लेखक की कलम

वक्फ पर राहत भरा फैसला

मोदी सरकार के वक्फ संशोधन बिल पर देश की सबसे बड़ी अदालत ने दोनों पक्षों को राहत दी है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने अंतरिम आदेश मंे यह साफ-साफ कहा कि इस पूरे कानून पर स्थगनादेश का कोई आधार नहीं है। यह सरकार की जीत मानी जाएगी लेकिन इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने याचिका दायर करने वालों को भी राहत प्रदान की है। सर्वोच्च न्यायालय ने वक्फ संशोधन कानून के कुछ प्रावधानों पर रोक लगा दी है। सरकार ने वक्फ कानून मंे जो संशोधन किया है, उसके तहत गैर मुस्लिम भी वक्फ बोर्ड का सदस्य बन सकता है। सबसे ज्यादा आपत्ति इसी पर की गयी थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि गैर मुस्लिम भी वक्फ बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी बन सकते हैं लेकिन यह तभी होगा जब योग्य मुस्लिम दावेदार न मिले। सुप्रीम कोर्ट ने इस प्रावधान पर रोक लगाने से मना कर दिया। इसलिए अभी गैर मुस्लिम वक्फ बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी बन सकते हैं। इसी प्रकार सर्वोच्च न्यायालय ने वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 के उस प्रावधान पर रोक लगा दी है जिसमें कहा गया है कि वक्फ बनाने के लिए किसी व्यक्ति का इस्लाम धर्म का अनुयायी होना जरूरी है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को राज्य सरकारों के विवेक पर छोड़ दिया है। माना जा रहा है कि इससे वक्फ संपत्तियों की हेराफेरी पर रोक लग सकेगी। वक्फ मामलों पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का आल इंडिया शिया पर्सनल लाॅ बोर्ड के महासचिव मौलाना यायूब अब्बास ने स्वागत किया तो केन्द्र सरकार की तरफ से भी किरेन रिजिजू ने कहा कि मैं इस आदेश का स्वागत करता हूं। लखनऊ के मौलाना फरंगी महली ने भी कहा कि इससे मुस्लिम पक्ष को बड़ी राहत मिली है।
वक्फ संशोधन बिल पर 15 सितम्बर को सुप्रीम कोर्ट का अंतरिम आदेश आया है। सर्वोच्च अदालत ने वक्फ कानून के कुछ प्रावधानों पर रोक लगाई है। इसके साथ ही कोर्ट ने कहा है कि पूरे कानून पर स्टे लगाने का कोई आधार नहीं है। वक्फ कानून में कहा गया है कि वक्फ संपत्ति घोषित करने के लिए यह जरूरी है कि वह व्यक्ति 5 साल से इस्लाम धर्म का पालन कर रहा हो। कोर्ट ने इस प्रावधान पर रोक लगा दी है। इसके साथ ही कुछ अन्य प्रावधानों पर रोक लगाई गई है। सर्वोच्च न्यायालय ने वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 के उस प्रावधान पर रोक लगा दी है, जिसके तहत वक्फ बनाने के लिए किसी व्यक्ति का इस्लाम धर्म का अनुयायी होना जरूरी था। यह रोक तब तक जारी रहेगी, जब तक राज्य सरकारें यह निर्धारित करने के लिए नियम नहीं बना लेतीं कि कोई व्यक्ति इस्लाम का अनुयायी है या नहीं।
याचिका में कहा गया था कि नए कानून के अनुसार गैर मुस्लिम भी वक्फ बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी बन सकते हैं। इस पर रोक लगाई जानी चाहिए। इस पर कोर्ट ने निर्देश दिया कि जहां तक संभव हो, वक्फ बोर्ड का मुख्य कार्यकारी अधिकारी एक मुस्लिम होना चाहिए। हालांकि, कोर्ट ने इस प्रावधान पर रोक लगाने से मना कर दिया। ऐसे में अभी भी गैर मुस्लिम लोग वक्फ बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी बन सकते हैं। हालांकि, योग्य मुस्लिम दावेदार नहीं होने पर ही ऐसा होगा। फैसला सुनाते हुए सीजेआई ने कहा, हमने प्रत्येक धारा को दी गई प्रथम दृष्टया चुनौती पर विचार किया है। हमने पाया है कि कानून के संपूर्ण प्रावधानों पर रोक लगाने का कोई मामला नहीं बनता। हालांकि, कुछ धाराओं को कुछ संरक्षण दिए जाने की आवश्यकता है। हमने माना है कि पूर्वधारणा हमेशा कानून की संवैधानिकता के पक्ष में होती है और हस्तक्षेप केवल दुर्लभतम मामलों में ही किया जाता है। सिर्फ रेयरेस्ट ऑफ रेयर की स्थिति में ही कानून रोक का आदेश दिया जा सकता है। कोर्ट के फैसले के अहम अनुसार गैर मुस्लिम भी वक्फ बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी बन सकते हैं, लेकिन योग्य मुस्लिम दावेदार न होने पर ऐसा होगा। कलेक्टर वक्फ भूमि विवाद का निपटारा नहीं कर सकते। यह अधिकार ट्रिब्यूनल के पास ही होगा। वक्फ बोर्ड में गैर मुस्लिम सदस्यों की संख्या सीमित कर दी गई है। केंद्रीय वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम सदस्यों की अधिकतम संख्या चार हो सकती है। वहीं, राज्यों के वक्फ बोर्ड में अधिकतम संख्या तीन तक सीमित कर दी गई है और धारा 23 एक्स-ऑफिसियो अधिकारी मुस्लिम समुदाय से ही होगा।
बहरहाल कानपुर में वक्फ संपत्तियों का हिसाब-किताब अब आनलाइन होगा। जिले की 1669 वक्फ संपत्तियों का ब्योरा उम्मीद पोर्टल पर दर्ज होगा। सरकार हेराफेरी रोकने के लिए डेटाबेस बना रही है जिससे हर संपत्ति को विशेष पहचान मिलेगी। दिसंबर तक यह प्रक्रिया पूरी करने का लक्ष्य है। सुन्नी और शिया वक्फ बोर्ड समन्वयकों की नियुक्ति कर रहे हैं।
वक्फ कानून पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ गया है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में मुस्लिम पक्ष की कुछ दलीलें तो मान ली है, लेकिन पूरे कानून पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। वहीं केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने सुप्रीम कोर्ट पर संतोष जताया है।
सीजेआई बीआर गवई की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट बेंच ने साफ किया कि वक्फ संपत्तियों को लेकर कलेक्टर का फैसला अंतिम फैसला नहीं होगा। इसके साथ ही वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 की उस प्रावधान पर रोक लगा दी है, जिसमें वक्फ बनाने के लिए किसी व्यक्ति का 5 वर्षों तक इस्लाम का अनुयायी होना आवश्यक बताया गया था।
सीजेआई गवई ने साफ किया कि इस पूरे कानून पर रोक लगाने का कोई आधार नहीं है। इससे पहले 22 मई को लगातार तीन दिन की सुनवाई के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा था। पिछली सुनवाई में याचिकाकर्ताओं ने कानून को मुसलमानों के अधिकारों के खिलाफ बताया और अंतरिम रोक लगाने की मांग की थी। वहीं, केंद्र सरकार ने कानून के पक्ष में दलीलें रखी थीं।
दरअसल देश में वक्फ कानून लागू होने के बाद इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी, जिसमें इस कानून को संविधान के खिलाफ बताया गया था। इस मामले में तीन दिनों तक लगातार सुनवाई हुई थी, इस दौरान सभी पक्षों की दलीलें सुनी गईं और फैसला सुरक्षित रख लिया गया था। वक्फ मामलों पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर ऑल इंडिया शिया पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव मौलाना यासूब अब्बास ने कहा, कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हैं, क्योंकि रातोंरात जैसे बिल लाया गया, उससे शक पैदा होता है।
नए वक्फ कानून को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर सरकार की तरफ से भी पहली प्रतिक्रिया आ गई। केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा, ‘मैं इस आदेश का स्वागत करता हूं’ वक्फ कानून पर अयोध्या स्थित हनुमानगढ़ी के मंहत राजू दास ने कहा, ‘सुप्रीम कोर्ट को साधुवाद, कुछ कंठित मानसिकता के लोग ही केवल इस बिल का विरोध कर रहे थे। दबे कुचले मुसलमानों को इस बिल से फायदा था। (अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)

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