लेखक की कलम

बिहार में लोक कलाओं का संरक्षण

(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)
बिहार में विधानसभा चुनाव अब तीन महीने के अंदर ही होने हैं। अभी चुनाव की तारीखें घोषित नहीं की गयी हैं, इसलिए नीतीश कुमार की सरकार को ऐसी घोषणाएं करने मंे कोई दिक्कत नहीं होगी जिससे उनकी पार्टी को वोट मिल सके। सत्ता विरोधी लहर मंे कुछ लोगों की नाराजगी का सामना करना पड़ सकता है लेकिन दूसरे तरीके से उसकी भरपाई भी हो जाती है। नीतीश कुमार राजनीति के बड़े खिलाड़ी हैं और उन्होंने इसी संदर्भ मंे गत 1 जुलाई को अपनी कैबिनेट से कई महत्वपूर्ण फैसले करवाये हैं। इनमंे गुरु-शिष्य परम्परा योजना विशेष रूप से आकर्षित करती है। दरअसल, मौजूदा समय मंे हैरी पार्टर को पढ़ने वाली पीढ़ी राज्य और देश की लोक कलाओं को भूल चुकी है। बिहार मंे नीतीश कुमार की सरकार, चुनाव के नाम पर ही सही, लेकिन एक अच्छा काम कर रही है। गुरु-शिष्य परम्परा योजना के तहत राज्य की लोक कलाओं को संरक्षित करने का प्रयास किया जाएगा। इसके तहत युवाओं को विशेषज्ञ गुरुओं द्वारा ट्रेनिंग दी जाएगी। नीतीश सरकार ने इस योजना मंे किसी प्रकार की आर्थिक बाधा न पड़े, इसके लिए 1 करोड़ 12 लाख रुपये का बजट पास किया है। इसी के साथ बिहार की सरकार अपने राज्य के कलाकारों को तीन हजार रुपये पेंशन भी प्रदान करेगी। लोक कलाओं और बुद्धिजीवियों को आर्थिक मदद देकर नीतीश सरकार ने ऐसा कदम उठाया है, जिसे राजनीति से हटकर देखा जाना चाहिए।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की
अध्यक्षता में मंगलवार (01 जुलाई, 2025) को कैबिनेट की बैठक हुई। इसमें कुल 24 एजेंडों पर मुहर लगी है। बैठक की सबसे अहम बात यह है कि नीतीश सरकार ने प्रदेश के कलाकारों पर विशेष ध्यान दिया है। अब राज्य के वरिष्ठ और आजीविका से जूझ रहे कलाकारों को पेंशन के रूप में 3000 रुपये प्रति माह दिए जाएंगे। इसके लिए हर साल एक करोड़ खर्च करने की स्वीकृति कैबिनेट से मिली है। हालांकि यह ऐसे कलाकार को दिया जाएगा जिनकी उम्र 50 वर्ष से ऊपर होगी। इसके अलावा उनकी आमदनी सालाना एक लाख 20 हजार से कम होगी। साथ ही कला के क्षेत्र में कम से कम 10 साल का अनुभव होना भी अनिवार्य होगा।
दूसरी ओर आज मुख्यमंत्री बिहार गुरु शिष्य परंपरा योजना को भी कैबिनेट से मंजूरी मिल गई है। इसके तहत बिहार की वैसी कलाएं जो विलुप्त हो गई हैं और काफी दुर्लभ हैं उन्हें संरक्षित करने के लिए प्रचार-प्रसार कर युवा प्रतिभागियों को विशेषज्ञ गुरुओं द्वारा मार्गदर्शन दिया जाएगा। इसके लिए एक करोड़ 11 लाख 60 हजार प्रति वर्ष खर्च किए जाएंगे। कैबिनेट की बैठक में मुख्यमंत्री प्रतिज्ञा योजना को भी मंजूरी मिली है। इसके तहत कौशल विकास प्रशिक्षण कार्यक्रम में प्रशिक्षित एवं 12वीं पास युवाओं को 4000 रुपये प्रत्येक महीने इंटर्नशिप के रूप में मिलेंगे। आईटीआई एवं डिप्लोमा पास को इंटर्नशिप में 5000 एवं स्नातकोत्तर को प्रति महीने 6000 इंटर्नशिप में मिलेगा।
इन युवाओं को आजीविका के सहयोग की राशि भी अलग से मिलेगी। इसमें अपने गृह जिले से अतिरिक्त दूसरे जिले में रहने वाले को 2000 रुपये प्रति महीना और राज्य के बाहर इंटर्नशिप करने वालों को 5000 रुपये प्रति महीना अतिरिक्त राशि प्रदान की जाएगी। इसके लिए 2025-26 में कुल 5000 युवाओं का लक्ष्य रखा गया है और 2026 से 2031 तक कुल एक लाख युवाओं को इस योजना के अंतर्गत लाभ पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है। गुरु-शिष्य परंपरा का आधार श्रद्धा एवं विश्वास है। स्मृति ग्रंथ का प्रकाशन वास्तविक सारस्वत श्रद्धांजलि है। नैतिकता की डोर को यह ग्रंथ सशक्त करेगा। मिथिला की सारस्वत परंपरा से विश्व को नई सीख मिल रही है। उक्त बातें ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सुरेंद्र प्रताप सिंह ने प्रो. श्रुतिधर झा स्मृति ग्रंथ के लोकार्पण के अवसर पर विवि के जुबली हॉल में कही थी। उन्होंने शिक्षा के
माध्यम से आध्यात्मिक चेतना को विकसित किए जाने पर बल दिया।
मुख्य अतिथि पद्मश्री विमल जैन ने मानव जीवन की सर्वांगीण सफलता के लिए गुरु की कृपा को अपरिहार्य बताया। दिव्यांगों की शिक्षा के लिए प्रो. जयशंकर झा द्वारा किए जा रहे प्रयासों की सराहना की। विशिष्ट अतिथि मिथिला विश्वविद्यालय की प्रतिकुलपति प्रो. डॉली सिन्हा ने कहा कि जिस प्रकार रामकृष्ण परमहंस की विचारधारा को विवेकानंद ने आगे बढ़ाया ठीक उसी प्रकार प्रो. जयशंकर झा ने अपने गुरु प्रो. श्रुतिधर झा की पावन स्मृति को अमरता प्रदान की। सम्मानित अतिथि प्रो. प्रभाकर पाठक ने प्राचीन गुरु-शिष्य संबंध की भावभूमि पर समकालीन शिक्षार्थियों को गहन विमर्श की सलाह दी। सम्मानित अतिथि शिक्षाविद शिबकिशोर राय ने बाल्यावस्था से ही बच्चों में गुरु के प्रति समर्पण के बीजारोपण को शैक्षिक विकास का आधार बताया।
बहरहाल पटना सचिवालय के कैबिनेट में हुई बैठक में कई अहम फैसले किए गए। कैबिनेट की इस बैठक में कई विभागों के मंत्री मौजूद रहें। इस दौरान कई विभागों से संबंधित 24 महत्वपूर्ण प्रस्तावों को कैबिनेट ने मंजूरी दी है। इस बैठक में नीतीश कैबिनेट ने मुख्यमंत्री कलाकार पेंशन को मंजूरी दे दी है।
नीतीश कैबिनेट ने कलाकारों के लिए 3000 रुपये पेंशन देने की मुख्यमंत्री कलाकार पेंशन योजना को मंजूरी दी। नीतीश कैबिनेट ने मुख्यमंत्री बिहार गुरु-शिष्य परंपरा योजना की शुरुआत की। चतुर्थ कृषि रोड मैप की कई योजनाओं को मंजूरी दी गई। अररिया में चिकित्सा महाविद्यालय खोलने को मंजूरी दी। जहानाबाद में सिंचाई परियोजना को लेकर 42 करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट को मंजूरी। राज्य में औद्योगिक गतिविधि को बढ़ावा देने के लिए औसत भूमि हानि 41.8 से घटकर 30.9 कर दिया गया। मुख्यमंत्री प्रतिज्ञा योजना को मंजूरी दी गई है। इसके अंतर्गत 1,00,000 युवाओं को रोजगार देने का लक्ष्य रखा गया है। राज्य कारखाना नियमावली में संशोधन कर दिया गया है। बिहार में किसानों को लाभ देने के लिए ईख विकास योजना को मंजूरी दी गई है। नीतीश कैबिनेट ने सेवा प्राप्त मुख्य न्यायाधीश अथवा न्यायाधीशों को घरेलू सहायता नियमावली 2025 को मंजूरी दे दी है। सीतामढ़ी में मां सीता की जन्म स्थान पर पुनर धाम श्री राम जन्मभूमि तीर्थ मंदिर बनाए जाने को लेकर कैबिनेट ने 882 करोड़ रुपए को मंजूरी दी है। बिहार के आम चुनाव 2025 में मतपत्र छापने को लेकर सरस्वती प्रेस लिमिटेड कोलकाता अनुमति दे दी गई। राज्य के चिकित्सा महाविद्यालय में राष्ट्रीय और विज्ञान आयोग नई दिल्ली के मानक के अनुसार अब भर्ती होगी। राजकीय विभिन्न सेवाओं में कर्मियों को लाभ पहुंचाने के लिए नीतीश कैबिनेट ने वेतन स्तर के
आधार पर पूर्व से निर्धारित न्यूनतम कलावधी में आंशिक संशोधन किया। बिहार के पंचायती राज प्रतिनिधियों को अब इलाज के लिए मुख्यमंत्री चिकित्सा सहायता कोश अनुदान मिलेगा। सेवानिवृत्ति अपर पुलिस अधीक्षक रमाकांत प्रसाद को नीतीश कैबिनेट ने 30 जून 2026 तक के लिए उनके सेवा को बढ़ाने की प्रस्ताव को मंजूरी दी गयी और विशेष निगरानी के डीआईजी विकास कुमार की सेवा 1 वर्ष के लिए बढ़ा दी गई है। (हिफी)

 

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