कजाकिस्तान में महिलाओं को नकाब से आजादी

भारत के व्यापक पड़ोसी माने जाने वाले कजाकिस्तान में एक महत्वपूर्ण कानून पारित किया गया है। देश में बढ़ते धार्मिक कट्टरपंथ और सुरक्षा चिंताओं के बीच देश की संसद ने ये कदम उठाया है। इस कानून के तहत अब सार्वजनिक स्थानों पर नकाब और चेहरा ढकने वाले सभी प्रकार के कपड़ों पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। इस बिल को अब अंतिम मंजूरी के लिए कजाकिस्तान के राष्ट्रपति कासिम-जोमार्त टोकायेव के पास भेजा गया है। स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सरकार ने यह कदम सुरक्षा कारणों और देश की धर्मनिरपेक्ष पहचान को बरकरार रखने के लिए उठाया है। अधिकारियों का कहना है कि चेहरा ढकने वाले कपड़े लॉ एंड एनफोर्समेंट एजेंसियों के लिए किसी व्यक्ति की पहचान करना मुश्किल बना देते हैं। इससे देश की सार्वजनिक सुरक्षा को खतरा हो सकता है। हालांकि इस बिल में कुछ विशेष परिस्थितियों के लिए छूट भी दी गई है। अगर कोई व्यक्ति किसी मेडिकल रीजन, मौसम, दफ्तर की जरूरत, सांस्कृतिक कार्यक्रम या या सिविल डिफेंस के तहत चेहरा ढकता है, तो उसे इस बैन से छूट दी जाएगी। सरकार का कहना है कि ये कदम देश की धर्मनिरपेक्ष नीतियों और पारंपरिक सांस्कृतिक मूल्यों वाली छवि बनाए रखने के लिए उठाया गया है। अधिकारियों ने यह भी कहा कि नकाब और पूरी तरह चेहरा ढकने वाला लिबास इस्लाम में अनिवार्य नहीं है और यह परंपराएं अक्सर विदेशी धार्मिक प्रभावों से जुड़ी होती हैं।
राष्ट्रपति टोकायेव ने मार्च 2024 में भी ये बात कही थी कि नकाब एक पुरानी और अप्राकृतिक पोशाक है, इसे नए-नए कट्टरपंथियों ने देश की महिलाओं पर थोपा है। उन्होंने इसे कजाकिस्तान की पारंपरिक संस्कृति के खिलाफ बताया था। कजाकिस्तान की सड़कों इधर कुछ सालों में नकाब और पूरे शरीर को काले कपड़ों से ढकने वाली महिलाओं की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। ये देश के बदलते हुए धार्मिक रुझान को दिखाता है, जो उसकी सेकुलर छवि से बिल्कुल अलग है। इससे पहले साल 2017 में कजाकिस्तान में स्कूली छात्राओं के लिए हिजाब पहनने पर प्रतिबंध लगाया गया था। साल 2023 में यह प्रतिबंध सभी स्कूलों के छात्रों और शिक्षकों पर भी लागू कर दिया गया, जिसके विरोध में 150 से अधिक लड़कियों ने स्कूल न जाने का फैसला किया था। उस वक्त भी राष्ट्रपति टोकायेव ने स्पष्ट किया था कि स्कूल एक शैक्षणिक संस्था है, जहां धार्मिक पहनावे को जगह नहीं दी जा सकती।