लेखक की कलम

बेगूसराय में राजद की पकड़ मजबूत

बिहार में अभी चुनाव की तारीखें ही नहीं घोषित हुई हैं लेकिन नेताओं के पाला बदलने से राजनीतिक दलों की उन क्षेत्रों में मजबूती या कमजोरी का अंदाजा तो लगाया ही जा सकता है। अभी हाल मंे बेगूसराय के मटिहानी से चार बार विधायक रहे नरेन्द्र कुमार सिंह उर्फ बोगो सिंह ने नीतीश कुमार का हाथ झटक कर तेजस्वी यादव की लालटेन थाम ली है। बोगो सिंह ने निर्दलीय रहकर भी चुनाव जीता? वह बाहुबली नेता माने जाते हैं और बेगूसराय मंे उनके चलते राजद को मजबूती मिलेगी। तेजस्वी यादव को राज्य में विपक्षी दलों का नेता मान लिया गया है। गत दिनों राहुल गांधी ने उनके साथ रैली की थी और तेजस्वी ने ड्राइवर की सीट संभाली थी। इस प्रकार बिहार मंे विपक्षी दलों के बिखराव की आशंका फीकी पड़ गयी है लेकिन लालू यादव का घर बिखरा हुआ है। लालू यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव लगातार ऐसे बयान दे रहे हैं जो तेजस्वी के लिए मुसीबत बन जाते हैं।
बिहार विधानसभा चुनाव के पहले नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू को बेगूसराय में तगड़ा झटका लगा है। जिले के मटिहानी विधानसभा से चार बार के विधायक रहे जेडीयू के पूर्व विधायक नरेंद्र कुमार सिंह उर्फ बोगो सिंह ने आरजेडी का दामन थाम लिया है। बोगो सिंह ने अपनी आवास पर प्रेस वार्ता कर इसकी घोषणा की। बोगो सिंह ने कहा कि हमारे दिल में आरजेडी है, हम आरजेडी के हो गए और राजद के लोग मेरे हो गए। जेडीयू के पूर्व विधायक नरेंद्र कुमार सिंह उर्फ बोगो सिंह ने कहा कि हमारी ड्यूटी बनती है संपूर्ण बिहार में जहां तक मेरी आवाज जाए वहां आरजेडी जीते। सबसे पहले बेगूसराय की सातों सीट जीतने का काम होगा और तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बनाना हमारी पहली प्राथमिकता होगी। हम आरजेडी के कार्यकर्ता हैं और आरजेडी के सिपाही हैं। हम जिस घर में रहते हैं उसकी एक-एक ईंट की रक्षा करते हैं।
मटिहानी से चुनाव लड़ने की सवाल पर उन्होंने कहा कि यह आला कमान तय करेंगे। बोगो सिंह ने कहा कि मैं 333 वोट से चुनाव हार गया था लेकिन एनडीए और हमारे आदरणीय नीतीश कुमार ने 5 साल में एक बार भी नोटिस नहीं लिया। मटिहानी की प्राथमिकता तय है। क्षेत्र का विकास करना मेरी प्राथमिकता है।
बाहुबली छवि के बोगो सिंह ने वर्ष 2005 के फरवरी चुनाव में निर्दलीय चुनाव लड़कर जीत हासिल की थी और फिर नवंबर के चुनाव में भी निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरे थे और जेडीयू ने बाहर से समर्थन किया था, जिसके कारण उन्हें दोबारा सफलता मिली। इसके बाद फिर 2010 और 2015 का चुनाव जदयू के टिकट पर मटिहानी विधानसभा से जीता था। साल 2020 के विधानसभा चुनाव में उन्हें लोजपा उम्मीदवार राजकुमार सिंह से 333 मतों से हार का सामना करना पड़ा था।साल 2020 के विधानसभा चुनाव के बाद लोजपा विधायक राजकुमार सिंह पाला बदलकर जेडीयू में शामिल हो गए थे। जेडीयू में शामिल होने के बाद राजकुमार सिंह 2025 के चुनाव में भी जेडीयू के दावेदार माने जा रहे हैं, क्योंकि वह वर्तमान में जेडीयू के विधायक हैं। इस वजह से बोगो सिंह जेडीयू से नाराज चल रहे थे। हालांकि जेडीयू ने उन्हें पार्टी से अभी तक निष्कासित नहीं किया था और 2024 के लोकसभा चुनाव में बोगो सिंह ने महागठबंधन उम्मीदवार के पक्ष में खुलकर चुनाव प्रचार किया था।
इसके बाद से ही कयास लगाया जा रहा था कि 2025 के चुनाव में बोगो सिंह किसी दूसरे पार्टी का हाथ थाम सकते हैं। अब तेजस्वी से मुलाकात के बाद आरजेडी में शामिल होने से यह कयास सच हो गया है संभवतः महागठबंधन से राजद का उम्मीदवार मटिहानी से बोगो सिंह होंगे। हालांकि 2020 में महागठबंधन से मटिहानी विधानसभा सीट सीपीएम के खाते में गई थी और राजेंद्र सिंह विजय उम्मीदवार से करीब 700 मत कम से तीसरे स्थान पर रहे थे।
यहां तक तो ठीक है लेकिन तेजस्वी के लिए उनके भाई मुसीबत बने हैं। लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव अपने बयानों की वजह से अक्सर चर्चा में रहते हैं। उन्होंने अपने सोशल मीडिया एक्स हैंडल पर एक बार फिर ऐसा पोस्ट किया है, जो चर्चा में है। तेज प्रताप ने कहा, जयचंदों में से एक जयचंद आज बिहार छोड़कर भागने वाला है। तेज प्रताप ने अपने एक्स हैंडल पर पोस्ट कर कहा, एक महत्वपूर्ण सूचना, पांच जयचंदों में से एक जयचंद आज बिहार छोड़कर भागने वाला है। आज शाम पटना जंक्शन से अपने पूरे परिवार समेत भागने की तैयारी कर चुका है। जब चुनाव का समय आया तो मैदान छोड़कर कर भागना ये क्या दर्शाता है आप जनता और मीडिया के भाई बंधु ही तय करें। कोई भी जयचंद मेरी नजरों से बच नहीं सकता है। धीरे धीरे और बचे हुए जयचंदों का भी चेहरा और चरित्र जल्द सामने आएगा। क्योंकि भगवान के घर देर है अंधेर नहीं। सभी मीडिया बंधु साथियों से कहना है कि अलर्ट मोड पर रहिए ये जयचंद पटना एयरपोर्ट, पटना जंक्शन या बस स्टैंड से भी जाकर भाग सकता है। तेज प्रताप ने इससे पहले एक और एक्स पोस्ट में आकाश यादव नाम के शख्स को जयचंद बताया था। उन्होंने कहा था, आकाश यादव और कुछ जयचंदो के द्वारा हमारी फोटो को वायरल कर देना, हमारी राजनीति को खत्म करने की साजिश है लेकिन इन जयचंदों को अभी पता नहीं कि हमारा नाम तेज प्रताप यादव है। कोई जयचंद कितनी भी बड़ी से बड़ी साजिश करले, लेकिन वो हमसे कभी जीत नहीं पाएगा। हम बिहार की राजनीति में अपने संगठन और सोशल प्लेटफार्म टीम तेज प्रताप यादव के माध्यम से पूरे राज्य में जन संवाद करेंगे और चुनाव भी लड़ेंगे।
बिहार की राजनीति में लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव के दोनों ही बयान न सिर्फ चैंकाने वाले हैं, बल्कि परिवार और पार्टी के भीतर के तनाव को भी उजागर करते हैं। तेज प्रताप यादव ने एक अन्य पोस्ट में अपनी राहुल-तेजस्वी की वोटर अधिकार यात्रा को लेकर तंज कसा है। तेज प्रताप ने लिखा है, मुझे समझ नहीं आ रहा है कि राहुल गांधी और तेजस्वी यादव लोकतंत्र बचाने के लिए निकले हैं या फिर लोकतंत्र को ताड़ ताड़ करने निकले हैं क्योंकि जिस प्रकार से नबीनगर विधानसभा से विधायक विजय कुमार सिंह उर्फ डब्लू सिंह के गाड़ी चालक को और उसके साथ एक मीडिया पत्रकार भाई को जयचंद द्वारा मारा-पीटा और गाली गलौज किया गया है, यह बेहद ही गलत और शर्मनाक है। मैं इसकी कड़ी आलोचना करता हूँ। उन्होंने यह भी लिखा, मैं तेजस्वी को कहना चाहता हूं अभी भी समय है। अपने आस पास के जयचंदों से सावधान हो जाओ नहीं तो चुनाव में बहुत बुरा परिणाम देखने को मिलेगा। अब आप कितने समझदार हैं यह चुनाव परिणाम तय कर देगा।तेज प्रताप यादव ने कहा कि अभी बहुत सारे लोग पाइपलाइन में हैं, जो टीम तेज प्रताप में शामिल होंगे। उन्होंने कहा, हमारे संगठन से गांधी यादव चुनाव लड़ना चाहते हैं। इनका स्वागत है और मदद किया जाएगा। पाइपलाइन में बहुत सारे लोग हैं, जो लगातार जुड़ रहे हैं। गांधी यादव घोसी सीट से चुनाव लड़ेंगे।
बता दें कि बीते दिनों तेज प्रताप यादव ने राज्य में होने वाले विधानसभा चुनाव में लड़ने के लिए पांच छोटे दलों के साथ गठबंधन बनाने की घोषणा की थी। तेज प्रताप ने यह घोषणा एक संवाददाता सम्मेलन में की, जिसमें पांचों दलों के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी शामिल हुए। तेज प्रताप को हाल ही में उनके पिता एवं राष्ट्रीय जनता दल (राजद) प्रमुख लालू प्रसाद ने पार्टी से निष्कासित कर दिया था। ये पांच दल विकास वंचित इंसान पार्टी (वीवीआईपी), भोजपुरिया जन मोर्चा (बीजेएम), प्रगतिशील जनता पार्टी (पीजेपी), वाजिब अधिकार पार्टी (डब्ल्यूएपी) और संयुक्त किसान विकास पार्टी (एसकेवीपी) हैं। (अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)

 

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