फिलिस्तीन को मान्यता देने पर जापान का यूटर्न

फिलिस्तीन को एक राज्य के तौर पर मान्यता देने को लेकर जापान ने बड़ा यू-टर्न ले लिया है। जहां ब्रिटेन, फ्रांस, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया जैसे कई देश इस महीने की 22 तारीख को संयुक्त राष्ट्र महासभा में फिलिस्तीन को मान्यता देने जा रहे हैं, वहीं जापान ने फिलहाल इससे दूरी बना ली है। दिलचस्प बात ये है कि जापान ने 12 सितम्बर को संयुक्त राष्ट्र में उन 142 देशों का साथ दिया, जिन्होंने दो-राष्ट्र समाधान के लिए ठोस, समयबद्ध कदम उठाने की घोषणा के पक्ष में वोट किया था। मगर सवाल है कि आखिर किस वजह से जापान ने ये फैसला लिया है? जापान का ये यू-टर्न कई वजहों से जुड़ा है। पहला है अमेरिका से रिश्ते- सुरक्षा और आर्थिक मामलों में जापान के लिए अमेरिका अहम साझेदार है। असाही अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक, टोक्यो का ये फसला अमेरिका के दबाव में लिया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका ने कई चैनलों के जरिए जापान पर दबाव डाला कि वो फिलिस्तीन को मान्यता न दे। इसके साथ ही जापान नहीं चाहता कि अचानक मान्यता देने से इजराइल और सख्त रुख अपनाए। रिपोर्ट में ये दावा भी किया गया है कि ये इजराइल के रवैये को नरम बनाए रखने की रणनीति का हिस्सा है। फिलिस्तीन की मान्यता को लेकर सात बड़े औद्योगिक देशों (जी-7) के भीतर भी मतभेद हैं। जर्मनी और इटली ने साफ कहा है कि तुरंत मान्यता देना उल्टा असर डालेगा। ऐसे में जापान ने भी एहतियात बरतते हुए अपने कदम रोक लिए हैं।
जापानी प्रधानमंत्री शिगेरू इशिबा ने संकेत दिए हैं कि उनकी सरकार फिलहाल इस मुद्दे से दूरी बनाए रखेगी। यही वजह है कि वो 22 सितंबर को न्यूयॉर्क में होने वाली उस अहम बैठक में शामिल नहीं होंगे, जहाँ इजराइल और फिलिस्तीन के बीच दो-राष्ट्र समाधान पर चर्चा होगी। जापान का मानना है कि इस समय मान्यता देना जल्दबाजी होगी और इससे क्षेत्रीय तनाव और बढ़
सकता है।