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धर्म के चोले में छिपे कालनेमि

विडम्बना यह कि कलियुग के कालनेमियों द्वारा लड़कियों के चरित्र पर जमकर कीचड़ उछाला जाता है और पाखंडी अपराधी बाबाओं से बेटियों महिलाओं को जागरूक करने के लिए एक शब्द भी नहीं निकलता है।
हाल ही में देश की आधी आबादी महिलाओं पर एक कथावाचक और एक बाबा ने जिस तरह से अनर्गल आरोप लगाए, उससे समूचे देश में एक बहस छिड़ गयी है कि आखिर सौ में से दो चार महिलाओं को ही पवित्र बताना और बाकी 96 को अपवित्र करार देना समूचे नारी जगत का अपमान है।
वहीं, आप को बता दें कि जहां संत-महात्मा देश और समाज को मार्गदर्शन प्रदान करते हैं, परंतु कुछ तथाकथित स्वयंभू संत-महात्मा और बाबा इसके विपरीत आचरण करके संत-समाज की बदनामी का कारण बन रहे हैं। आज ऐसे तथाकथित धर्म गुरु और बाबाओं की पूरी फेहरिस्त है जिन्होंने अल्पवय नाबालिग बच्चियों से लेकर मजबूर और बेसहारा महिलाओं तक के साथ यौन दुराचार ब्लेक मेलिंग और बलात्कार की वारदातों को अंजाम दिया है।
आपको बता दें विगत वर्षों में आसाराम बापू, फलाहारी बाबा, गुरमीत राम रहीम सिंह, बाबा वैराग्या नंद गिरि उर्फ मिर्ची बाबा, लिंगायत साधु शिवमूर्ति मुरुघा शरणारू तथा जलेबी बाबा आदि को महिलाओं और बच्चियों के यौन शोषण आदि के आरोपों में गिरफ्तार किया जा चुका है, जबकि ऐसे कई अन्य धार्मिक कथावाचकों, पुजारी और बाबाओं के विरुद्ध शिकायतों का सिलसिला लगातार जारी है। सवाल यह है कि जब देश की बेटियों को पच्चीस साल की आयु तक चार पांच जगह मुंह मारने जैसा अमानवीय निर्लज्जता और नितान्त पतित आक्षेप लगाया जाता है तब भी हमारी सरकारें ऐसे ढोंगी पाखंडी बहुरुपिए महिला विरोधी कथावाचक के खिलाफ समुचित कानूनी कार्रवाई क्यों नहीं करतीं हैं? समाज को उपदेश देकर रील वायरल कर ख्याति जुटाने वाले बाबा जो यह कहते हुए कतई नहीं घबराते कि सौ में से दो चार लड़कियां ही पवित्र रह गयी हैं। क्या कभी उन्होंने बाबाओं और पाखंडी कथावाचकों से बच्चियों और महिलाओं को दूरी बनाए रखने के लिए जागरूक करने का भी उपदेश दिया? क्या कभी दबी जुबान से ही सही उन्होंने ऐसे ढोंगी पाखंडी धर्म का लबादा ओढ़े छिपे सियारों की निंदा की जो धर्म की आड़ में नौटंकी कर लगातार मासूम बच्चियों और धार्मिकता के जाल में आकर्षित महिलाओं की अस्मत के साथ खिलवाड़ करते हैं ?
आपको हाल ही के दिनों में धर्म का चोला पहने गुंडों कामुक बदमाशों की करतूतों से जुड़ी कुछ वारदातों से अवगत कराते हैं। बीती 28 जनवरी को जींद हरियाणा के अलेवा थाना क्षेत्र के एक गांव में पुजारी पर मंदिर में नाबालिग लड़की के साथ दुष्कर्म का मामला सामने आया। आरोप है कि पुजारी ने लड़की के अश्लील फोटो और वीडियो भी बनाई। पुलिस ने आरोपी पुजारी के खिलाफ दुष्कर्म, अपहरण करने और पाॅक्सो एक्ट के तहत मामला दर्ज किया।
20 फरवरी को अमरावती (महाराष्ट्र) जिले के शिरखेड़ थाना के तहत सिद्धपुरमठ के 75 वर्षीय पुजारी सुरेंद्र मुनि तालेगांवकर और उसके सहायक बाला साहब देसाई को एक 17 वर्षीय नाबालिग लड़की का कई बार यौन उत्पीड़न करके उसे गर्भवती कर देने के आरोप में दोनों को गिरफ्तार किया गया।
उत्तर प्रदेश के सीतापुर में मार्च में एक पत्रकार राघवेंद्र ने शिवानंद बाबा मंदिर के पुजारी को मंदिर में दुष्कर्म करते हुए देख लिया था। पुजारी शिवानंद ने अपने करीबी निर्मल सिंह और असलम गाजी की मदद से दो शूटरों को राघवेंद्र की सुपारी दी। इसके बाद रेकी कर शूटरों ने राघवेंद्र की हत्या कर दी।
26 मई को संबलपुर (ओडिशा) जिले के जमनकिरा गांव में स्थित एक धार्मिक स्थल के पुजारी को मंदिर परिसर के अंदर एक 11 वर्षीय बच्ची से बलात्कार करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया।
यह घिनौना अपराध तब हुआ जब बच्ची अपने पिता के साथ रोजाना की पूजा-अर्चना में सहायता करने के लिए उक्त धार्मिक स्थल पर गई थी। दोपहर की पूजा और भोजन के बाद जब यह बच्ची भोग घर अर्थात भोग चढ़ाने वाले कमरे के निकट आराम कर रही थी, तभी पुजारी ने यह पाप कर डाला।
1 जून को गाजियाबाद (उत्तर प्रदेश) के श्कौशाम्बीश् थाना क्षेत्र में स्थित एक आश्रम की संचालिका दिव्या योग माया सरस्वती के सौतेले भाई गोकुल ने कोल्ड ड्रिंक में नशीला पदार्थ मिलाकर वहां रहने वाली एक साध्वी से बलात्कार किया। होश में आने पर जब उसने पुलिस को शिकायत करने की बात कही तो आश्रम की संचालिका दिव्या योग माया सरस्वती और उसकी सहायिका शबनम उर्फ राधा, जिन्हें गिरफ्तार कर लिया गया है, ने उसके साथ मारपीट की और उसका अश्लील वीडियो वायरल करने की धमकी देकर उसे ब्लैकमेल भी किया।
6 जून को श्री डूंगरगढ़ (राजस्थान) में एक मंदिर के पुजारी के विरुद्ध प्रसाद देने के बहाने 8 और 9 वर्ष की 2 बच्चियों को अपने पास बुला कर उनसे बलात्कार कर डालने के आरोप में पुलिस ने केस दर्ज किया। इसी प्रकार 5 जुलाई को छतरपुर (मध्य प्रदेश) जिले में एक मंदिर के पुजारी भगवत शरण ने प्रसाद देने के बहाने पांच और छह साल की दो मासूम चचेरी बहनों को मंदिर में बुलाकर उनके साथ दुष्कर्म किया और एक मासूम बच्ची के प्राइवेट पार्ट को दांत से काट भी दिया जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गई।
14 जुलाई को फिरोजाबाद (उत्तर प्रदेश) में नारखी स्थित एक आश्रम में संतान उत्पत्ति के लिए अनुष्ठान करवाने पहुंची एक महिला को कमरे में ले जाकर आश्रम के बाबा चंद्रपाल ने उससे बलात्कार कर डाला जबकि महिला के साथ गए उसके पति, ननद तथा ननदोई बाहर बैठे इंतजार करते रहे। सच्चाई सामने आने पर आश्रम में हंगामा खड़ा हो गया और पुलिस ने आरोपी बाबा को गिरफ्तार कर लिया।
4 अगस्त को ढेंकनाल (ओडिशा) के कामाक्ष्य नगर में माताकरगोला आश्रम के मुख्य पुजारी को आश्रम परिसर में बने एक कमरे में सो रही एक महिला से बलात्कार करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया।
ये वारदातें तो सिर्फ बानगी भर है लिस्ट बहुत लंबी है हालांकि सभी संत ऐसे नहीं हैं परंतु निश्चय ही ऐसी घटनाएं संत समाज की बदनामी का कारण बन रही हैं। हालांकि इसके लिए किसी सीमा तक महिलाएं भी दोषी हैं, जो इन ढोंगी बाबाओं की भाषण कला से प्रभावित होकर इनके झांसे में आ जाती हैं और संतान प्राप्ति, घरेलू समस्या निवारण आदि के लोभ में अपना सर्वस्व लुटा बैठती हैं। जाहिर है कि जहां महिलाओं को सावधानी बरतने की जरूरत है, वहीं समाज व घर के बड़े-बुजुर्गों को भी परिवार की महिलाओं और बच्चियों को विशेष रूप से बिना जांचे परखे इस तरह के बाबाओं के जाल में फंसने से बचने के लिए सचेत और जागरूक करना चाहिए। (मनोज कुमार अग्रवाल-हिफी फीचर)

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