माननीयों पर अंकुश का विधेयक

यह सराहनीय है कि नरेन्द्र मोदी की सरकार ने माननीयों पर अंकुश लगाने के लिए संसद में विधेयक पेश किया है। इस विधेयक को लेकर विपक्षी दलों का हंगामा समझ में नहीं आता। केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने तीन विधेयक पेश किये हैं। इन विधेयकों के तहत 30 दिनों तक गंभीर आरोपों में गिरफ्तार, प्रधानमंत्रियों, मुख्यमंत्रियों और मंत्रियों को उनके पद से हटाने का प्रावधान है। लोकसभा में 20 अगस्त को विपक्ष ने इस पर जमकर हंगामा किया। विपक्षी दलों का तर्क है कि जिस तरह से झारखंड में हेमंत सोरेन और दिल्ली के तत्कालीन मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल को गिरफ्तार किया गया और जमानत मिलने के बाद वे सक्रिय राजनीति में वापस आ गये थे
गवर्नमेंट आफ यूनियन टेरिटरीज (अमेंडमेंट) बिल 2025, द कांस्टिट्यूशन 130वां संशोधन विधेयक 2025 और द जम्मू एण्ड कश्मीर रिआर्गनाइजेशन (अमेंडमेंट) बिल 2025
लेकिन अमित शाह के विवादास्पद विधेयकों से उनका सक्रिय राजनीति मंे वापस आना संभव नहीं रहेगा। फिलहाल, विपक्षी दलों के विरोध के चलते विधेयकों को संसद की संयुक्त समिति (जेपीसी) के पास भेज दिया गया है, जहां पक्ष और विपक्ष के सांसद इस पर विचार-विमर्श करेंगे। ये तीन विवादास्पद विधेयक हैं- गवर्नमेंट आफ यूनियन टेरिटरीज (अमेंडमेंट) बिल 2025, द कांस्टिट्यूशन 130वां संशोधन विधेयक 2025 और द जम्मू एण्ड कश्मीर रिआर्गनाइजेशन (अमेंडमेंट) बिल 2025। विपक्षी दलों को अब जेपीसी में अपना पक्ष अकाट्य ढंग से रखना होगा क्योंकि आज अगर केन्द्र में भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार है तो कल दूसरे दल की सरकार भी बन सकती है। उस समय ये विधेयक भाजपा के लिए भी उसी तरह जोखिम भरे हो सकते हैं।
इसलिए विपक्षी दलों को व्यापक हित-अहित और सदुपयोग-दुरुपयोग देखकर ही फैसला करना चाहिए। जेल में रहकर भी मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बने रहना शोभा तो नहीं देता है।
लोकसभा में 20 अगस्त को उस वक्त हंगामा मच गया, जब विपक्ष के सांसदों ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा पेश किए गए तीन विवादास्पद विधेयकों की कॉपियां फाड़ दीं। ये विधेयक 30 दिनों तक गंभीर आरोपों में गिरफ्तार प्रधानमंत्रियों और मुख्यमंत्रियों को उनके पद से हटाने का प्रावधान करते हैं।विधेयकों को फाड़ने के बाद विपक्ष के सांसद निचले सदन के वेल में आ गए और नारेबाजी करने लगे। इस दौरान, अमित शाह ने विपक्ष के आरोपों को खारिज किया कि बिल जल्दबाजी में लाए गए थे।
उन्होंने आश्वासन दिया कि इन्हें संसद की संयुक्त समिति के पास भेजा जाएगा, जहां दोनों सदनों के सदस्यों, जिसमें विपक्ष भी शामिल होगा, को अपने सुझाव देने का मौका मिलेगा। केंद्रीय मंत्री ने कहा, हम इतने बेशर्म नहीं हो सकते कि गंभीर आरोपों का सामना करते हुए भी संवैधानिक पदों पर बने रहें। एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी, कांग्रेस के मनीष तिवारी और केसी वेणुगोपाल सहित कई विपक्षी सांसदों ने इन विधेयकों का विरोध करते हुए प्रस्तावित कानून को संविधान और संघवाद के खिलाफ बताया।
अमित शाह ने कहा कि इन विधेयकों का उद्देश्य प्रधानमंत्री या किसी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश के मुख्यमंत्री को पद से हटाना है, अगर उन्हें 30 दिनों तक लगातार गंभीर आपराधिक आरोपों में गिरफ्तार या हिरासत में रखा जाता है। यदि इनमें से किसी को लगातार 30 दिनों तक ऐसे अपराधों के लिए गिरफ्तार किया जाता है, जिसके लिए कम से कम पांच साल की जेल हो सकती है, तो वे 31वें दिन अपना पद खो देंगे। ये विधेयक पूर्व दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और तमिलनाडु के मंत्री वी. सेंथिल बालाजी की गिरफ्तारी के बाद भी उनके पदों से इस्तीफा न देने के संदर्भ में लाए गए हैं।
विपक्ष ने इन विधेयकों को तानाशाही बताया और सत्तारूढ़ भाजपा पर देश को पुलिस राज्य में बदलने की कोशिश करने का आरोप लगाया। वायनाड से सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा, मैं इसे पूरी तरह से तानाशाही मानती हूं, क्योंकि यह हर चीज के खिलाफ है। इसे भ्रष्टाचार विरोधी उपाय बताना लोगों की आंखों पर पर्दा डालना है। उन्होंने आगे कहा, कल आप किसी भी मुख्यमंत्री पर किसी भी तरह का केस लगा सकते हैं, उन्हें बिना किसी दोष सिद्ध के 30 दिनों तक गिरफ्तार करवा सकते हैं,और वह मुख्यमंत्री नहीं रहेगा। यह पूरी तरह से असंवैधानिक, अलोकतांत्रिक और बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार देश को पुलिस राज्य में बदलना चाहती है। उन्होंने कहा, यह बिल असंवैधानिक है।
प्रधानमंत्री को कौन गिरफ्तार करेगा? कुल मिलाकर, भाजपा सरकार इन बिलों के जरिए हमारे देश को एक पुलिस राज्य बनाना चाहती है। हम इनका विरोध करेंगे। भाजपा यह भूल रही है कि सत्ता हमेशा नहीं रहती।
उल्लेखनीय है कि अरविन्द केजरीवाल को 28 मार्च 2024 तक रिमांड पर लिया गया और वे ईडी की हिरासत में रहे। दिल्ली उच्च न्यायालय ने तत्कालीन मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी के खिलाफ याचिका खारिज कर दी। सुप्रीम कोर्ट की दो जजों की बेंच ने उन्हें 13 सितंबर 2024 को सीबीआई भ्रष्टाचार मामले में जमानत दे दी।सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने के बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जेल से बाहर आ गए। इस बीच वे सीएम बने रहे।
दिल्ली की तिहाड़ जेल से बाहर आकर अरविंद केजरीवाल ने बीजेपी को बिना नाम लिए निशाने पर लिया। उन्होंने कहा कि इन लोगों को लगा कि मुझे जेल में डालकर मेरा हौसला तोड़ देंगे। आज मैं जेल से बाहर आ गया हूं और मेरे हौसले 100 गुना ज्यादा बढ़ गये हैं। उन्होंने कहा कि जेल की सलाखे केजरीवाल के हौसले को कम नहीं कर सके। दिल्ली की आबकारी नीति में कथित घोटाले के लिए केजरीवाल को ईडी ने इसी साल 21 मार्च को गिरफ्तार किया था, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने जुलाई में जमानत दे दी थी। लेकिन हिरासत में रहते हुए अरविंद केजरीवाल को 26 जून को सीबीआई ने फिर से गिरफ्तार कर लिया था, इसलिए वह जेल में ही रहे।
इसी तरह 28 जून 2024 को झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को जमीन घोटाले से जुड़े मामले में बड़ी राहत मिली। राज्य के हाई कोर्ट से उन्हें जमानत मिलने के बाद उनकी रिहाई भी हो गई। झारखंड के पूर्व सीएम हेमंत सोरेन की पांच महीने बाद जेल से रिहाई हुई। इस बीच चम्पई सोरेन ने मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाली लेकिन निर्देश हेमंत सोरेन के ही चले। जेल से रिहाई के बाद हेमंत सोरेन मुख्यमंत्री की कुर्सी पर फिर बैठे थे। हेमंत सोरेन को ईडी ने जमीन घोटाला मामले में 31 जनवरी को करीब आठ घंटे तक पूछताछ के बाद गिरफ्तार कर लिया था।
(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)