लेखक की कलम

यूं ही नहीं चिदम्बरम् का सवाल

(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)
संसद मंे आपरेशन सिंदूर पर चर्चा शुरू हो गयी है। इसके दो महत्वपूर्ण बिन्दु हैं। पहला यह कि पहलगाम में जिन लोगों ने 26 निरपराध लोगों की हत्या की, धर्म पूछकर गोली मारी, उनमंे से एक भी आतंकी पकड़ा नहीं गया और न मारा गया। कम से कम मृतकों के परिजनों ने ऐसे किसी आतंकी की पहचान नहीं की है। दूसरा बिन्दु है सीज फायर का। इस संदर्भ मंे अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने दो दर्जन से ज्यादा बार कहा कि उन्हांेने भारत-पाक के बीच संघर्ष को रोकवाया जबकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनकी सरकार इस बात से बराबर इंकार करती रही हैं। अब लगभग एक हफ्ते के हंगामे के बाद जब संसद मंे इस पर चर्चा होनी है तो उससे पहले कांग्रेस के नेता और पूर्व रक्षा मंत्री पी. चिदम्बरम् ने एक न्यूज पोर्टल को साक्षात्कार देते हुए कहा है कि कोई यह क्यों नहीं बता रहा है कि पिछले कुछ हफ्तों मंे राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने क्या किया? क्या उन्हांेने उन आतंकियों की पहचान कर ली है जिन्होंने पहलगाम मंे धर्म पूछकर गोली मारी थी? चिदम्बरम् सवाल उठाते हैं कि वे कहां से आये थे? क्या पता वो देश के अंदर तैयार किये गये आतंकवादी हों? आपने क्यों यह मान लिया कि वो पाकिस्तानी थे? बहरहाल, यह मामला संवेदनशील तो है क्योंकि हमने पहलगाम हमले पर पाकिस्तान स्थित प्रतिरोध मोर्चा (टीआरएफ) अर्थात् द रेजिस्टेंस फ्रंट द्वारा जिम्मेदारी लेने के बाद ही पाकिस्तान के खिलाफ आपरेशन सिंदूर चलाया था और पाक अधिकृत कश्मीर के साथ पाकिस्तान के अंदर भी मिसाइल से अटैक कर आतंकवादी ठिकानों को नष्ट किया। पाकिस्तान हम पर भले ही आरोप लगा रहा था लेकिन उसका मित्र चीन तक भारत का विरोध नहीं कर पाया था। बाद मंे पाकिस्तान ने हमारे नागरिक और सैन्य ठिकानों पर हमला किया जिसका हमने मुंहतोड़ जवाब दिया। हमारे 22 घंटे के हमले में पाकिस्तान को घुटनों के बल बैठने को मजबूर होना पड़ा था। इन सबके बावजूद पी. चिदमबरम का प्रश्न अपनी जगह है। पहलगाम मंे 26 लोगों की हत्या करने वाले कहां है?
पी. चिदंबरम ने डिजिटल न्यूज पोर्टल द क्विंट के एक इंटरव्यू में वरिष्ठ पत्रकार हरिंदर बावेजा से बात करते हुए सरकार पर आरोप लगाया कि वह भी बताने को तैयार नहीं हैं कि पिछले कुछ हफ्तों में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने क्या किया। “क्या उन्होंने आतंकियों की पहचान कर ली है। वे कहां से आए थे। क्या पता वो देश के अंदर तैयार किए गए आतंकवादी हों। आपने क्यों यह मान लिया वो पाकिस्तान से आए थे। इसका कोई सबूत नहीं है। वे (सरकार) भारत को हुए नुकसान को भी छिपा रही है। पहलगाम में आतंकवादी हमले के तीन महीने गुजर चुके हैं। भारत ने आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान को ऑपरेशन सिंदूर के जरिए मुंहतोड़ जवाब दिया है। ऑपरेशन सिंदूर के वक्त पूरा विपक्ष भारत सरकार और अपनी सेना के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा रहा लेकिन सीजफायर के बाद से उसने सरकार से सवाल पूछे हैं। उसके सवाल अमेरिकी राष्ट्रपति के सीजफायर करवाने वाले दावे से लेकर आतंकी हमले को अंजाम देने वाले आतंकियों की गिरफ्तारी से जुड़े हैं। संसद का मानसून सत्र जारी है और विपक्षी दल, विशेष रूप से कांग्रेस, सरकार से जवाब मांग रही है। सोमवार, 28 जुलाई को लोकसभा में ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा शुरू हो गयी। लेकिन इससे पहले कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम ने सरकार से ऐसा सवाल पूछा है जिसकी आलोचना करते हुए बीजेपी ने आरोप लगाया है कि यह पाकिस्तान को क्लीनचीट देने जैसा है। इसी इंटरव्यू में उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर को लेकर कहा, “बिल्कुल भी पारदर्शिता नहीं है। देश को विश्वास में नहीं लिया गया। ऑपरेशन सिंदूर को कई सप्ताह हो गए हैं, जिसे, जैसा कि प्रधान मंत्री ने कहा, केवल रोका गया है और समाप्त नहीं किया गया है। यदि हां, तो उसके बाद क्या कदम उठाए गए हैं? क्या मोदी सरकार ने पहलगाम जैसा दूसरा हमला रोकने के लिए कोई कदम उठाया है? दूसरा, आतंकवादी हमलावर कहां हैं? आपने उन्हें क्यों नहीं पकड़ा, या उनकी पहचान भी क्यों नहीं की? हमलावरों को शरण देने वाले कुछ लोगों की गिरफ्तारी की खबर सामने आई थी। उनका क्या हुआ? बहुत सारे सवाल हैं। सरकार उन्हें क्यों टाल रही है? प्रधानमंत्री क्यों नहीं बोल रहे हैं?” अब बीजेपी ने इस बयान पर चिदंबरम और कांग्रेस की आलोचना की है। बीजेपी आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने इस इंटरव्यू का एक क्लीप पोस्ट करते हुए लिखा कि “एक बार फिर, कांग्रेस पाकिस्तान को क्लीन चिट देने के लिए दौड़ पड़ी है – इस बार पहलगाम आतंकी हमले के बाद। ऐसा क्यों है कि जब भी हमारी सेनाएं पाकिस्तान-प्रायोजित आतंकवाद का सामना करती हैं, कांग्रेस नेता भारत के विपक्ष की तुलना में इस्लामाबाद के वकील अधिक दिखते हैं?”
विवाद के बीच चिदंबरम ने ट्वीट करते हुए कहा, ट्रोल विभिन्न प्रकार के होते हैं और गलत सूचना फैलाने के लिए विभिन्न उपकरणों का उपयोग करते हैं। बीजेपी के हमले पर कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने सवाल किया, पाकिस्तान को क्लीन चिट तो सरकार ने दी जब उसने सेना को रोककर सीजफायर किया। पहलगाम के आतंकी जिंदा हैं। क्या इसके लिए बीजेपी शर्मिंदा है?
द रजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) ने घाटी में अपनी एक्टविटी वैसे तो स्लीपर सेल के रूप में की थी लेकिन जल्द ही इस संगठन ने जमीन पर उतरकर टारगेट किलिंग को अपना मुख्य मकसद बना लिया। टीआरएफ को लश्कर-ए-तैयबा का दूसरा फेस कहा जाता है। साथ ही इसे पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई का सपोर्ट भी है। इस संगठन के प्रमुख संस्थापक का नाम शेख सज्जाद गुल है। इसने पत्रकार शुजात बुखारी की हत्या की थी। इस पर भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने इनाम भी घोषित किया है। इसके अलावा साजिद बट्ट और सलीम रहमानी जैसे खतरनाक आतंकी भी इसके सदस्य हैं। 2019 में बने इस संगठन ने मात्र छह साल में कई बड़ी वारदातें की है। रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार लश्कर-ए-तैयबा और हिजबुल मुजाहिदीन से अलग और स्थानीय दिखाने के लिए द रजिस्टेंस फ्रंट नाम से संगठन बनाया गया। इसके पीछे अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद विरोधी संगठन से बचना मुख्य कारण हैं। ये एजेंसी मनी लांड्रिंग और आतंकवाद वित्तपोषण के खिलाफ काम करने वाला संगठन है। ये संगठन घुसपैठियों को घाटी में सपोर्ट, ड्रग व हथियार तस्करी में भी शामिल है। टीआरएफ युवाओं को संगठन से जोड़ने के लक्ष्य पर कार्य करता है जिससे नया कैडर तैयार हो और वो सुरक्षा बलों, इंटेलिजेंस के रडार पर न रहे। इससे इस संगठन को अपना लक्ष्य पाने में आसानी रहती है। अभी तक किसी फिदायीन हमले में टीआरएफ का नाम नहीं है सिर्फ टारगेट किलिंग ही इनका लक्ष्य है। टीआरएफ के आंतकी गुम हो जाते हैं। घाटी में कार्य करने वाले प्रवासी मजदूर, कश्मीरी पंडित, सेना, सीआरपीएफ के कैंप पर हमला ही इनका मूल उद्देश्य है। (हिफी)

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button