अध्यात्म

मंगल को जन्मे, मंगल ही करते (4)

महिमा सिद्धि से सूर्य को मुंह में रखा

 

(प्रस्तुति: मोहिता-हिफी फीचर)
मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम के अनन्य भक्त पवन पुत्र हनुमान भगवान शिव के आंशिक अवतार हैं। उनकी माता का नाम अंजनी एवं पिता वानर राज केशरी थे। पवन देव धर्मपिता हैं। इन सभी का स्नेह एव आशीर्वाद पाकर हनुमान जी अजेय योद्धा बने। उनकी बल और बुद्धि की कोई थाह नहीं। माता जानकी ने उनको अजर-अमर होने का आशीर्वाद दिया था। अणिका, महिमा, लधिका, गरिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व और बशित्व नाम की आठो सिद्धियां प्रदान करने की क्षमता हनुमान जी के पास हैं। हनुमान जी जिस पर प्रसन्न हो जाएं उसे पद्म, महा पद्म, नील, मुकुंद, नंद, मकर, कच्छप, शंख और खर्व या मिश्र निधि प्रदान कर सकते हैं। मंगलवार और शनिवार उनकी आराधना के विशेष दिन होते हैं। यहां पर हम क्रम से उनके जीवन परिचय को हिफी के सुधी पाठकों के समक्ष प्रस्तुत कर रहे हैं-

पृथ्वी से 28 लाख गुना बड़ा सूर्य हनुमान जी ने कैसे निगल लिया? क्या यह विज्ञान के साथ मजाक है? इस हिसाब से तो आपको हर उस चीज पर सवाल उठाने चाहिए जो की आसान नहीं है। जैसे कि हनुमान जी ने बिना थके इतना विशाल समुद्र कैसे पार कर लिया। अरे श्री हनुमान जी भगवान का अंश है उन्हे विभिन्न तरीके के वरदान प्राप्त हुए हैं।
हनुमान जी के पास अष्ट महासिद्धि और नौ निधि हैं। ये अष्ट महासिद्धि अणिमा, लघिमा, महिमा, ईशित्व, प्राक्रम्य, गरिमा और वहित्व हैं। इन्ही सिद्धि के सहारे उनका सूर्य के पास जाना और उसे निगलना संभव हैं लेकिन हनुमान जी निगलते नहीं है।गोस्वामी तुलसीदास द्वारा लिखी हनुमान चालीसा के इस 18वीं चैपाई में सूर्य और पृथ्वी के बीच की दूरी का वर्णन है।
जुग सहस्त्र जोजन पर भानू।
लील्यो ताहि मधुर फल जानू।।
यह दोहा अवधी भाषा में है। इस दोहे का हिंदी भाषा में अर्थ है कि हनुमानजी ने एक युग सहस्त्र योजन की दूरी पर स्थित भानु यानी सूर्य को मीठा फल समझकर खा लिया था (खाने ही वाले थे तभी देवराज इंद्र ने प्रहार कर दिया)। अगर आप यहां विज्ञान का तर्क देना चाहते है तो दे सकते है जैसे कि अपनी लघिमा सिद्धि का उपयोग करके हनुमान जी अपना वजन सूक्ष्म मतलब न के बराबर कर सकते थे।
जैसा हमने विज्ञान में पढ़ा है कि जिस पार्टिकल का वजन न के बराबर होता है वह पार्टिकल ही प्रकाश की गति से ट्रैवल कर सकता है क्योंकि उस स्थिति में उस पार्टिकल पर गुरुत्वाकर्षण बल और सेंटर ऑफ ग्रेविटी का असर नहीं होता है। इस तरह हनुमान जी प्रकाश की गति से भी तेज उड़कर सूर्य को निगलने के लिए पहुचे थे।
नासा के अनुसार सूर्य और पृथ्वी के बीच की दूरी 149 मिलियन किलोमीटर हैं और यह बात हनुमान चालीसा की 18 वीं चैपाई में बताई गयी है। धरती और सूरज की बीच की दूरी का उससे वर्णन किया गया है। हनुमान जी के अष्ट सिद्धि में से एक महिमा हैं। इस सिद्धि से वह अपने शरीर को जितना चाहे उतना बड़ा कर सकते थे।
इसलिए हनुमान जी के सामने पूरी पृथ्वी ही एक फल के समान हैं। विज्ञान के अनुसार कोई भी ऐसी वस्तु जिसका वजन ज्यादा और उसमें बहुत ऊर्जा हो वह ब्लैक होल बना सकती हैं और ब्लैक होल सूर्य को निगलने की क्षमता रखता है। जब ब्लैक होल सूर्य को निगल सकता है तो श्री हनुमान जी भगवान शिव के अवतार है। भगवान हैं। उनके लिए ब्रहमांड में कुछ भी असंभव नहीं हैं।
आज से 70-80 साल पहले अगर कोई कहता कि इंसान अंतरिक्ष में जा सकता है तो लोग हंसते होंगे। 40-50 साल पहले कोई कहता कि इंसान हजारों किलोमीटर की दूरी चंद घंटों में पूरी कर सकता है तो लोग हंसते होंगे। इसी तरह कोई कहता कि इंसान दूर बैठे दूसरे इंसान से बातचीत कर सकता है तो लोग हंसते होंगे। कोई यह कहता कि एक इंसान दूर बैठे दूसरे इंसान से फेस टू फेस देख सकता है तो लोग हंसते होंगे लेकिन अब ये सब संभव है।
हाल ही में चीन ने अपना खुद का एक कृत्रिम सूर्य बनाने में सफलता हासिल की है। आज हम लोग शहर में रहते है इसलिए इस खबर को सुन-पढ़ कर यकीन कर सकते है लेकिन गांव में जाकर किसी से पूछोगे तो वह इस सवाल करने वाले की तरह आपका मजाक उड़ाएगा और इस बात पर यकीन नही करेगा कि कोई देश (किसी देश के लोग) सूर्य को बना सकते है।
आज हम लाइटिंग स्पीड से सफर करने पर रिसर्च कर रहे है (अभी यह मजाक लग रहा होगा) लेकिन हमारी यह सोच अब तक सच साबित हुई है तो फिर हमारी संस्कृति के बारे में आप ऐसा क्यों सोचते है जैसे कि सब एक अंधविश्वास हो। हमारी संस्कृति हमारे दिल दिमाग, इतिहास, किताबों और वेदों में निहित है जबकि विज्ञान अभी शुरुआत ही है इसलिए हम आज तक भी विज्ञान को सही तरीके से नहीं समझ पाए है तो फिर अपनी संस्कृति को आप एक लिमिट तक सही लेकिन ज्यादा विज्ञान से तुलना कैसे कर सकते है।
हनुमान रुद्र के अंश है, वह रुद्र जो समग्र ब्रह्मांड का अंत और लय करते हैं, तो हनुमान सूर्य जो कि ब्रह्मांड के सापेक्ष एक अणु समान है, उसे तो वे निगल ही सकते हैं। इसलिए कभी भी अपनी संस्कृति की विज्ञान से ज्यादा तुलना नही करनी चाहिए। क्योंकि कुछ चीजें ऐसी होती है जो अभी विज्ञान भी नही समझ सकता। जहां विज्ञान की सीमा समाप्त हो जाती है, वहां से अध्यात्म शुरू होता है।
हनुमान का विवाह
हनुमान जी को बाल ब्रह्मचारी माना जाता है लेकिन क्या आप जानते हैं कि उनकी एक पत्नी भी थीं। पराशर संहिता में हनुमान जी के विवाह का उल्लेख किया गया है। भारत में एक ऐसा प्राचीन मंदिर मौजूद है जहां हनुमान जी अपनी पत्नी के साथ विराजमान है। आइए जानते हैं कि हनुमान जी का विवाह कैसे और किससे हुआ था।
भगवान हनुमान, रामायण के सबसे प्रमुख पात्रों में से एक हैं। श्री राम के परम भक्त हनुमान, साहस, चरित्र, भक्ति और सदाचार के आदर्श प्रतीक हैं। गोस्वामी तुलसीदास ने हनुमान जी के चरित्र के कारण ही सकल गुण निधानं कहा है। ऐसी मान्यता है कि हनुमान जी का नाम सुनते ही सभी प्रकार के भय और दुःख स्वयं ही दूर हो जाते हैं।
हनुमान जी के ब्रह्मचारी होने का जिक्र है लेकिन पराशर संहिता के अनुसार हनुमान जी का विवाह भी हुआ था लेकिन इस विवाह के बाद भी हनुमान जी ब्रह्मचारी ही रहे। आइए जानते हैं कि किन विशेष परिस्थितियों के चलते हनुमान जी को विवाह करना पड़ा था।
यहां पत्नी संग होती है हनुमान पूजा
तेलंगाना के खम्मम जिले के येल्नाडू गांव में हनुमान जी की पूजा उनकी पत्नी सुवर्चला के साथ की जाती है। यह मंदिर हैदराबाद से करीब 220 किलोमीटर की दूरी पर है। यह हनुमानजी और सुवर्चला का बहुत ही प्राचीन मंदिर है। साथ ही यह विश्व का इकलौता ऐसा मंदिर भी है जहां हनुमान जी की अपनी पत्नी के साथ प्रतिमा स्थापित है। इस मंदिर की बहुत मान्यता है। इस मंदिर के दर्शन के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं। साथ ही ज्येष्ठ शुद्ध दशमी को माता सुवर्चला और हनुमान जी के विवाह का उत्सव मनाया जाता है। -समाप्त (हिफी)
(सोशल मीडिया से साभार)
महिमा सिद्धि से सूर्य को मुंह में रखा

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