लेखक की कलम

बसपा में अपनों को जोड़ने की रणनीति

बहुजन समाज पार्टी (बसपा) प्रमुख मायावती को लग रहा है कि जब सभी राजनीतिक दल दूसरी पार्टियों के नेताओं को न सिर्फ शामिल कर रहे हैं बल्कि उनको चुनाव भी लड़ा रहे हैं तब बसपा अपने लोगों को पार्टी से निकाल कर अपना वोट बैंक कमजोर क्यों करे। सभी दलों में छोटी मोटी गलती तो नेता करते ही रहते हैं लेकिन उनको निकाल बाहर नहीं किया जाता। इसी सोच के तहत बसपा में आकाश आनंद के ससुर अशोक सिद्धार्थ की भी वापसी हो गई है। अशोक सिद्धार्थ ने 6 सितम्बर को बसपा प्रमुख मायावती से अपनी गलतियों के लिए हाथ जोड़कर माफी मांगी थी। इसके कुछ देर बाद ही मायावती ने उन्हें माफ करते हुए बसपा में दोबारा शामिल कर लिया। इससे पहले मायावती ने अपने भतीजे आकाश आनंद का प्रमोशन करते हुए राष्ट्रीय संयोजक बना दिया था। आकाश आनंद राष्ट्रीय कोआर्डिनेटर थे। इसके साथ ही बसपा में कई बदलाव किए गए थे। कई प्रदेशों के अध्यक्ष भी बदले गए। अब बहुजन समाज पार्टी में मायावती ने अपने भतीजे आकाश आनंद के ससुर अशोक सिद्धार्थ को भी दोबारा पार्टी में शामिल कर लिया है। कुछ महीने पहले आकाश आनंद से जिम्मेदारियां छीनने और एक्शन लेते समय मायावती ने अशोक सिद्धार्थ को ही निशाने पर लिया था। अशोक सिद्धार्थ ने हाथ जोड़कर मायावती से माफी मांगी। इसके कुछ घंटे बाद ही मायावती ने अशोक सिद्धार्थ को माफ करते हुए बसपा में शामिल करने का ऐलान कर दिया। यह दलित वोट को सहेजने की रणनीति है।
बसपा प्रमुख मायावती से माफी मांगते हुए अशोक सिद्धार्थ ने लिखा कि बीएसपी की राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी की चार बार मुख्यमंत्री रहीं एवं कई बार लोकसभा व राज्यसभा की सांसद रहीं आदरणीय मायावती जी का हृदय से सम्मान एवं चरण- स्पर्श करता हूं। मुझसे पार्टी का कार्य करने के दौरान जाने व अनजाने में तथा गलत लोगों के बहकावे में आकर जो भी गलतियां हुई हैं उसके लिए बहन जी से हाथ जोड़कर माफी मांगता हूं। उन्होंने अनेक कष्ट झेलकर अपनी पूरी जिन्दगी इस देश के करोड़ों दलितों एवं अन्य उपेक्षित वर्गों के हित व कल्याण के लिए समर्पित की है। बहन जी से मैं हाथ जोड़कर अनुरोध करता हूं कि वे मुझे माफ कर दें, आगे मैं कभी भी गलती नहीं करूंगा और पार्टी के अनुशासन में ही रहकर, उनके मार्ग-दर्शन एवं दिशा-निर्देश में ही कार्य करूंगा। इसके साथ ही मैं रिश्तेदारी आदि का भी कोई नाजायज फायदा नहीं उठाऊंगा।
अशोक सिद्धार्थ ने माफीनामे में यह भी लिखा कि यहां मैं यह भी स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि खासकर संदीप ताजने बीएसपी पूर्व प्रदेश अध्यक्ष महाराष्ट्र और हेमन्त प्रताप या जिन भी गलत लोगों को पार्टी से निकाला गया है, उनको वापस लेने के लिए कभी सिफारिश नहीं करूंगा। अन्त में अब मैं पुनः आदरणीय बहन जी से अपनी सभी छोटी-बड़ी गलतियों की माफी मांगते हुए उनसे पार्टी में वापिस लेने के लिए विशेष आग्रह करता हूं। बहन जी की अति कृपा होगी।
सिद्धार्थ के माफीनामे पर मायावती ने एक्स पर लिखा कि बीएसपी के कई जिम्मेदार पदों पर लम्बे अर्से तक कार्यरत रहे एवं पार्टी के पूर्व राज्यसभा सांसद अशोक सिद्धार्थ को पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए कुछ माह पहले पार्टी से निष्कासित कर दिया गया था। उन्होंने एक्स पर अपने लम्बे पोस्ट के जरिये सार्वजनिक तौर पर अपनी गलती की माफी मांगी है। आगे पार्टी और बीएसपी मूवमेन्ट के प्रति पूरी तरह से वफादार रहकर बाबा साहेब डा. भीमराव आम्बेडकर के आत्म-सम्मान एवं स्वाभिमान के मूवमेन्ट को आगे बढ़ाने में पूरे जी-जान से लग जाने का आश्वासन बहुजन समाज और बीएसपी नेतृत्व को दिया है।
मायावती ने कहा कि हालांकि उन्हें अपनी गलती का एहसास बहुत पहले हो चुका था और वे इसका लगातार पश्चाताप विभिन्न स्तर पर कर रहे थे, लेकिन आज उन्होंने सार्वजनिक तौर पर अपना पछतावा जाहिर किया है। इसको ध्यान में रखते हुये पार्टी व मूवमेन्ट के हित में उन्हें पार्टी द्वारा एक मौका दिया जाना उचित समझा गया है और इसीलिये बीएसपी से उनके निष्कासन का फैसला आज तत्काल प्रभाव से रद्द किया जाता है और पार्टी में वापस ले लिया गया है। मायावती ने यह भी कहा कि उम्मीद है कि पार्टी के अन्य सभी छोटे-बड़े कार्यकर्ताओं की तरह वे भी पूरे तन, मन, धन से पार्टी और मूवमेन्ट को आगे बढ़ाने में अपना भरपूर योगदान जरूर देंगे ताकि बीएसपी के नेतृत्व में बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर का कारवां आगे बढ़ता हुआ बहुजन समाज को शोषित वर्ग से ऊपर उठाकर प्रदेश एवं देश का शासक वर्ग बना सके।
इसके पहले बसपा सुप्रीमो मायावती ने राष्ट्रीय स्तर पर संगठन में भारी फेरबदल किया था। अपने भतीजे आकाश आनंद को बसपा के राष्ट्रीय कोआर्डिनेटर से प्रमोशन देते हुए राष्ट्रीय संयोजक की जिम्मेदारी दे दी थी। यह पद संगठन में राष्ट्रीय अध्यक्ष के बाद माना जाता है। इसके अलावा चार के स्थान पर छह राष्ट्रीय कोआर्डिनेटर बनाए गए थे। उसी दिन देश के अधिकतर राज्यों में प्रदेश अध्यक्षों की घोषणा भी कर दी गई थी।नई जिम्मेदारी मिलने के बाद आकाश आनंद राष्ट्रीय अध्यक्ष की देखरेख में काम कर रहे हैं। उनकी जिम्मेदारी सभी सेक्टर, केंद्रीय व स्टेट कोआर्डिनेटरों और प्रदेश अध्यक्षों के कामों की समीक्षा करना है। वह सीधे मायावती को रिपोर्ट करेंगे। आकाश आनंद को कभी मायावती ने अपना उत्तराधिकारी भी घोषित कर दिया था। फिर एक ऐसा मौका भी आया जब उनसे सभी जिम्मेदारियां वापस ले ली गई थीं। अब बसपा में आकाश आनंद का प्रमोशनकर मायावती ने राष्ट्रीय संयोजक बनाया। नई जिम्मेदारी मिलने के बाद आकाश आनंद राष्ट्रीय अध्यक्ष की देखरेख में काम करेंगे। उनकी जिम्मेदारी सभी सेक्टर, केंद्रीय व स्टेट कोआर्डिनेटरों और प्रदेश अध्यक्षों के कामों की समीक्षा करना होगा। वह सीधे मायावती को रिपोर्ट करेंगे।
नए बदलावों में रामजी गौतम, राजाराम, रणधीर सिंह बेनीवाल, लालजी मेधांकर, अतर सिंह राव और धर्मवीर सिंह अशोक को राष्ट्रीय कोआर्डिनेटर बनाया गया है। ये सभी राष्ट्रीय संयोजक आकाश आनंद को रिपोर्ट करेंगे। राजाराम के साथ मोहित आंनद, अतर सिंह राव के साथ सुरेश आर्या और धर्मवीर अशोक के साथ दयाचंद को लगाया गया है। रामजी गौतम को दिल्ली, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ व बिहार राज्य का प्रभारी बनाया गया है।
मायावती ने इसके साथ ही प्रदेश अध्यक्षों की घोषणा की है। विश्वनाथ पाल को फिर से उत्तर प्रदेश का प्रदेश अध्यक्ष बनाया है। दिल्ली का प्रदेश अध्यक्ष राजेश तंवर, मध्य प्रदेश रमाकांत पिप्पल, छत्तीसगढ़ श्याम टंडन, बिहार शंकर महतो, महाराष्ट्र का डा. सुनील डोंगरे को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया है। कर्नाटक एम. कृष्णा मूर्ति, तमिलनाडु पी. आनंद, केरल ज्वाय आर. थॉमस, हरियाणा कृष्ण जमालपुर, पंजाब अवतार सिंह करीमपुरी, राजस्थान प्रेम बारुपाल, झारखंड शिव पूजन मेहता, पश्चिम बंगाल मनोज हवलदार, उड़ीसा सरोज कुमार नायक, आंध्र प्रदेश बंदेला गौतम, तेलंगाना इब्राम शेखर, गुजरात भगूभाई परमार, हिमाचल प्रदेश विक्रम सिंह नायर, जम्मू-कश्मीर दर्शन राणा, चंडीगढ़ बृजपाल और उत्तराखंड के प्रदेश अध्यक्ष अमरजीत सिंह बनाए गए थे।(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)

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