सख्त नीतियों से अपराध पर लगाम

उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ जो कहते हैं, वही करते भी हैं। उनकी सरकार की सख्त नीतियों की वजह से राज्य में अपराधी पर लगाम लगी है। यह सिर्फ सरकार का दावा नहीं है बल्कि राष्ट्रीय अपराधों रिकार्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की क्राइम इन इंडिया 2023 रिपोर्ट में योगी आदित्यनाथ सरकार की कानून-व्यवस्था की सराहना करते हुए कहा गया है कि 2023 मंे उत्तर प्रदेश मंे साम्प्रदायिक एवं धार्मिक दंगों की संख्या शून्य रही है। योगी की सरकार से पहले उत्तर प्रदेश मंे ऐसा कभी नहीं हुआ। एनसीआरबी की रिपोर्ट के अनुसार देश का सबसे ज्यादा आबादी वाला राज्य होने के बावजूद यूपी की अपराध दर राष्ट्रीय औसत से 25 फीसद कम है। अभी हाल मंे नफरत और बदअमनी फैलाने का प्रयास करने पर बरेली हिंसा के मामले मंे सरकार ने जिस तरह सख्त कदम उठाए हैं, उससे स्पष्ट संदेश जाता है कि योगी सरकार किसी को भी कानून-व्यवस्था से खिलवाड़ नहीं करने देगी। इन पंक्तियों के लिखे जाने तक 81 लोग गिरफ्तार हो चुके थे। तौकीर रजा पर आरोप है कि पिछले 15 साल से वह बरेली का माहौल बिगाड़ने का कुप्रयास कर रहे थे। योगी सरकार ने उनके और उनके समर्थकों के खिलाफ सबसे बड़ा अभियान छेड़ा है।
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की क्राइम इन इंडिया 2023 रिपोर्ट ने उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ सरकार की कानून-व्यवस्था की सराहना की है। एनसीआरबी के आंकड़े के मुताबिक 2023 में यूपी में सांप्रदायिक एवं धार्मिक दंगों की संख्या शून्य रही है। योगी से पहले यूपी में ऐसा कभी नहीं हुआ। यही नहीं पूरे देश के मुकाबले यूपी में अपराध एक चैथाई कम है। देश के सबसे बड़े राज्य में कुल अपराध दर राष्ट्रीय औसत से 25 फीसद कम रही, जो 448.3 के मुकाबले 335.3 रही। एनसीआरबी के आंकड़े साबित करते हैं कि 2017 के बाद यूपी अब शांति व सामाजिक सद्भाव का गढ़ बन चुका है। इसी साल से योगी आदित्यनाथ ने सत्ता संभाली एनसीआरबी रिपोर्ट में यूपी में सांप्रदायिक दंगों की संख्या शून्य बताई गई, जो 2017 से प्रदेश में चली आ रही जीरो टॉलरेंस नीति का जीवंत उदाहरण है। वहीं दूसरी ओर 2012-2017 के बीच पांच वर्षों की बात करें तो ये आंकड़े भयावह हैं। आंकड़ों के अनुसार 815 दंगे हुए, जिनमें 192 लोगों की जान गई, जबकि 2007-2011 में 616 घटनाओं में 121 मौतें हुईं। इसके विपरीत, 2017 के बाद यूपी में कोई बड़ा दंगा नहीं हुआ। बरेली और बहराइच में दो हिंसक झड़पें हुईं, लेकिन योगी सरकार ने 24 घंटे के भीतर शांति बहाल कर स्थिति को नियंत्रित किया। बरेली की घटना पर त्वरित कार्रवाई ने कानून-व्यवस्था को और मजबूती प्रदान की है।
सीएम योगी की सख्त नीतियों की वजह से राज्य में अपराध पर लगाम लगा है एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार, यूपी में विभिन्न अपराध श्रेणियों में राष्ट्रीय औसत से उल्लेखनीय कमी दर्ज की गई। बलवा के मामलों में भारत में 39,260 मामले (क्राइम रेट 2.8) के मुकाबले यूपी में 3,160 मामले (क्राइम रेट 1.3) रहे, जो राष्ट्रीय औसत से आधी से भी कम है और यूपी को देश में 20वें स्थान पर है। वहीं फिरौती के लिए अपहरण के मामले देश में 615 घटनाएं हुई जिसकी तुलना में यूपी में मात्र 16 घटनाओं के साथ देश में 36वें स्थान पर है। डकैती के मामलों में भारत में 3,792 (क्राइम रेट 0.3) के मुकाबले यूपी में 73 मामले दर्ज हुए, जो इसे नियर जीरो क्राइम रेट की श्रेणी में लाता है। बड़ी जनसंख्या के बावजूद यह कमी योगी सरकार की सख्त नीतियों और त्वरित कार्रवाई का परिणाम है।
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की ओर से जारी नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, भारत में वर्ष 2023 में अपराध की प्रवृत्तियों में अहम बदलाव देखने को मिले हैं। जहां एक ओर हत्या के मामलों में गिरावट दर्ज की गई है, वहीं दूसरी ओर अनुसूचित जनजातियों के खिलाफ अपराधों और साइबर अपराधों वृद्धि हुई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि साइबर अपराधों में 31.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई। वर्ष 2023 में साइबर अपराधों के 86,420 मामले दर्ज किए गए थे, जबकि 2022 में 65,893 मामले दर्ज किए गए थे।
अपराधों और प्रवृत्तियों के राष्ट्रीय रिकॉर्ड रखने वाले राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो ने खुलासा किया कि 2022 में भारत में हत्या के 28,522 मामले दर्ज किए गए, जो 2023 में घटकर 27,721 रह गए, यानी 2.8 प्रतिशत की गिरावट हुई है।
रिपोर्ट में कहा गया है, 2023 के दौरान हत्या के सबसे ज्यादा मामलों का कारण विवाद (9,209 मामले) था। इसके बाद व्यक्तिगत प्रतिशोध या दुश्मनी (3,458 मामले) और लाभ के 1,890 मामले थे। अनुसूचित जनजातियों के खिलाफ अपराधों में 28.8 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई, जो 2022 में 10,064 मामलों से बढ़कर 2023 में 12,960 हो गई। इस श्रेणी में कुल अपराध दर भी 2022 में 9.6 से बढ़कर 2023 में 12.4 हो गई।
एनसीआरबी के अनुसार, 2011 की जनगणना के आंकड़ों के अनुसार अपराध दर प्रति लाख जनसंख्या पर अपराध के मामले हैं। रिपोर्ट में कहा गया, महानगरों के लिए अपराध दर की गणना 2011 की वास्तविक जनगणना के आधार पर की गई है। साधारण चोट से संबंधित मामले कुल मामलों का 21.3 प्रतिशत हैं। इसके बाद दंगों के 1707 मामले हैं, जो कुल प्राथमिकियों का 13.2 प्रतिशत हैं और बलात्कार के 1189 मामले हैं जो कुल संख्या का 9.2 प्रतिशत है। रिपोर्ट में कहा गया है कि साइबर अपराध की दर 4.8 प्रतिशत से बढ़कर 6.2 प्रतिशत हो गई। रिपोर्ट के अनुसार, महिलाओं के खिलाफ अपराधों में 0.4 प्रतिशत की मामूली वृद्धि देखी गई, जो 2022 में 4.45 लाख मामलों से बढ़कर 2023 में 4,48,211 मामले हो गए।
गत दिनों बरेली में जुम्मा की नमाज के बाद हुई हिंसा को लेकर समाजवादी पार्टी के प्रतिनिधिमंडल ने डीआईजी रेंज बरेली से मुलाकात की। सपा प्रतिनिधिमंडल ने डीआईजी से कहा कि किसी भी निर्दोष पर कोई कार्रवाई न हो। मौलाना तौकीर रजा का राजदार नदीम ने पुलिस को हिंसा के पीछे की मंशा बताई है। नदीम ने पुलिस को बताया कि तौकीर रजा मुसलमानों का रहनुमा बनना चाहता था। वह इस हिंसा के जरिए राजनीतिक दलों को भी अपना
दमखम दिखाना चाहता था। सियासी रसूख के चक्कर में उसने हिंसा की साजिश रची थी। मौलाना तौकीर रजा का दामाद मोहसिन रजा गिरफ्तार कर लिया गया है। उसका रिसॉर्ट भी सील हुआ है। मोहसिन रजा के घर पर कार्रवाई के लिए बीडीए की टीम पहुंची थी। मोहसिन रजा ने इसका विरोध किया। इसके बाद पुलिस ने उसे हिरासत में ले लिया। तौकीर रजा और नदीम के करीबियों पर यूपी प्रशासन की कार्रवाई जारी है।
(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)
मुलताई में कुछ बैंक, कुछ शॉपिंग कॉम्प्लेक्स बिना पार्किंग के संचालित हो रहे हैं, तथा कुछ लोगों ने पार्किंग के लिए जगह बहुत कम दी है। जो वाहन पार्किंग के लिए पर्याप्त नहीं है। इससे ग्राहको को वाहन खड़े करने में बहुत परेशानी होती है। आखिर बिना पार्किंग के बैंक कैसे संचालित हो रहे हैं। ये तो नियमों का उल्लघंन हो रहा है। सड़क किनारे वाहन खड़े करने से यातायात व्यवस्था प्रभावित होती है। कई बार दुर्घटना तक हो जाती है। सरकारी जमीन पर वाहन खड़े हो रहे हैं । जबकि जिस भवन मे बैंक संचालित होती है उसकी स्वयं की पार्किंग होना जरूरी है। मुलताई में संचालित सभी बैंकों की पार्किंग व्यवस्था की जांच होना चाहिए।
कुछ बेसमेंट बिना अनुमति के बने हैं। कुछ व्यावसायिक भवनों के नक्शे बिना पार्किंग दिए पास हुए हैं। कुछ लोगों ने सरकारी जमीन पर पक्का अतिक्रमण कर लिया है। जांच होना चाहिए।
रवि खवसे, मुलताई (मध्यप्रदेश)