पाकिस्तान व बांग्लादेश में बिना वीजा आवागमन पर समझौता

पाकिस्तान ने विदेश मंत्री इशाक डार बांग्लादेश का ऐतिहासिक दौरा किया। उनका ये दौरा इसलिए ऐतिहासिक बताया जा रहा है क्योंकि पिछले 13 सालों में पहली बार कोई पाकिस्तानी विदेश मंत्री आधिकारिक दौरे पर वहां पहुंचा है। यहां पहुंचकर दोनों देशों के बीच पाकिस्तान- बांग्लादेश नॉलेज कॉरिडोर नाम की एक ऐतिहासिक पहल की शुरुआत की है। वैसे तो इसका उद्देश्य दोनों देशों के बीच शैक्षिक और पेशेवर सहयोग को मजबूत करना बताया जा रहा है लेकिन ये भारत के लिए भी सिरदर्द बढ़ाने वाला है।
दरअसल दोनों देशों ने एक ऐसा समझौता किया है, जिसके बाद भारत की चिंता सुरक्षा को लेकर और बढ़ने वाली है। दरअसल अब दोनों देशों से अधिकारी भी बिना वीजा के ट्रैवेल कर सकते हैं। इन सम्मेलन में दोनों देशों के बीच 6 महत्वपूर्ण समझौतों पर हस्ताक्षर हुए, जो कुछ अहम मामलों में दोनों देशों के बीच रिश्ते आगे बढ़ाएं। बांग्लादेश और पाकिस्तान के बीच रिश्तों का ज्यादा गहरा होना वैसे भी भारत के लिए कोई अच्छी बात नहीं है। बांग्लादेश की आजादी की लड़ाई में भारत ने जहां उसकी मदद की वहीं पाकिस्तान ने जो 1971 में नरसंहार किया, वो इतिहास में दर्ज हो गया। शेख हसीना की सरकार हटने के बाद जो हालात बने, उसमें भारत और बांग्लादेश के रिश्तों में भी तनातनी आई है। ऐसे में बांग्लादेश और पाकिस्तान के बीच वीजा फ्री ट्रैवल न सिर्फ पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी और सैन्य अधिकारियों को बांग्लादेश आने की छूट देगा बल्कि भारत की सिक्योरिटी को भी खतरा होगा। इस वक्त पाकिस्तान, बांग्लादेश के कंधे पर हाथ रखकर चलना चाहता है, लेकिन इसमें बड़ा पेंच 1971 के नरसंहार का है। इशाक डार ने रविवार को अंतरिम सरकार के विदेश सलाहकार एम। तौहीद हुसैन से मुलाकात के दौरान कहा कि 1971 के मुद्दे को दो बार सुलझाया जा चुका है। हालांकि हुसैन ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में साफ कहा, मैं डार साहब से सहमत नहीं हूं। अगर वाकई सब हल हो गया होता तो आज भी हम इन्हीं मुद्दों पर चर्चा क्यों कर रहे होते? दोनों देशों के बीच ये मुद्दा सुलझा तक नहीं है, तब भी वीजा फ्री यात्रा की सुविधा दी जा रही है।