दीनानाथ वाटिका की खूबसूरत लताएं

(चक्षु स्वामी-हिफी फीचर)
मराठा मानुष पंडित दीनानाथ मंगेशकर के मन में संगीत के प्रति अपार प्रेम था। यह संगीत उनकी रगांे में खून बनकर बह रहा था। वह मराठी थिएटर के अभिनेता भी थे। यही कारण रहा कि उनके वाटिका की खूबसूरत लताएं गीत-संगीत से लहलहा रही थीं। आज उनकी बड़ी बेटी लता मंगेशकर हम लोगों के बीच नहीं हैं। यहां पर हम लता दीदी, आशा भोसले और ऊषा मंगेशकर के बारे में संक्षिप्त में बात कर रहे हैं।
फिल्मी जगत की जानी मानी गायिका लता मंगेशकर को कौन नहीं जानता जिन्होंने अपने मनमोहक और सुरीली आवाज से सबका मन मोह लिया। समाज उन्हें राग की रानी, लता दीदी, भारत की कोकिला, आदि नामों से भी जानते हैं। लता मंगेशकर की आवाज देश-विदेश तक मशहूर थी। उन्होंने छत्तीस से भी अधिक भारतीय भाषाओं और कई विदेशों भाषाओं में गाने रिकार्ड कराए। लता मंगेशकर ने अपना कॅरियर 5 साल की उम्र से ही शुरू कर दिया था। उन्होंने अपने कैरियर की शुरुआत एक अभिनेत्री से की थी।
लता मंगेशकर के पिता दीनानाथ मंगेशकर की मृत्यु बहुत कम उम्र में हो गयी थी और उस समय लता जी की उम्र भी 13 वर्ष की ही थी। ऐसे में उनके ऊपर बहुत जिम्मेदारी हो गयी थी। लता जी के एक करीबी
दोस्त जो कि एक फिल्म कंपनी के मालिक थे। उन्होंने लता जी को उनके और उनके परिवार की देखभाल करने में काफी मदद की। उन्होंने लता जी को उनका कॅरियर और अभिनेत्री बनाने में भी काफी मदद की। लता जी ने पहले अपना कॅरियर अभिनय करने में प्रारम्भ किया लेकिन उनका उद्देश्य सिर्फ गायिका बनने का था इसलिए उन्होंने बाद में अपना कॅरियर गायन के क्षेत्र में कर लिया। लता जी ने हजारों गाने गाये है। उनका पहला प्रमुख हिट गाना था ‘आयेगा आने वाला’ जो कि फिल्म ‘महल’ 1949 का था। उस गाने में अभिनेत्री मधुबाला ने अभिनय किया था।
इस गाने के बाद से लता जी और भी प्रसिद्ध हो गयीं। लता मंगेशकर को कई सारे आवार्ड भी मिल चुके हैं। भारत सरकार ने उन्हें ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया था। फिल्म फेयर पुरस्कार, राष्ट्रीय पुरस्कार, दादा साहेब फाल्के पुरस्कार, राजीव गांधी पुरस्कार इत्यादि पुरस्कारों से उन्हें सम्मानित किया गया है।
संघर्ष के साथ-साथ लता जी ने एक सम्मिलित और प्रतिष्ठा भरा जीवन जिया। उनकी मृत्यु वर्ष 2022 में कोविड से जुड़े जटिलताओं से हुई। लतामंगेशकर की छोटी बहन आशा भोसले का भी संगीत के क्षेत्र में उतना ही नाम और रुतबा है जितना कि लता जी का था। आशा जी और लता जी को यह आवाज अपने पिता जी दीनानाथ मंगेशकर से मिली थी जोकि प्रसिद्ध गायक एवं नायक थे। कम उम्र में ही उनके पिता दीनानाथ जी का स्वर्गवास हो गया था। आशा जी, लता जी और उनके सभी भाई-बहनों ने काफी संघर्ष किया और संगीत के क्षेत्र में नया मुकाम हासिल किया। आशा जी ने हिन्दी गानों के साथ-साथ 14 से ज्यादा भाषाओं में गीत गाये। पंजाबी, तमिल, गुजराती, अंग्रेजी और रूसी भाषा में कई गीत गाये हैं। आशा जी ने अपना पहला हिन्दी भाषा गीत वर्ष 1948 में गाया था जिसके बोल कुछ ऐसे थे (सावन आया) जोकि फिल्म चुनरिया में था लेकिन जो आशा जी ने अपना पहला कदम गानों की तरफ रखा वो मराठी भाषा में था जिसके बोल कुछ ऐसे थे ‘चला चला नव बाला’ जोकि फिल्म माझा बाल (1943) के लिये गाया गया था। इसके बाद उन्होंने एक से बढ़कर एक गीत गाये जैसे ‘यह मेरा
दिल प्यार का दीवाना’, कोई शहरी बाबू, रात अकेली है बुज गये दिये, यह सारे गीत काफी प्रसिद्ध हुये जो आज भी लोगों की जुबान पर
रहते हैं।
आशा जी ने दो विवाह किये थे। उनका पहला विवाह वर्ष 1916 में हुआ था जोकि 1966 तक चला था। उस समय उनकी उम्र 16 वर्ष की थी जब उन्होंने पहला विवाह किया। यह विवाह उन्होंने पारिवारिक इच्छा के विरुद्ध किया था जो किसी कारण वश असफल रहा। पहली शादी से उनके तीन बच्चे थे। इसके बाद उन्होंने दूसरी शादी सचिन देव बर्मन के बेटे ‘राहुल देव बर्मन से वर्ष 1960 में की थी।
ऊषा मंगेशकर, लता जी, मीना जी और आशा भोसले की सबसे छोटी बहन हैं और साथ ही भाई हृदयनाथ मंगेशकर से अकेली बड़ी हैं। ऊषा मंगेशकर एक भारतीय गायिका हैं इन्होंने मराठी, हिन्दी, बंगाली, मणिपुरी, कन्नड़, नेपाली, भोजपुरी, उड़िया और असमिया गाने रिकार्ड किये हैं। उन्होंने 1953 में प्लेबैक गायिका के रूप में अपना कॅरियर शुरू किया था। ऊषा मंगेशकर ने बहुत से प्रसिद्ध गीत गाये हैं। मुंगड़ा और मराठी फिल्म पिंजरा के गीतों के लिये जानी जाती हैं। वह ओडिया फिम ‘अभिमान’ (1977) में अपने गीत छुपी-छुपी गोरी काणे के लिये प्रसिद्ध हैं। ऊषा मंगेशकर ने हिन्दी के भी कई गाने गाये हैं जैसे ‘मेरे राजा मेरे लाल’, सोने जैसी तुम्हारी जवानी…। उन्होंने भक्ति गीत भी गाये हैं। फिल्म जय संतोषी माँ (1975) के लिये उन्होंने भक्ति गीत गाये।
उन्हें उस फिल्म में गाया भक्ति गीत ‘मैं तो आरती उतारू रे संतोषी माता की’ के लिए फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ महिला पाश्र्व गायिका पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया। उनको महाराष्ट्र के शिक्षा मंत्री द्वारा डाॅक्टर आॅफ फिलाॅसफी से भी सम्मानित किया गया। ऊषा मंगेशकर अविवाहित रहीं। (हिफी)