढ़ा रहा है तब इस तरह का बदलाव हैरान करता है। कथित तौर पर सेना में भ्रष्टाचार के खिलाफ छेड़े गए शी जिनपिंग के अभियान के तहत बर्खास्तगी हुई है। पिछले दो सालों में चीन में दो रक्षा मंत्री, पीएलए की रॉकेट फोर्स के दो प्रमुख और कई रक्षा कारोबारियों को भी उनके पदों से हटाया गया है। ऐसा माना जा रहा है कि ये सारी कार्रवाइयां सैन्य उपकरणों की खरीद में हुए भ्रष्टाचार से जुड़ी हैं। बर्खास्त रक्षा मंत्री ली शांगफू खुद पहले सेना के ‘इक्विपमेंट प्रोक्योरमेंट डिपार्टमेंट’ के प्रमुख थे। मियाओ हुआ सीएमसी के ‘राजनीतिक कार्य विभाग’ के प्रमुख थे। यानी सेना में विचारधारा और निष्ठा सुनिश्चित करना उनका जिम्मा था। सरकारी बयान के मुताबिक, मियाओ को ‘अनुशासन के गंभीर उल्लंघन’ के आरोपों में पहले ही निलंबित किया गया था और अप्रैल में उन्हें एनपीसी से बाहर कर दिया गया। चीन जब ‘गंभीर उल्लंघन’ शब्द का इस्तेमाल करता है तो दरअसल यह भ्रष्टाचार के लिए इस्तेमाल होने वाला कोडवर्ड है। सीएमसी चीन की सबसे ताकतवर सैन्य संस्था है, जिसका नेतृत्व खुद शी जिनपिंग करते हैं। मियाओ की बर्खास्तगी 1960 के बाद से किसी सीएमसी अधिकारी के खिलाफ सबसे बड़ी कार्रवाई मानी जा रही है। इसके साथ ही सीएमसी के उपाध्यक्ष हे वेइडोंग पर भी जांच चल रही है। मियाओ 8वें ऐसे सीएमसी सदस्य हैं जिन्हें शी के सत्ता में आने के बाद हटाया गया है। ये वही अधिकारी हैं जिन्हें शी ने खुद चुना था, जिससे अब सवाल उठने लगे हैं कि क्या शी अपनी टीम में सही लोगों को चुन पा रहे हैं? चीनी नेतृत्व भले ही दुनिया के सामने ताकत और स्थिरता की छवि दिखाने की कोशिश कर रहा हो, लेकिन अंदर ही अंदर सैन्य व्यवस्था में हड़कंप मचा है। अमेरिका और चीन के बीच सैन्य संवाद पहले ही सीमित है, और अब इन बदलते चेहरों से वह और कमजोर पड़ सकता है।