ऋचा सचान की मौत का संदेश

गाजियाबाद मंे एक आवारा कुत्ते को बचाने मंे एक महिला दरोगा ऋचा सचान की मौत हो गयी। सामान्य रूप से यह एक वाहन दुर्घटना है जिसमें एक बाइक कार से टकरा गयी और बाइक सवार महिला दरोगा की जान चली गयी लेकिन इसका संदेश बहुत दूर तक जाता है। यह हादसा उन आवारा कुत्तों की वजह से हुआ है जिनको सड़कों से हटाने का आदेश सुप्रीम कोर्ट ने दिया है। सुप्रीम कोर्ट के सामने एक नहीं कई प्रकरण ऐसे लाये गये जिनमंे आवारा कुत्तों ने बच्चों को नोच डाला, बुजुर्गों को, महिलाओं को दौड़ा कर काटा जिससे वे रैबीज के इंजेक्शन लगवा रहे हैं। आवारा कुत्ते दुर्घटना का कारण भी बन रहे हैं, जिसका ताजा उदाहरण गाजियाबाद का है। सुप्रीम कोर्ट के माननीय न्यायाधीश जस्टिस पारदीवाला की बेंच ने आवारा कुत्तों को शेल्टर होम में तत्काल पहुंचाने का आदेश दिया, तो उसका कथित पशु प्रेमियों ने विरोध शुरू कर दिया है। अभी दिल्ली मंे विरोध प्रर्दशन करते हुए कहा गया कि ये आवारा नहीं हैं, हमारे हैं अर्थात् इनको सड़क पर से न पकड़िये। इतना ही नहीं विरोध प्रदर्शनों के चलते ही संभवतः भारत के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने जस्टिस पारदीवाला की बेंच में बदलाव कर दिया। महिला दरोगा ऋचा सचान की मौत के बाद क्या आवारा कुत्तों के मामले पर सभी लोग नये सिरे से विचार करेंगे? कथित पशु प्रेमियों को विशेष रूप से इस बारे में सोचना चाहिए।
उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में एक आवारा कुत्ते को बचाने के चक्कर में दरोगा की मौत हो गई। कवि नगर थाने में तैनात महिला दरोगा ऋचा सचान देर रात अपनी ड्यूटी पूरी करने के बाद अपने रूम लौट रही थीं। शास्त्री नगर में काटे चैक पर अचानक एक आवारा कुत्ता उनकी गाड़ी के सामने आ गया। कुत्ते को बचाने के चक्कर में रिचा ने बाइक को मोड़ा तभी सामने से एक कार आ गई। ऋचा की बाइक अनियंत्रित होकर गिर गई। ऋचा बाइक से नीचे गिर गईं और दूर तक सड़क पर घिसटती हुई चली गईं। सड़क हादसे में ऋचा के शरीर पर कई जगह चोटें आईं। उनके सिर पर गंभीर चोटें आई, जिसके चलते ऋचा की मौत हो गई। मूल रूप से कानपुर की रहने वाली ऋचा सचान 2023 बैच की दरोगा थीं।
11 अगस्त 2025 को, सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में आवारा कुत्तों को सड़कों से हटाने और उन्हें शेल्टर होम्स में स्थानांतरित करने का आदेश दिया। जस्टिस जे.बी. पारदीवाला और जस्टिस आर. महादेवन की बेंच ने यह फैसला स्वतः संज्ञान लेते हुए दिया, जिसमें कहा गया कि 6-8 हफ्तों के भीतर सभी आवारा कुत्तों को हटाकर शेल्टर होम्स में रखा जाए और उन्हें सड़कों पर वापस न छोड़ा जाए। कोर्ट ने कुत्तों के काटने और रेबीज से होने वाली मौतों को गंभीर खतरा मानते हुए यह आदेश दिया। साथ ही, एक हेल्पलाइन स्थापित करने और इस प्रक्रिया में बाधा डालने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का बड़े पैमाने पर विरोध हो रहा है।
अब सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस बी.आर. गवई ने जस्टिस जे.बी. पारदीवाला की बेंच में एक बड़ा फेरबदल किया है, जिसके पीछे उनके द्वारा दिए गए दो हालिया विवादित आदेशों को मुख्य वजह माना जा रहा है। इन फैसलों ने न केवल कानूनी हलकों में बल्कि आम जनता के बीच भी तीखी बहस छेड़ दी थी। पहला मामला इलाहाबाद हाईकोर्ट से जुड़ा था। जस्टिस पारदीवाला और जस्टिस आर. महादेवन की बेंच ने एक आदेश पारित करते हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट के एक जज को आपराधिक मामलों की सुनवाई से रोक दिया था और यह भी निर्देश दिया था कि उन्हें किसी सीनियर जज के साथ बैठाया जाए। इस आदेश पर भारी विवाद हुआ, जिसके बाद चीफ जस्टिस गवई को हस्तक्षेप करना पड़ा। उन्होंने बेंच को अपने आदेश पर फिर से विचार करने को कहा, जिसके बाद बेंच को अपना मूल आदेश बदलना पड़ा।
दूसरा मामला दिल्ली-एनसीआर में आवारा कुत्तों से संबंधित था। 11 अगस्त को इसी बेंच ने आदेश दिया था कि सभी आवारा कुत्तों को सड़कों से हटाकर शेल्टर होम में भेजा जाए। इस फैसले का भी पशु प्रेमियों और सामाजिक संगठनों ने देशभर में पुरजोर विरोध किया। विवाद को देखते हुए चीफ जस्टिस गवई ने तुरंत कार्रवाई की और इस मामले को जस्टिस पारदीवाला की बेंच से हटाकर तीन जजों की एक नई बेंच को सौंप दिया। इन दोनों घटनाओं के बाद सुप्रीम कोर्ट के रोस्टर में बदलाव किया गया है। अब जस्टिस पारदीवाला के साथ जस्टिस के.वी. विश्वनाथन की नई बेंच बनाई गई है, जबकि जस्टिस आर. महादेवन को जस्टिस बी.वी. नागरत्ना के साथ नई बेंच में शामिल किया गया है।
आवारा कुत्तों को पकड़ने और उन्हें आश्रय स्थलों में भेजने संबंधी सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर कई संगठनों ने आपत्ति जताई है। विरोध प्रदर्शन करने के दौरान पशु प्रेमी और पशु अधिकार कार्यकर्ताओं ने 10 अगस्त देर रात ईश्वर की शरण में भी पहुंचे। उन्होंने आवारा कुत्तों की रक्षा के लिए भगवान से प्रार्थना की। पशु अधिकार कार्यकर्ता कनॉट प्लेस स्थित हनुमान मंदिर और बंगला साहिब गुरुद्वारा में इकट्ठा हुए। कार्यकर्ताओं ने बताया कि प्रार्थना सभा देर रात 12 बजे हनुमान मंदिर में शुरू हुई, जिसमें लगभग 200 लोगों ने भाग लिया। ‘आवारा नहीं, हमारा है’ के नारे लिखे बैनर लेकर लोगों ने हनुमान चालीसा का पाठ किया और फिर वे बंगला साहिब गुरुद्वारे की तरफ चल पड़े। हालांकि, पुलिस ने उन्हें बंगला साहिब के बाहर ही रोक दिया।
एक कार्यकर्ता ने कहा, ‘कई दिनों के विरोध-प्रदर्शन से हम थक चुके हैं, इसलिए हम यहां ईश्वर की शरण में आए हैं ताकि वह हमें इस संघर्ष में शक्ति दें।’ कार्यकर्ताओं ने कहा कि वे सुप्रीम कोर्ट से आवारा कुत्तों को आश्रय स्थलों में भेजने के अपने आदेश को वापस लेने की मांग पर अड़े रहेंगे।
कार्यकर्ताओं ने कहा, ‘पहले हमारा संघर्ष इसके लिए था कि दिल्ली में कुत्तों के लिए कोई उचित आश्रय स्थल नहीं है। अब हम चाहते हैं कि सरकार रात में सड़कों से इन बेजुबान जानवरों को उठाना बंद करे।’ न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति आर महादेवन की पीठ ने कहा था कि ‘पूरी समस्या’ स्थानीय निकायों की ‘निष्क्रियता’ के कारण उत्पन्न हुई है। हालांकि, न्यायालय ने अपने 11 अगस्त के दिशा-निर्देशों के कुछ हिस्सों पर रोक लगाने के अनुरोध वाली याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया है।
इन पशु प्रेमियों से यह सवाल भी किया जाना चाहिए कि किसी आवारा कुत्ते के कारण इंसान की मौत क्यों हो रही है।(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)