लेखक की कलम

कुशवाहा के बयान से चकराए नीतीश

(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)
बिहार मंे विधानसभा चुनाव की तारीखें जैसे-जैसे नजदीक आ रही हैं, सियासी गतिविधियां भी तेज हो रही हैं। विपक्षी दलों के गठबंधन मंे सीटों के बंटवारे को लेकर शतरंज की गोटियां बिछ रही हैं। महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे मुंबई में बैठक करना चाहते हैं और पप्पू यादव कहते हैं कि कांग्रेस को नजरंदाज करके भाजपा को पराजित नहीं किया जा सकता। इन सभी के बयान राजनीतिक पंडितों को हैरानी मंे डाल रहे हैं तो सत्तारूढ़ गठबंधन में भी राजमहली षड़यंत्र चल रहा है। चिराग पासवान का इरादा लोगों की समझ मंे नहीं आ रहा है। अब राष्ट्रीय लोकमोर्चा के प्रमुख और पूर्व केन्द्रीय मंत्री उपेन्द्र कुशवाहा ने बयान दिया है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को जनता दल (यू) की कमान किसी और को सौंप देनी चाहिए। उन्हांेने इशारों-इशारों मंे नीतीश के बेटे निशांत को जेडीयू की कमान सौंपने को कहा है। यह बात जद(यू) के अन्य नेताओं को हजम नहीं हो रही है। नीतीश कुमार अभी मुख्यमंत्री की सीट पर ही पकड़ मजबूत रखना चाहते हैं। पार्टी के अंदर कोई नया विवाद शुरू हो गया तो भाजपा को मौका मिल जाएगा। लोग यह भी कयास लगा रहे हैं कि उपेन्द्र कुशवाहा ने यह बयान किसके इशारे पर दिया है। कुछ लोग यह भी मानते हैं कि इसके पीछे नीतीश कुमार का ही हाथ है। बहरहाल, राजनीति में कुछ भी असंभव नहीं है। बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले कई बदलाव देखने को मिल सकते हैं। इस बीच 21 जुलाई से बिहार विधानसभा का मानसून सत्र भी शुरू हो गया।
राष्ट्रीय लोकमोर्चा के प्रमुख और पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा का एक बयान इन दिनों सुर्खियां बना हुआ है।कुशवाहा ने यह बयान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को लेकर दिया था। इसमें उन्होंने नीतीश कुमार से जेडीयू की कमान किसी और को सौंपने और मुख्यमंत्री पद पर बने रहने की अपील की थी। उनका कहना था कि सरकार और पार्टी दोनों को एक साथ चलाना नीतीश के लिए भी उचित नहीं है। उनका कहना है कि बिहार को नीतीश के अनुभव का लाभ आगे भी मिले, इसके लिए यह जरूरी है। कुशवाहा का इशारा था कि नीतीश पार्टी की कमान अपने बेटे निशांत को सौंप दें। नीतीश को यह सलाह देने के लिए कुशवाहा ने निशांत के जन्मदिन का दिन चुना था। नीतीश को ऐसी सलाह देने वाले कुशवाहा अकेले नहीं हैं, विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने भी इसी तरह की सलाह नीतीश कुमार को दी है।
उपेंद्र कुशवाहा ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पार्टी की कमान किसी और को सौंपने की सलाह देते हुए कहा है कि यह सुझाव उनका अकेले का नहीं, बल्कि जेडीयू के हजारों कार्यकर्ताओं की भी यह राय है। उनके इस बयान से राजनीतिक मायने यह निकाला जाने लगा है कि कुशवाहा निशांत को ही जेडीयू का भविष्य मानते हैं? वहीं कुछ राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि कुशवाहा अपने लिए ही सियासी जमीन तैयार कर रहे हैं। दरअसल उपेंद्र कुशवाहा और नीतीश कुमार कभी एक साथ हुआ करते थे। दोनों के रिश्तों में कई बार उतार-चढ़ाव आए। कुशवाहा जेडीयू के संस्थापक सदस्य हैं। वो तीन बार जेडीयू छोड़ चुके हैं। लेकिन जेडीयू से निकलकर कुशवाहा ने कई राजनीतिक प्रयोग किए, लेकिन कभी सफल नहीं हुए। जेडीयू से निकलने के बाद कुशवाहा को सबसे बड़ी सफलता 2014 में मिली थीं जब उनकी राष्ट्रीय लोक समता पार्टी ने एनडीए में रहते हुए चार सीटों पर चुनाव लड़कर तीन पर जीत दर्ज की थी। इसके बाद उपेंद्र कुशवाहा नरेंद्र मोदी की कैबिनेट में राज्यमंत्री बनाए गए थे। कुशवाहा 2018 में एनडीए छोड़कर महागठबंधन में चले गए थे लेकिन 2020 के चुनाव में उनकी पार्टी को कोई सफलता नहीं मिली। इसके बाद वो जेडीयू में लौट आए थे लेकिन वो बहुत दिन तक जेडीयू में नहीं रह पाए। वो पार्टी छोड़कर अलग हुए और राष्ट्रीय लोक मोर्चा के नाम से अपनी अलग पार्टी बनाई लेकिन 2024 के चुनाव में उनकी पार्टी शून्य पर ही रही और काराकट में उन्हें हार का सामना करना पड़ा।
विधानसभा चुनाव से पहले कुशवाहा अभी एनडीए में हैं लेकिन सलाह नीतीश कुमार को दे रहे हैं। वो नीतीश कुमार के स्वास्थ्य के आधार पर उन्हें अपना राजनीतिक उत्तराधिकारी चुनने की सलाह दे रहे हैं। नीतीश के स्वास्थ्य के आधार पर विपक्ष भी उनपर हमले करता है। दरअसल कुछ वीडियो में नीतीश कुमार का व्यवहार लोगों को परेशान कर रहा है। इससे उनके स्वास्थ्य को लेकर कई कयास लगाए जा रहे हैं। ऐसे में कुशवाहा ने निशांत कुमार को जेडीयू की उम्मीद बताकर यह संदेश दिया कि नीतीश को अपना उत्तराधिकारी चुनना चाहिए। यह सलाह देकर उपेंद्र कुशवाहा निशांत कुमार के जरिए जेडीयू को मजबूत बनाना चाहते हैं, जिससे निकलकर वो अभी भी भटक रहे हैं। दरअसल कुशवाहा को लगता है कि अगर निशांत जेडीयू की कमान संभालते हैं तो वह नीतीश की विरासत संभालेंगे। यह भी हो सकता है कि इसके जरिए कुशवाहा खुद को जेडीयू में मजबूत स्थिति में लाना चाहते हैं। वहीं कुछ राजनीतिक विश्वेषक इसे कुशवाहा की विधानसभा चुनाव में अधिक सीटें हासिल करने की कोशिश भी बता रहे हैं। वो नीतीश को कमजोर बताकर अपने लिए अधिक सीटों की मांग कर सकते हैं।
जेडीयू ने उपेंद्र कुशवाहा की मांग को खारिज कर दिया है। उसका कहना है कि नीतीश ही जेडीयू का चेहरा हैं और रहेंगे, पार्टी के नेता और कार्यकर्ता उनके साथ हैं। कुशवाहा का बयान एनडीए की परेशानी बढ़ा सकता है। लोजपा (आरवी) के नेता और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान भी राज्य में मजबूत नेतृत्व की मांग उठा चुके हैं। ऐसे में कुशवाहा और पासवान का बयान विपक्ष की लाइन की अगली कड़ी हो सकता है। इससे आरजेडी और महागठबंधन की दूसरी पार्टियों को नीतीश पर हमले का और मौका मिलेगा। इसी का परिणाम है कि बिहार विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष राबड़ी देवी ने कहा है कि नीतीश कुमार को सीएम पद अपने बेटे निशांत को सौंप देना चाहिए। बिहार में अपराध को मुद्दा बनाते हुए राबड़ी देवी ने कहा है कि गृहमंत्री भी नीतीश कुमार ही हैं, लेकिन उनसे संभल नहीं रहा है, ऐसे में वो या तो इस्तीफा दे दें या अपने बेटे को सीएम बना दें।उनका कहना है कि नीतीश का बेटा युवा है, इसलिए उनका कामकाज संभाल लेगा।
इस स्थिति में सबसे बड़ी चुनौती नीतीश कुमार के सामने हैं। स्वास्थ्य को लेकर व्यक्त की जा रही चिंताओं के बीच उन्हें पार्टी और सरकार के बीच सामंजस्य बनाना होगा, खसाकर विधानसभा चुनाव से ठीक पहले। बिहार की राजनीति में एक बर्थडे विश ने सियासी गलियारों में तूफान खड़ा कर दिया है। कुशवाहा ने जन्मदिन की शुभकामना तो दी, लेकिन साथ ही नीतीश कुमार को ‘वक्त की नजाकत’ समझने की सलाह भी दे डाली। इस पूरे बयान पर जेडीयू एमएलसी नीरज कुमार ने कहा कि “उपेंद्र कुशवाहा को पहचान नीतीश कुमार ने दी। ये उनका निजी नजरिया है।” वहीं मंत्री महेश्वर हजारी ने दो टूक कहा कि, “नीतीश कुमार जहां खड़े हैं, वहीं मुख्यमंत्री हैं। रिटायरमेंट की सलाह पार्टी नहीं मानती। (हिफी)

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button