लिपुलेख को लेकर नेपाल के दावे का भारत ने किया विरोध

भारत ने लिपुलेख को लेकर किए गए नेपाल के बेतुके दावे पर कड़ी आपत्ति जाहिर की है। भारत ने लिपुलेख दर्रे के माध्यम से सीमा व्यापार फिर से शुरू करने के उसके और चीन के फैसले पर नेपाल की आपत्ति को स्पष्ट रूप से खारिज कर दिया। भारत ने कहा कि इस क्षेत्र पर काठमांडू का दावा उचित नहीं है। भारत ने कहा कि नेपाल का लिपुलेख पर दावा न तो उचित है और न ही ऐतिहासिक बता दें कि भारत और चीन ने 19 अगस्त को लिपुलेख दर्रे और दो अन्य व्यापारिक दर्रों के
माध्यम से सीमा व्यापार फिर से शुरू करने पर सहमति व्यक्त की। इसके बाद ही नेपाल के विदेश मंत्रालय ने लिपुलेख दर्रे के माध्यम से सीमा व्यापार फिर से शुरू करने के इस कदम पर आपत्ति जताते हुए कहा था कि यह क्षेत्र नेपाल का अविभाज्य हिस्सा है। इससे पहले भी नेपाल ने 2020 में एक राजनीतिक मानचित्र जारी करके सीमा विवाद पैदा कर दिया था, जिसमें कालापानी, लिंपियाधुरा और लिपुलेख को नेपाल का हिस्सा दिखाया गया था।
नेपाल जिस कालापानी, लिंपियाधुरा और लिपुलेख दर्रे पर अपना दावा करता है, वह भारत का हिस्सा है। भारत कई बार नेपाल के दावे को पहले भी खारिज कर चुका है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने नेपाल के इस क्षेत्र पर दावों को खारिज करते हुए कहा, ‘‘हमने लिपुलेख दर्रे के
माध्यम से भारत और चीन के बीच सीमा व्यापार को फिर से शुरू करने से संबंधित नेपाल के विदेश मंत्रालय की टिप्पणियों पर गौर किया है।’’ जायसवाल ने कहा, ‘‘इस संबंध में हमारी स्थिति सुसंगत और स्पष्ट रही है। उल्लेखनीय है कि भारत और चीन के बीच सीमा व्यापार लिपुलेख दर्रे के जरिए 1954 में शुरू हुआ था और दशकों तक जारी रहा है।’’ उन्होंने कहा कि हाल के वर्षों में कोविड-19 और अन्य घटनाओं के कारण यह व्यापार बाधित हुआ था। अब दोनों पक्ष इसे फिर से शुरू करने पर सहमत हुए हैं।