लेखक की कलम

निवेश ने यूपी को बनाया नए भारत का इंजन

(अनुष्का-हिफी फीचर)
उत्तर प्रदेश में निवेश की नई लहर ने राज्य की आर्थिक और सामाजिक तस्वीर को पूरी तरह से बदल दिया है। हाल ही में (27 मई 2025 को) मुंबई के जीयो वर्ल्ड कन्वेंशन सेंटर में आयोजित इन्वेस्ट यूपी राउंडटेबल में कुल 69,000 करोड़ रूपये के निवेश प्रस्ताव सामने आए, जिसमें सौर ऊर्जा और सेमीकंडक्टर क्षेत्र में भारी रुचि दिखी। इस निवेश में प्रमुख हैं नोएडा में हीरानंदानी ग्रुप का 28,440 करोड़ रुपये का सेमीकंडक्टर प्रोजेक्ट, अवाडा ग्रुप का सौर ऊर्जा में 20,000 करोड़ रुपये का निवेश, बुंदेलखंड में टाटा पावर रिन्यूएबल एनर्जी की दो 800 मेगावाट की सुपरक्रिटिकल पावर यूनिटों के लिए 13,700 करोड़ रुपये और अल्ट्राटेक सीमेंट का अलीगढ़, शाहजहांपुर व टांडा में 1,981 करोड़ रुपये का विस्तार। इस घटना को राज्य द्वारा निवेशकों के लिए बनाए गए पारदर्शी, तेज और निवेश-अनुकूल माहौल की बड़ी जीत माना जा रहा है।
उत्तर प्रदेश, जो एक समय केवल जनसंख्या और कृषि प्रधान राज्य के रूप में जाना जाता था, अब देश के सबसे गतिशील और आकांक्षी आर्थिक केंद्रों में तब्दील हो चुका है। हाल के वर्षों में राज्य सरकार ने निवेश को बढ़ावा देने के लिए जिस रणनीतिक दृष्टिकोण को अपनाया है, उसने न केवल प्रदेश की छवि को बदला है, बल्कि उत्तर भारत की आर्थिक परिभाषा को भी नए सिरे से लिखा है। यह बदलाव केवल नीतिगत घोषणाओं तक सीमित नहीं है, बल्कि जमीनी स्तर पर दिखने भी लगा है। नई फैक्ट्रियां, बढ़ते रोजगार, और सशक्त रूप से बढ़ती जीएसडीपी इसकी गवाही दे रही है। ध्यान रहे 2023 की ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट उत्तर प्रदेश की निवेश यात्रा में एक ऐतिहासिक मोड़ साबित हुई, जहां लगभग 35 लाख करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव आए। अमेरिका, जापान, जर्मनी, दक्षिण कोरिया, नीदरलैंड और यूएई जैसे देशों की शीर्ष कंपनियों ने निर्माण, आईटी, फार्मा, एग्रो प्रोसेसिंग, डाटा सेंटर और इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे विविध क्षेत्रों में रुचि दिखाई। नोएडा में सैमसंग की विश्व की सबसे बड़ी मोबाइल फैक्ट्री, बुंदेलखंड में डिफेंस कॉरिडोर और ग्रेटर नोएडा में अनेक डाटा सेंटर प्रोजेक्ट इस वैश्विक भरोसे के उदाहरण हैं।
यह निवेश केवल चुनिंदा महानगरों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि राज्य के हर हिस्से को उसकी भौगोलिक और सांस्कृतिक विशेषताओं के अनुसार क्षेत्रीय औद्योगिक मॉडल से जोड़ा गया। पूर्वांचल में टेक्सटाइल और फूड प्रोसेसिंग, बुंदेलखंड में रक्षा उद्योग, पश्चिमी यूपी में आईटी और इलेक्ट्रॉनिक्स हब, और मध्य यूपी में एमएसएमई और एग्रो इंडस्ट्री को प्राथमिकता दी गई। इस रणनीति से क्षेत्रीय विषमताएं कम हुई हैं और समावेशी विकास की गति तेज हुई है। राज्य सरकार की नीतिगत सक्रियता इस परिवर्तन की रीढ़ रही है। सिंगल विंडो क्लीयरेंस सिस्टम, डिजिटल लैंड बैंक, और सेक्टर-विशेष नीतियाँ जैसे आईटी, बायोटेक, डिफेंस, स्टार्टअप क्षेत्र ने ईज ऑफ डूइंग बिजनेस रैंकिंग में यूपी को शीर्ष राज्यों में खड़ा किया है। निवेशकों को एक स्थिर, पारदर्शी और भरोसेमंद माहौल मिला है। विशेष रूप से सेमीकंडक्टर और इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण क्षेत्र में यूपी अग्रणी बनता जा रहा है। राज्य की नई सेमीकंडक्टर नीति के तहत अब तक 40,000 करोड़ रुपये से अधिक के निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं। इनमें टार्ग सेमीकंडक्टर, कयनेस सेमिकॉन, आदिटेक सेमीकंडक्टर और वामसुन्दरी इन्वेस्टमेंट जैसी कंपनियाँ प्रमुख हैं, जो अकेले इस क्षेत्र में 32,000 से अधिक नौकरियाँ देने वाली हैं। केंद्र सरकार की भारत सेमीकॉन प्रोग्राम के तहत यूपी को पूंजी और ब्याज पर अतिरिक्त सब्सिडी भी प्राप्त हुई है, जिससे निवेशकों का रुझान और बढ़ा है।
उद्योगों का विस्तार टेक्सटाइल, फार्मा, बायोटेक और एग्रो प्रोसेसिंग जैसे क्षेत्रों में भी हुआ है। अवाडा ग्रुप ने 1.5 गीगावाट की सौर मॉड्यूल यूनिट लॉन्च करने के बाद अब 20,000 करोड़ रुपये का नया निवेश किया है, जबकि बलरामपुर चीनी मिल्स ने लखीमपुर खीरी में भारत की पहली पॉलीलैक्टिक एसिड (पीएलए) प्लांट के लिए 2,850 करोड़ रुपये का निवेश किया है। यह सारे निवेश न केवल तकनीकी दृष्टि से उन्नत हैं, बल्कि ग्रीन और टिकाऊ विकास की दिशा में भी अग्रसर हैं। इन व्यापक निवेशों का प्रभाव उत्तर प्रदेश की सकल राज्य घरेलू उत्पाद पर स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है, जो वित्त वर्ष 2023-24 में 22.6 लाख करोड़ रूपये से अधिक हो चुकी है जबकि 2022-23 में यह आंकड़ा लगभग 21 लाख करोड़ रुपये था। यानी सालाना लगभग 7.5 फीसदी की वृद्धि दर दर्ज की गई है, जो राष्ट्रीय औसत के करीब है। यदि यह वृद्धि दर बनी रहती है और निवेश योजनाएं जमीन पर तेजी से उतरती हैं, तो 2027-28 तक उत्तर प्रदेश के 1 ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी बनने की संभावना मुश्किल नहीं होगी।
यह आर्थिक गति केवल आंकड़ों तक सीमित नहीं, बल्कि लाखों प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार, विशेषकर युवा और तकनीकी दक्ष लोगों के लिए नए अवसर लेकर आ रही है। स्टार्टअप पारिस्थितिकी भी गहराई से विकसित हो रही है जिसमें वित्तीय सहायता, इनक्यूबेशन हब और मेंटरशिप प्रोग्राम शामिल हैं, जो उत्तर प्रदेश को नवाचार के केंद्र के रूप में स्थापित कर रहे हैं। हालांकि चुनौतियाँ अभी शेष हैं जैसे कि स्किल गैप, लॉजिस्टिक नेटवर्क की सीमाएँ और निवेश प्रस्तावों के कार्यान्वयन में लगने वाला समय, लेकिन उत्तर प्रदेश स्किल डेवलपमेंट मिशन, प्रधानमंत्री गति शक्ति योजना, और निवेश ट्रैकिंग पोर्टल जैसी पहलों ने इन बाधाओं को दूर करने की दिशा में गंभीर प्रयास शुरू कर दिए हैं। इसके चलते प्रशासनिक प्रक्रियाएं अधिक पारदर्शी और दक्ष बनी हैं, जिससे निवेश में गति आई है।
आज उत्तर प्रदेश केवल एक राज्य नहीं, बल्कि निवेश और नवाचार का एक उभरता हुआ मॉडल बन चुका है। यदि यही नीति-निर्माण और कार्यान्वयन की गति बनी रही, तो उत्तर प्रदेश न केवल भारत की सबसे बड़ी राज्यीय अर्थव्यवस्था बन सकता है, बल्कि वैश्विक निवेश मानचित्र पर एक प्रमुख केंद्र के रूप में स्थापित हो सकता है। यह निवेश-प्रेरित आर्थिक विकास अब सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन का भी वाहक बन रहा है जो उत्तर प्रदेश को नए भारत का इंजन बनने की ओर ले जा रहा है। (हिफी)

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