ईरान ने इजरायल के लिए जासूसी करने वाले को दी सजा-ए-मौत

ईरान ने इजरायल के लिए जासूसी करने के आरोप में एक व्यक्ति को सजा-ए-मौत दे दी। हालांकि, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि इस शख्स को टॉर्चर करके उससे जबरन झूठा इकबालिया बयान लिया गया। ईरान की ज्यूडिशियरी की न्यूज एजेंसी मिजान ने मृतक की पहचान बाबक शाहबाजी के रूप में की। एजेंसी का दावा है कि बाबक ने ईरान के डेटा सेंटर्स और सुरक्षा ठिकानों की संवेदनशील जानकारी इकट्ठा की और उसे इजरायली एजेंट्स को बेच दिया।एक्टिविस्ट्स ने ईरान के इस दावे को खारिज करते हुए कहा कि बाबक को केवल इसलिए हिरासत में लिया गया क्योंकि उन्होंने यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की को एक खत लिखा था, जिसमें उन्होंने यूक्रेन की मदद करने की पेशकश की थी। बता दें कि कि ईरान रूस को ड्रोन सप्लाई करता रहा है, जिनका इस्तेमाल रूस ने यूक्रेन पर हमले करने के लिए किया है। मानवाधिकार संगठन ईरान ह्यूमन राइट्स ने पहले ही चेतावनी दी थी कि बाबक को सजा-ए-मौत दी जा सकती है।
ईरान ह्यूमन राइट्स का कहना है, बाबक का जेलेंस्की को लिखा गया खत, जिसमें उन्होंने रूस के खिलाफ जंग में मदद की बात कही थी, उसे इजरायल के लिए जासूसी के सबूत के तौर पर पेश किया गया। ईरान ने दावा किया कि इजरायल ने बाबक को माइक्रोसॉफ्ट वर्ड इस्तेमाल करना सिखाया। ईरान ने इस दावे पर कोई जवाब नहीं दिया। एक्टिविस्ट्स के मुताबिक, बाबक ने यूक्रेन के लिए लड़ने की इच्छा जताई थी। ईरान ने यह नहीं बताया कि बाबक को सजा-ए-मौत कैसे दी गई, लेकिन आमतौर पर वहां दोषियों को फांसी दी जाती है।
पिछले कुछ समय में ईरान और इजरायल के बीच तनाव चरम पर रहा है। दोनों देशों के बीच 12 दिन की जंग में इजरायल ने हवाई हमले किए, जिसमें करीब 1100 लोग मारे गए, जिनमें कई सैन्य कमांडर शामिल थे। जवाब में ईरान ने इजरायल पर मिसाइलों से हमला किया। इस तनाव के बीच ईरान ने जासूसी के इल्जाम में अब तक 8 लोगों को फांसी दी है।