स्कूली बच्चों की सुरक्षा को लेकर यूपी में बड़ा फैसला

शिक्षा समाज की पहचान होती है। विशेष रूप से बच्चों की शिक्षा के सभी पहलू बहुत संवेदनशील होते हैं। इसी प्रकार का एक मामला बच्चों को स्कूल लाने और वहां से घर ले जाने वाले वाहनों का भी है। अब ऐसे बच्चों की संख्या बहत ज्यादा है जो ई रिक्शा या मिनी बसों से स्कूल आया-जाया करते हैं। इन वाहनों के फिटनेस को लेकर तब सवाल उठता है, जब कोई हादसा हो जाता है। इसके अलावा स्कूल वाहनों के चालकों (ड्राइवर) के चरित्र को लेकर भी सवाल उठने लगे हैं।
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में ही इंदिरा नगर में स्कूली वैन चालक द्वारा मासूम बच्ची से दुष्कर्म का मामला दर्ज कराया गया है। प्रदेश की योगी सरकार ने इस मामले को बहुत गंभीरता से लिया है। स्कूली वैन ड्राइवरों का सत्यापन कराया गया। योगी सरकार ने इस संदर्भ में मिशन भरोसा चला रखा है। इसके तहत 355 स्कूलों के 2465 वाहन चालकों का सत्यापन कराया गया। सत्यापन में 100 से अधिक स्कूली वाहन चालक ऐसे मिले हैं जिन पर आपराधिक मामले दर्ज हैं। इंदिरा नगर में मासूम से दुराचार की घटना के बाद ही जिलाधिकारी ने आरटीओ को दिशा-निर्देश दिया है कि बच्चों को स्कूल ले जाने और वहां से घर लाने वाले ई-रिक्शा, आॅटो, टेम्पो के ड्राइवरों का सम्पूर्ण ब्यौरा हासिल करें। इसी के साथ स्टूटेंट्स की सुरक्षा को लेकर एक बड़ा कदम यह भी उठाया है कि राज्य भर में
स्कूलों में चल रहे वाहनों में सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे। स्कूलों में भी इस प्रकार के कैमरे लगाने की बात कही गयी। सीवीएसई ने अब स्कूलों में शौचालय को छोड़कर हर जगह कैमरा लगवाने का फैसला किया है। स्कूलों में आडियो रिकाॅर्डिंग भी अनिवार्य होगी। इस प्रकार स्कूलों में मासूमों का यौन शोषण रोका जा सकेगा।
उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य में चलने वाली सभी स्कूल वैन में सीसीटीवी कैमरे लगाना अनिवार्य कर दिया है। यह निर्णय छात्रों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए किया गया है। राज्य के परिवहन प्रमुख सचिव एल वेंकटेश्वरलू ने इस संबंध में एक अधिसूचना जारी की है। अधिसूचना के अनुसार, राजपत्र में प्रकाशन के तीन महीने बाद यह नियम लागू हो जायेगा।
एक वरिष्ठ परिवहन अधिकारी के अनुसार, सीसीटीवी कैमरों का प्रावधान उत्तर प्रदेश मोटर वाहन नियमावली में पहले से ही था और कुछ स्कूल वैन में भी लगाया गया था। अब नोटिफिकेशन में राज्य के सभी स्कूल वैन में सीसीटीवी कैमरे लगाने की आखिरी तारीख तय कर दी गई है। उन्होंने कहा कि प्रस्तावित केंद्रीकृत वाहन स्थान ट्रैकिंग केंद्र काम करने के लिए तैयार होने के बाद सभी सार्वजनिक परिवहन वाहनों में ऐसे कैमरे लगाए जाएंगे। राज्य में परिवहन विभाग ने सार्वजनिक परिवहन वाहनों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। उन्होंने व्हीकल लोकेशन ट्रैकिंग सिस्टम (वीएलटीएस) को लागू करने के लिए एक निजी एजेंसी को नियुक्त किया है जो निर्भया ढांचे के तहत वाहनों की निगरानी करेगी।
एजेंसी इस उद्देश्य के लिए वाहन ट्रैकिंग प्लेटफॉर्म को तैनात, एकीकृत, परीक्षण और चालू करेगी। परियोजना का लक्ष्य दोपहिया, तिपहिया और ई-रिक्शा को छोड़कर सभी सार्वजनिक परिवहन वाहनों को वाहन स्थान ट्रैकिंग उपकरणों के साथ एकीकृत करना है। एक एकीकृत नियंत्रण और कमांड सेंटर वास्तविक समय में ऐसे सभी वाहनों के स्थान की निगरानी करेगा। परिवहन विभाग की कार्रवाई केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय की अधिसूचना और आदेश का अनुपालन करती है। यह अनिवार्य करता है कि मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 2(35) के तहत परिभाषित सभी निर्दिष्ट सार्वजनिक सेवा वाहनों और राष्ट्रीय परमिट की आवश्यकता वाले वाहनों को एक या अधिक आपातकालीन बटन के साथ वाहन स्थान ट्रैकिंग डिवाइस से सुसज्जित किया जाना चाहिए।
सीबीएसई ने उप-कानून में संशोधन करते हुए स्कूलों में सुरक्षा के संबंध में वास्तविक समय की ऑडियो-विजुअल रिकॉर्डिंग के साथ स्कूल के सभी प्रवेश और निकास बिंदुओं, लॉबी, गलियारे, सीढ़ियों, सभी कक्षाओं, प्रयोगशालाओं, पुस्तकालय, कैंटीन क्षेत्र, स्टोर रूम, खेल के मैदान और अन्य सामान्य क्षेत्रों में ऑडियो-विजुअल सुविधा के साथ उच्च रिजॉल्यूशन वाले सीसीटीवी कैमरे लगाना अनिवार्य कर दिया है।
सीबीएसई ने एक बड़ा फैसला लेते हुए सभी स्कूलों में सीसीटीवी कैमरा लगाना अनिवार्य कर दिया है। सीबीएसई के आदेश के अनुसार शौचालय छोड़कर बाकी सभी जगह कैमरा होना चाहिए। कैमरे में विजुअल के साथ-साथ ऑडियो भी अनिवार्य होना चाहिए। सीबीएसई के सचिव हिमांशु गुप्ता ने कहा, छात्रों की सुरक्षा स्कूल की सर्वोच्च जिम्मेदारियों में से एक है और यह सुनिश्चित करना है कि छात्रों को स्कूल में एक सुरक्षित और सुसंगत माहौल मिले। सुरक्षा के दो पहलू हैं- (क) असामाजिक तत्वों से सुरक्षा (ख) डराने, धमकाने और अन्य अंतर्निहित खतरों के संदर्भ में बच्चों की समग्र भलाई के लिए सुरक्षा।
परिवहन विभाग की ओर से लखनऊ के 300 स्कूलों को हाल ही में नोटिस जारी किया गया है, जिसमें स्कूली वाहनों में सुरक्षा के इंतजाम व फिटनेस करवाने को कहा गया है। इसके लिए उन्हें एक महीने की मियाद दी गई है। अगस्त में इस बाबत स्कूलों से पूछताछ की जाएगी। चार जुलाई को डीएम विशाख की अध्यक्षता में हुई बैठक के बाद कई निर्देश दिए गए थे, जिन पर तेजी से अमल नहीं किया जा रहा है। मसलन, स्कूलों को दस दिन का समय दिया गया था कि वाहनों की फिटनेस करवा लें, लेकिन यह सुस्त गति से चल रहा है। वहीं, अफसरों को निर्देशित किया था कि पंद्रह वर्ष उम्र पूरी कर चुके वाहनों को हटाने के लिए स्कूलों में जाएं और कार्रवाई करें। इस पर भी तीव्रता से अमल नहीं हो रहा है।
मिशन भरोसा पोर्टल पर 355 स्कूल, 5184 वाहन और 2465 वाहन चालकों को भी पंजीकृत किया जा चुका है। पोर्टल पर पंजीकृत सभी चालकों का चरित्र सत्यापन कराते हुए उनको आईकार्ड जारी किए गए। वाहनों के फिटनेस व परमिट से संबंधित दस्तावेजों का परीक्षण भी किया गया। ऐसे में डीएम ने ज्यादा से ज्यादा विवरण पोर्टल पर दर्ज कराने के निर्देश दिए थे। अनफिट स्कूली वाहनों के खिलाफ पहली जुलाई से शुरू हुए चेकिंग अभियान की रिपोर्ट शुक्रवार को जारी की गई।
लखनऊ में 115 स्कूली वाहनों को सीज किया गया। 415 के चालान हुए। 3.04 लाख रुपये का जुर्माना वसूला गया।परिवहन विभाग की आरटीओ प्रवर्तन की टीम ने पहली से 15 जुलाई तक चेकिंग अभियान चलाया। इसमें लखनऊ की कमान आरटीओ प्रवर्तन प्रभात पांडेय ने संभाली थी। लखनऊ संभाग में लखनऊ के अलावा उन्नाव, रायबरेली, सीतापुर, लखीमपुर, हरदोई जिले आते हैं। संभाग में कुल 6023 स्कूली वाहन पंजीकृत हैं।
4995 वाहनों की चेकिंग हुई। 687 मानकविहीन मिले, 325 वाहनों की फिटनेस खत्म हो गई है। 741 के चालान हुए तथा 232 वाहनों को सीज किया गया। वाहनों से कुल 14.44 लाख रुपये जुर्माना वसूला गया। आंकड़ों पर गौर करें तो उन्नाव में कुल दर्ज स्कूली वाहनों की संख्या के अनुपात में चेक किए गए वाहनों की संख्या काफी कम है। यहां 843 वाहन पंजीकृत हैं, जिसमें 483 की ही जांच हुई। लेकिन 3.53 लाख रुपये जुर्माना वसूला गया। यह संभाग में सर्वाधिक है। सीतापुर में कुल 678 स्कूली वाहन रजिस्टर्ड हैं। इसमें 659 की चेकिंग की कर ली गई। मात्र 19 वाहन ही ऐसे हैं, जो चेक नहीं हुए। हरदोई में 794 में से 650 की चेकिंग हुई, जिसमें 109 वाहन बिना फिटनेस के मिले हैं। वहीं मानकविहीन 110 वाहन मिले हैं। (श्रेष्ठा-हिफी फीचर) (हिफी)