रूठे-रूठे ‘सरकार’ नजर आते हैं

राजनीति मंे कोई किसी का स्थायी दोस्त या दुश्मन नहीं होता है। परिस्थिति के अनुसार लोग कंधे से कंधा मिला लेते हैं लेकिन मन का मिलाप नहीं हो पाता है। महाराष्ट्र में भाजपा के देवेन्द्र फडणवीस और शिवसेना के एकनाथ शिंदे का साथ भी परिस्थितियों के चलते हुआ है। एकनाथ शिंदे ने उद्धव ठाकरे के नेतृत्व से विद्रोह कर अलग पार्टी बनायी और भाजपा के समर्थन से वह मुख्यमंत्री बने थे लेकिन इस बार विधानसभा चुनाव में भाजपा ने कमान अपने हाथ में रखी है। देवेन्द्र फडणवीस मुख्यमंत्री बने हैं और एकनाथ शिंदे उनके डिप्टी सीएम हैं। बताते हैं एकनाथ शिंदे इसके लिए तैयार नहीं थे लेकिन अजीत पवार ने उनके सामने कोई रास्ता भी नहीं छोड़ा था। शिंदे सरकार मंे शामिल हैं लेकिन अपनी नाराजगी समय-समय पर दिखाते रहते हैं। पिछले महीने अर्थात् 11 जुलाई को शिंदे के निकटतम शिवसेना विधायक संजय गायकवाड़ ने बुलढाणा में खराब खाना देने के आरोप मंे कैंटीन स्टाफ की पिटाई कर दी थी। इसे सरकार की गुंडागर्दी बताया गया तो मुख्यमंत्री फडणवीस ने इस पर कार्रवाई की। एकनाथ शिंदे को यह अच्छा नहीं लगा था। इस तरह की कई बातें हैं जो शिंदे को अखरती हैं। संभवतः ऐसी ही बातों के चलते इन दिनों मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस के साथ वह मंच साझा करने से कतरा जाते हैं। सीएम ने गत दिनों शिंदे के शहरी विकास विभाग-2 की भी आलोचना की। राजनीतिक गलियारे में ऐसे मामले चटखारे लेकर सुने-सुनाए जाते हैं।
महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे के बीच कुछ खटपट है। डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के साथ मंच साझा करने से बचते नजर आ रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक, हाल ही में कई सरकारी कार्यक्रमों और कैबिनेट मीटिंग्स में शिंदे नजर नहीं आए हैं। राजनीतिक हलकों में ये चर्चा है कि शिंदे का यह रवैया शिवसेना और प्रशासन में भी अलग तरह का संदेश दे रहा है। खासकर ऐसे वक्त में जब शिवसेना लोकल बॉडी इलेक्शन की तैयारी कर रही है।फडणवीस और शिंदे को पुणे में डबल ब्रिज का उद्घाटन करना था, लेकिन शिंदे नहीं पहुंचे। छत्रपति संभाजीनगर में दोनों को मराठवाड़ा के लिए ड्रिंकिंग वाटर प्रोजेक्ट लॉन्च करना था। वहां भी शिंदे गायब रहे। हाल में मुंबई में शिवसेना का रक्षाबंधन कार्यक्रम था। वहां भी शिंदे नहीं दिखे। शिवसेना के नेता और कार्यकर्ता निराश हुए क्योंकि यह पार्टी का बड़ा कार्यक्रम था।
राज्य प्रशासन के लिए कैबिनेट मीटिंग्स बेहद जरूरी होती है, लेकिन खबर है कि शिंदे लगातार दो मीटिंग्स से गैर हाजिर रहे। पिछले हफ्ते कानून-व्यवस्था की समीक्षा के लिए सीएम ने मीटिंग बुलाई थी। शिंदे नहीं आए। सबसे चैंकाने वाली बात ये है कि शिंदे के ऑफिस की तरफ से कोई कारण भी नहीं बताया गया कि वह ऐसे कार्यक्रम क्यों छोड़ रहे हैं, जिनमें फडणवीस की मौजूदगी तय थी।
कुछ लोग एमएलए हॉस्टल कैंटीन के कर्मचारी से मारपीट के प्रकरण को याद करते हैं। शिवसेना विधायक संजय गायकवाड़ के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है। मुंबई के मरीन ड्राइव पुलिस स्टेशन में गायकवाड के खिलाफ असंज्ञेय अपराध का मामला दर्ज किया गया है। बता दें कि गायकवाड़ ने बासी खाना देने वाले कैंटीन कर्मचारी की पिटाई की थी। इसके बाद महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और गृह मंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा था कि पुलिस को जरूर जांच करनी चाहिए। इसी साल जुलाई की रात हुई मारपीट की इस घटना के बाद काफी विवाद उत्पन्न हो गया था। यह घटना मुंबई के आकाशवाणी एमएलए हॉस्टल की कैंटीन में हुई। घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ। वायरल वीडियो में शिवसेना (शिंदे गुट) के विधायक गायकवाड़ एमएलए हॉस्टल की कैंटीन के एक कर्मचारी को मुक्का और थप्पड़ मारते हुए दिख रहे हैं। वीडियो में गायकवाड़ कर्मचारी को अपमानजनक शब्द कहते हैं और बिल न चुकाने की धमकी देते हैं और फिर सेल काउंटर पर बैठे कर्मचारी को थप्पड़ मारते हैं।
घटना का वीडियो वायरल होने के बाद संजय गायकवाड़ सरकार और विपक्ष के निशाने पर आ गए थे। पिछले दिनों सीएम देवेंद्र फडणवीस ने कहा था कि इस तरह का व्यवहार विधायकों द्वारा अपनी शक्ति का दुरुपयोग करने के बारे में गलत संदेश देता है। वहीं घटना के बाद गायकवाड़ ने कहा था, मैं माफी नहीं मांगूंगा। मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री ने जो भी कहा वो उनका कर्तव्य है। मैं उनके शब्दों का सम्मान करता हूं, लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि होटल की जांच होनी चाहिए। मुझे कोई पछतावा नहीं है। विपक्षी दलों ने संजय गायकवाड़ पर हमला बोला तो वहीं, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भी इस घटना की निंदा करते हुए इसे अस्वीकार बताया है।
महाराष्ट्र में लोकसभा की 48 सीटें हैं, जबकि यहां की विधानसभा में कुल 288 सीटें हैं। विधानसभा में सीटों की संख्या के लिहाज से इस प्रदेश का राज्यसभा में भी महत्व बढ़ जाता है। कुल मिलाकर महाराष्ट्र का देश की राजनीति में अच्छा रसूख है, ऐसे में वहां के राजनीतिक गलियारों में क्या चल रहा है, इस पर सबकी नजरें टिकी रहती हैं। उसी महाराष्ट्र में एक बार फिर से राजनीति के करवट लेने की संभावना प्रबल हो गई है। सीएम फडणवीस ने भरी सभा में डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे के डिपार्टमेंट को सुना दिया है। ऐसे में अब सवाल उठने लगे हैं कि क्या महाराष्ट्र की महायुति सरकार का डायनामिक्स बदलने जा रहा है? क्या शिंदे की शिवसेना महायुति से अलग होगी और उद्धव ठाकरे की शिवसेना की घर वापसी होगी? सीएम फडणवीस और राज ठाकरे की मुलाकात और शिंदे के डिपार्टमेंट को दो टूक सुनाने से कुछ बड़े राजनीतिक संकेत मिलने लगे हैं। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने शहरी विकास विभाग-2 के कामकाज पर असंतोष जताते हुए इसे खराब प्रदर्शन करार दिया। यह टिप्पणी उन्होंने केंद्रीय सरकार प्रायोजित योजनाओं की समीक्षा बैठक के दौरान की। इस विभाग का नेतृत्व उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे करते हैं। बैठक में महिला एवं बाल विकास मंत्री अदिति तटकरे, सार्वजनिक स्वास्थ्य राज्य मंत्री मेघना बोरडिकार समेत कई विभागों के मंत्री और सचिव मौजूद थे। हालांकि, बैठक में शिंदे खुद शामिल नहीं हुए। फडणवीस ने सभी विभागों को केंद्र की योजनाओं को तेज गति से लागू करने का निर्देश दिया। उन्होंने विशेष रूप से शहरी विकास विभाग-2 की आलोचना की, जो नगर निकायों से जुड़े कार्य देखता है। मुख्यमंत्री ने अटल मिशन फॉर रिजुवेनेशन एंड अर्बन ट्रांसफॉर्मेशन योजनाओं में देरी पर नाराजगी जताई। यह योजना 2021 में शुरू हुई थी और मार्च 2026 तक पूरी होनी है। महाराष्ट्र को इसके लिए केंद्र से 9,000 करोड़ रुपये से अधिक की राशि मिली है। सीएम फडणवीस ने अधिकारियों से स्पष्ट शब्दों में कहा, मिशन के तहत शहरी क्षेत्रों में जल आपूर्ति, स्वच्छता, हरित उद्यान और झीलों के पुनर्जीवन जैसे कार्य किए जा रहे हैं। यह मिशन नागरिकों के जीवन में बड़ा बदलाव ला सकता है। इसलिए सभी लंबित काम 31 मार्च 2026 तक पूरे किए जाने चाहिए। लंबित प्रशासनिक मंजूरी भी तुरंत दी जाए।’ उन्होंने स्वास्थ्य संबंधी योजनाओं जैसे 15वें वित्त आयोग से मिलने वाले अनुदान, प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना और प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर मिशन की भी समीक्षा की। मुख्यमंत्री फडणवीस ने विभागों को आवश्यक मंजूरी लिए बिना प्रोजेक्ट शुरू न करने का सुझाव दिया। जाहिर है एकनाथ शिंदे उपेक्षित महसूस कर रहे हैं। (अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)