लद्दाख में एलजी कविन्दर गुप्ता सख्त

देश का सीमावर्ती केन्द्र शासित प्रदेश लद्दाख अभी पूरी तरह शांत नहीं हो पाया है। यहां के उपराज्यपाल (लेफ्टीनेंट गवर्नर-एलजी) कविन्दर गुप्ता इस मामले को लेकर बहुत सख्त दिखाई दे रहे हैं। उनके सामने सख्त कदम उठाना ही देश हित में है। मामले की उच्चस्तरीय जांच चल रही है। एहतियात के तौर पर शाम 6 बजे से अगले दिन प्रातः 10 बजे तक कफ्र्यू लगा दिया गया। इससे आमजनता को परेशानी तो हो रही है लेकिन स्कूलों में पढ़ाई और पब्लिक यातायात के लिए यह जरूरी हैं। सबसे गंभीर मामला समाजसेवी सोनम वांगचुक का है। वांगचुक को हिंसा के अगले दिन अर्थात् 24 सितम्बर, 2025 को गिरफ्तार कर लिया गया था। उनकी गिरफ्तारी राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) के तहत हुई है। उपराज्यपाल कहते हैं कि वांगचुक की गिरफ्तारी सबूतों के आधार की गयी हैं हालंाकि वांगचुक की पत्नी गीताजलि के. आंगमो ने सुप्रीम कोर्ट मंे अपने पति की रिहाई के लिए याचिका दाखिल की है, जिसमें तर्क दिया गया कि वांगचुक को गलत तरीके से कैद किया गया है। बहरहाल, उपराज्यपाल कविन्दर गुप्ता कहते हैं कि हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि इस संवेदनशील राज्य मंे इस तरह की घटनाएं दोबारा न हों। लेह स्पेक्स बाॅडी (एलएबी) ने 29 सितम्बर को ही कह दिया था कि लद्दाख्,ा मंे सामान्य स्थिति बहाल होने तक गृहमंत्रालय की किसी समिति से वार्ता नहीं होगी। एलएबी ने ही बंद का आयोजन किया था जिसमंे 24 सितम्बर को व्यापक हिंसक प्रदर्शन हुए। यह समिति लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा देने और छठी अनुसूची के विस्तार के लिए आंदोलन कर रही है।
लेह हिंसा मामले में लद्दाख के उपराज्यपाल कविंदर गुप्ता ने कहा, ष्पिछले चार दिनों से, सुबह 10 बजे से शाम 6 बजे तक, लोग आते-जाते रहे हैं। वाहन सामान्य रूप से चल रहे हैं। आज भी, व्यावसायिक वाहनों को अनुमति है। आठवीं कक्षा तक के सभी शैक्षणिक केंद्र खुल गए हैं। इसलिए, एक-दो दिन बाद, सब कुछ पूरी तरह से सामान्य हो जाएगा। वह कहते हैं 24 सितम्बर की घटना वाकई दर्दनाक और दुखद थी, और ऐसा नहीं होना चाहिए था। हम यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि ऐसा दोबारा न हो। सोनम वांगचुक के बारे में, वे कहते हैं, कार्रवाई सबूतों के आधार पर की गई है। अदालत या कहीं और जाना उनका अधिकार है। हमने मजिस्ट्रेट जांच शुरू कर दी है। क्योंकि यह एक संवेदनशील क्षेत्र है, एक सीमावर्ती राज्य है। उधर, सोनम वांगचुक की पत्नी गीतांजलि जे. आंगमो ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है। उन्होंने कहा कि वांगचुक की गिरफ्तारी गैर कानूनी है। उनकी तुरंत रिहाई होनी चाहिए। यह याचिका अनुच्छेद 32 के तहत डाली गई है, जिसमें सुप्रीम कोर्ट से सीधे हैबियस कॉर्पस (गलत तरीके से कैद किए व्यक्ति को रिहा कराने की मांग) की अपील की जाती है।वांगचुक को 24 सितंबर को लद्दाख में हुई हिंसा के बाद गिरफ्तार किया गया था और फिलहाल वे राजस्थान के जोधपुर जेल में बंद हैं।
उपराज्यपाल किविन्दर गुप्ता कहते हैं बातचीत एक माध्यम है, और बातचीत से ही चीजें सामने आ सकती हैं। हमने पहले भी यह कहा है, और केंद्र सरकार और गृह मंत्रालय ने उन्हें (सर्वोच्च निकाय को) 22 तारीख को आमंत्रित किया है… उन्हें 6 अक्टूबर तक आमंत्रित किया गया है। निर्णय तभी लिये जाते हैं जब हम साथ बैठते हैं… इसलिए यह ठीक है। लेकिन कार्रवाई सबूतों के आधार पर ही की जाएगी… बता दें कि लेह की एक अदालत ने 24 सितंबर को हुई हिंसा मामले में गिरफ्तार किए गए 26 लोगों को अंतरिम जमानत दे दी है। इस हिंसा में लद्दाख को छठी अनुसूची का दर्जा और राज्य का दर्जा देने की मांग को लेकर हो रहे विरोध प्रदर्शनों के दौरान पुलिस की गोलीबारी में चार नागरिकों की मौत हो गई थी।
पत्नी गीतांजलि आंगमो का कहना है कि वांगचुक को झूठे आरोपों में फंसाया गया है। उन पर पाकिस्तान से संपर्क रखने का आरोप भी लगाया गया, जो कि गलत है।वहीं, दूसरी ओर आंगमो ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से अपने पति की रिहाई के लिए हस्तक्षेप करने का आग्रह किया। राष्ट्रपति को संबोधित तीन पृष्ठों के पत्र में वांगचुक की पत्नी ने आरोप लगाया कि पिछले चार सालों से लोगों के हितों के लिए काम करने के कारण उनके पति को बदनाम किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि वह नहीं जानतीं कि उनके पति किस स्थिति में हैं। वांगचुक को लेह शहर में हुई हिंसक झड़पों में 4 लोगों की मौत के दो दिन बाद 26 सितंबर को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत हिरासत में लिया गया था। लद्दाख को राज्य का दर्जा देने और क्षेत्र को संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने की मांगों के समर्थन में हुए विरोध प्रदर्शनों के दौरान हिंसा भड़क उठी थी। इसी संदर्भ में लेह एपेक्स बॉडी’ (एलएबी)ने सोमवार को घोषणा की कि वह लद्दाख में सामान्य स्थिति बहाल होने तक गृह मंत्रालय की उच्चाधिकार प्राप्त समिति के साथ बातचीत नहीं करेगा। ‘लेह एपेक्स बॉडी’ के अध्यक्ष थुपस्तान छेवांग ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, ‘हम सर्वसम्मति से इस बात पर सहमत हुए हैं कि मौजूदा स्थिति के मद्देनजर जब तक लद्दाख में शांति बहाल नहीं हो जाती, हम किसी भी वार्ता में भाग नहीं लेंगे।’ उन्होंने कहा, ‘हम गृह मंत्रालय, केंद्र शासित प्रदेश प्रशासन और प्रशासन से आग्रह करेंगे कि वे वहां व्याप्त भय, शोक और आक्रोश के माहौल को दूर करने के लिए कदम उठाएं।’
इस बीच पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस के बड़े नेता कर्ण सिंह की तरफ से बयान सामने आया है। कर्ण सिंह ने कहा, मैं लद्दाख में हाल की अशांति से बहुत परेशान हूं, जिसके परिणामस्वरूप 4 लोगों की मौत हो गई और दर्जनों लोग घायल हो गए। सन् 1947 से ही लद्दाख के लोग पूरी तरह से भारत समर्थक रहे हैं और उन्होंने जरूरत पड़ने पर हमेशा सुरक्षा बलों की मदद की है। उन्होंने कहा, ऐसा लगता है कि लद्दाख के युवाओं में इस बात को लेकर काफी नाराजगी है कि उनके रोजगार के अवसर खत्म होते नजर आ रहे हैं। एक बात तो यह है कि अब उनके पास लोक सेवा आयोग नहीं है जिसके परिणामस्वरूप उन्हें अखिल भारतीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा करनी पड़ती है। संविधान की छठी अनुसूची जैसी किसी चीज में शामिल करना एक अत्यंत उचित समाधान प्रतीत होता है।
लेह-लद्दाख हिंसा पर सरकार ने भी बड़ा एक्शन लिया है। गृह मंत्रालय ने सोनम वांगचुक के एनजीओ का एफसीआरए रद्द कर दिया गया है इसका मतलब ये हुआ कि सोनम वांगचुक का एनजीओ अब विदेश से कोई अंशदान नहीं ले सकता है। जांच में वित्तीय गड़बड़ी के सबूत मिले थे और इसी को लेकर फॉरेन कंट्रीब्यूशन पर रोक लगा दी गई है। गृह मंत्रालय ने लद्दाख में हुई हिंसा के लिए एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक को जिम्मेदार ठहराया है। गृह मंत्रालय ने कहा है कि सोनम वांगचुक ने भीड़ को अपने भड़काऊ बयानों से उकसाया। कई नेताओं द्वारा भूख हड़ताल खत्म करने की अपील करने के बावजूद, सोनम वांगचुक ने अनशन जारी रखा।
(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)