दलाईलामा का उत्तराधिकारी को लेकर बड़ा बयान

दलाई लामा ने अपने उत्तराधिकारी के चयन को लेकर एक निर्णायक बयान देते हुए यह स्पष्ट कर दिया है कि उनके भविष्य के पुनर्जन्म (रिकार्नेशन) को मान्यता देने का एकमात्र अधिकार गदेन फोडरंग ट्रस्ट, यानी उनके आधिकारिक कार्यालय को ही है। यह घोषणा सीधे तौर पर चीन के उस प्रयास को चुनौती देती है, जिसमें वह दलाई लामा की विरासत और तिब्बती बौद्ध धर्म पर अपना प्रभाव जमाने की कोशिश करता रहा है, ऐसे में बौद्ध धर्मगुरु के ऐलान से चीन को मिर्ची लगी है। चीन ने कहा कि दलाई लामा के उत्तराधिकारी को सेंट्रल गवर्नमेंट से मंजूरी लेना अनिवार्य है। ऐसे में अब टकराव का नया रास्ता खुलने की संभावना बढ़ गई है। अपने बयान में दलाई लामा ने याद दिलाया कि साल 1969 में ही उन्होंने यह कह दिया था कि दलाई लामा संस्था की निरंतरता का निर्णय तिब्बती जनता और तिब्बती बौद्ध धर्म के अनुयायियों द्वारा लिया जाना चाहिए। साल 2011 में हुई एक औपचारिक घोषणा का हवाला देते हुए उन्होंने फिर से स्पष्ट किया कि अगले दलाई लामा की पहचान करने की जिम्मेदारी पूरी तरह से गदेन फोडरंग ट्रस्ट की होगी, जो इस कार्य को तिब्बती बौद्ध परंपराओं के प्रमुखों और धार्मिक संरक्षकों से परामर्श कर पूरा करेगा। दलाई लामा ने कहा, ‘मैं फिर से दोहराता हूं कि भविष्य में मेरे पुनर्जन्म को मान्यता देने का अधिकार सिर्फ गदेन फोडरंग ट्रस्ट को है। किसी और को इसमें हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं है।’ इस बयान से उन्होंने चीन की उन कोशिशों पर सीधा प्रहार किया है, जिनमें वह एक चीन-समर्थित दलाई लामा को नियुक्त करने की योजना बना रहा है।
दलाई लामा ने बताया कि पिछले 14 साल में उन्हें तिब्बत, प्रवासी तिब्बती समुदाय और एशिया के अन्य बौद्ध अनुयायियों (जैसे चीन, मंगोलिया और रूस) से लगातार अनुरोध मिलते रहे हैं कि इस पवित्र संस्था की निरंतरता सुनिश्चित की जाए। इन्हीं अनुरोधों के मद्देनजर उन्होंने अब यह औपचारिक रूप से स्पष्ट किया है कि दलाई लामा की परंपरा जारी रहेगी, लेकिन यह परंपरा सिर्फ धार्मिक और सांस्कृतिक मानदंडों के अनुसार चलेगी, किसी राजनीतिक ताकत के अधीन नहीं। यह घोषणा ऐसे समय में आई है जब चीन बार-बार यह संकेत देता रहा है कि वह अगले दलाई लामा की पहचान में अपनी भूमिका सुनिश्चित करना चाहता है।