इंसान से व्यवस्था तक संवेदनहीन

(मनोज कुमार अग्रवाल-हिफी फीचर)
हाल ही में मुंबई जैसे आधुनिक शहर में रिश्तों को शर्मसार और दिल को झकझोर देने वाला एक बेहद शर्मनाक मामला सामने आया है। लगभग 70 साल की महिला यशोदा गायकवाड़ जो स्किन कैंसर से पीड़ित हैं, उन्हें बोझ समझकर उनका ही सगा पोता कचरे के ढेर में फेंक आया। जानकारी के मुताबिक बुजुर्ग महिला के पोते सागर शेवाले ने अस्पताल में भर्ती न किए जाने के बाद अपने जीजा बाबासाहब गायकवाड़ और एक रिक्शा ड्राइवर संजय कुदशिम की मदद से दादी को आर ए कॉलोनी के कचरे के ढेर में रात के अंधेरे में फेंक दिया। यह मामला तब सामने आया जब पुलिस को सूचना मिली कि आरे कॉलोनी इलाके में एक 70 वर्षीय बुजुर्ग महिला बेहद कमजोर हालत में पड़ी है।
सुबह पुलिस ने जब महिला को देखा, तो उसकी हालत बेहद नाजुक थी। महिला की पहचान यशोदा गायकवाड़ के रूप में हुई। जब पुलिस ने उससे बातचीत की, तो उन्होंने बताया कि उनका पोता उन्हें यहां छोड़कर चला गया। इस खुलासे के बाद पुलिस भी हैरान रह गई। यह समझ पाना मुश्किल हो गया कि आखिर कोई पोता अपनी बीमार दादी के साथ इतनी क्रूरता कैसे कर सकता है। महिला की हालत देखकर पुलिस ने तुरंत उन्हें अस्पताल में भर्ती कराने की कोशिश की, लेकिन हैरानी की बात यह रही कि कई अस्पतालों ने उनकी स्थिति को देखते हुए उन्हें भर्ती करने से इनकार कर दिया। अंततः शाम को उन्हें कूपर अस्पताल में भर्ती कराया गया. डॉक्टरों ने पुष्टि की कि महिला को त्वचा कैंसर है।
यशोदा गायकवाड़ ने पुलिस को मालाड और कांदिवली के दो पते बताए, जो उनके परिवार के हैं। पुलिस इन पतों पर जाकर परिवार के सदस्यों का पता लगाने में जुटी। साथ ही महिला की तस्वीर सभी स्थानीय पुलिस थानों में भेजी गई ताकि उनके परिजनों को ढूंढा जा सके।
पुलिस ने गंभीरता से मामले की पड़ताल की। पुलिस जांच में सामने आया है दरअसल 25 जून की रात करीब 2.20 बजे सागर अपनी दादी को लेकर अस्पताल पहुंचा था, लेकिन कुछ ही मिनट बाद 2.40 बजे वहां से वापस चला गया। बाद में वह महिला घायल अवस्था में गोरेगांव पूर्व स्थित कॉलोनी के कूड़े के ढेर में मिलीं। पुलिस को सूचना मिलने पर महिला को पहले ट्रॉमा अस्पताल, फिर कूपर अस्पताल में भर्ती कराया गया। पुलिस ने यशोदा गायकवाड़ से पूछताछ की, तो उन्होंने कुछ नाम बताए, लेकिन शुरुआत में उनके परिवार का कोई सदस्य सामने नहीं आया। सीसीटीवी फुटेज और सख्त पूछताछ के बाद सागर ने सच कबूल किया कि उसने ही अपनी बीमार दादी को कचरे में फेंक दिया था।
पुलिस जांच में यह पता चला है कि पोते ने दो अन्य लोगों की मदद से मुंबई की आरे कॉलोनी के कचरे के ढेर में अपनी दादी को फेंका था। जिसके बाद आरोपी पोते और उसके सहयोगियों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया है। पुलिस जांच के मुताबिक, 70 साल की बीमार बुजुर्ग यशोदा गायकवाड़ ने बीते 25 जून को आक्रामक होते हुए खुद का गला घोंटने की कोशिश की थी, पोते पर भी हाथ उठाया था। इससे उद्वेलित नाराज और घबराए पोते सागर ने अपने जीजा को फोन किया और दोनों यशोदा को पास के शताब्दी अस्पताल ले गए लेकिन अस्पताल ने उनको भर्ती करने से मना कर दिया। इसके बाद पोते ने जीजा के साथ मिलकर दादी से छुटकारा पाने की योजना बना डाली। दोनों ने एक आॅटो रिक्शा वाले को बुजुर्ग दादी को सुनसान इलाके में लावारिस फेंकने के लिए तैयार किया। इसके लिए आॅटो रिक्शा ड्राइवर को 400 रुपये भी दिए गए।
ड्राइवर फिल्मसिटी में काम करता था और उस इलाके से अच्छी तरह वाकिफ था।
वरिष्ठ पुलिस इंस्पेक्टर पाटिल के अनुसार, तीनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है और महिला की हालत में सुधार हो रहा है।
बता दें कि आरोपी पोते सागर शेवाले ने शुरूआती पूछताछ में मामले को झुठलाने की कोशिश की और इधर-उधर की कहानी बनाने लगा उसके बयानों में विरोधाभास की वजह से पुलिस को उस पर शक हुआ। जिसके बाद उससे सख्ती से पूछताछ की गई। जिसमें उसने ये कबूल कर लिया कि उसने ही अपने जीजा और रिक्शा-ड्राइवर की मदद से दादी को रात 3.30 बजे कूड़े में फेंका था।
रिक्शा ड्राइवर कुदशिम को उसने इस काम के लिए 400 रुपये दिए थे। वह फिल्मसिटी में काम करता था इसलिए पास के आरे इलाकों को अच्छी तरह से जानता था। बता दें कि आरे पुलिस ने पोते सागर शेवाले के साथ उसके जीजा बाबा साहब गायकवाड़, और रिक्शा ड्राइवर संजय कुदशिम को हिरासत में ले लिया। वहीं स्किन कैंसर से जूझ रही बुजुर्ग महिला का इलाज मुंबई के कूपर अस्पताल में चल रहा है।दुनिया के एक चौथाई बच्चे शिक्षा से वंचित
परिजनों के साथ क्रूरता की अनेक घटनाएं आए दिन सामने आती रहती है वरन ऐसी वारदातों की झड़ी लगी हुई है। तीन महीने पहले झारखंड के रामगढ़ में एक ऐसा ही मामला सामने आया जब एक व्यक्ति ने अपनी बीमार मां को घर में बंद कर दिया और पत्नी, बच्चों तथा ससुराल वालों के साथ महाकुंभ में स्नान के लिए प्रयागराज चला गया था। पड़ोसियों को उसके बारे में तब पता चला जब वह भूख के कारण सहायता के लिए चिल्लाने लगी।
पुलिस ने ताला तोड़कर उसे बचाया। पड़ोसियों ने तुरंत उसे खाना दिया। उसे दवाइयां भी दी गईं और सीसीएल अस्पताल में भर्ती कराया गया। पुलिस ने रामगढ़ थाना क्षेत्र के अंतर्गत सुभाष नगर कॉलोनी में सेंट्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड (सीसीएल) के एक क्वार्टर से 65 वर्षीय महिला को मुक्त कराया। पुलिस ने बताया कि महिला तीन दिन से घर में बंद थी और चूहा खाकर जिंदा थी। पड़ोसियों को उसके बारे में तब पता चला जब वह भूख के कारण सहायता के लिए चिल्लाने लगी।
पिछले दिनों ओडिशा के संबलपुर जिले के कुचिंदा में मानव शर्मसार तब हुआ जब एक नवजात शिशु का शव एक बोरे में मिला। घटना कुचिंदा के खंडोकटा गांव की है। अचानक अल-सवेरे एक बोरा मिला।बोरे के पास कुत्ते मंडरा रहे थे और नोंच नोंच कर बोरे को फाड़ने की कोशिश कर रहे थे। बोरे में एक नवजात शिशु का शव मिला।
लोगों ने तुरंत कुचिंदा पुलिस को इसकी जानकारी दी।
इस तरह की घटनाओं ने एक बार फिर यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि क्या अब रिश्तों में भी संवेदना खत्म होती जा रही है? कोई अपना खून, वह भी पोता, अपनी बीमार दादी को इस तरह सड़कों पर मरने के लिए छोड़ दे, यह न सिर्फ कानूनन अपराध है बल्कि नैतिक रूप से भी घोर अमानवीय कृत्य है.वहीं बीमार मां को ताले में बंद कर कुंभ स्नान करने वाले पापी भी मौजूद है और मासूम बच्चे को कूड़े में फेंक कर कथित इज्जत के रखवाले भी इसी समाज में छिपे हुए हैं।
सवाल यह है कि इंसानियत कहां मर रही हैं? इंसान का खून पानी क्यों बन रहा है? क्या इंसानी रिश्ते बेमानी हो गए है और अस्पताल भी दुकान बन चुके हैं? (हिफी)