क्या केजरीवाल की राह पर चलेंगे उमर!

जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला परेशान तो हैं लेकिन वह केजरीवाल की राह पर चलकर केन्द्र सरकार से उलझना भी नहीं चाहते हैं। हालांकि जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला का उनकी ही पार्टी में विरोध होना शुरू हो गया है। नेशनल कॉन्फ्रेंस से लोकसभा सांसद आगा रूहुल्लाह ने 26 को उमर पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत केंद्र सरकार के प्रति नरम रुख अपनाने और केंद्र-शासित प्रदेश का राज्य का दर्जा बहाल कराने का लक्ष्य भूल जाने का आरोप लगाया। श्रीनगर सांसद ने दावा किया कि विधानसभा चुनाव के पहले लड़ाई लोगों के अधिकारों और राज्य का दर्जा बहाल कराने के लिए थी, लेकिन अब उस लड़ाई को भुला दिया गया है।जम्मू-कश्मीर से राज्यसभा के लिए हुए चुनावों में एक सीट पर भाजपा की जीत ने उमर अब्दुल्ला के खिलाफ उनकी ही पार्टी में बगावत तेज कर दी है। पार्टी के दो सांसदों ने उमर पर भाजपा के प्रति नरम रुख अपनाने का आरोप लगाया था। अब इसका जवाब देते हुए उमर ने कहा कि उनकी पार्टी नेशनल कॉन्फ्रेंस प्रदेश में भाजपा का सक्रिय रूप से मुकाबला कर रही है। इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने भाजपा के साथ किसी भी प्रकार के गोपनीय अथवा प्रत्यक्ष संबंध बनाने के लिए अपने प्रतिद्वंद्वियों की तीखी आलोचना भी की। केंद्र शासित प्रदेश के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने स्पष्ट किया कि उनका प्रशासन केंद्र की मोदी सरकार के साथ सौहार्दपूर्ण संबंध चाहता है ताकि प्रदेश का शासन प्रभावित न हो, लेकिन उनकी पार्टी का राजनीतिक रूख पूरी तरह से अटल है।
विधानसभा चुनाव में जीत के बाद उमर अब्दुल्ला के आलोचक उनके ऊपर भाजपा के साथ नरम रुख अपनाने का आरोप लगा रहे हैं। हाल ही में चार राज्यसभा सीटों के लिए हुए चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने एक सीट पर जीत हासिल की। भाजपा की इस जीत में क्रॉस वोटिंग का जिक्र भी आया। उमर के विरोधियों ने उन पर आरोप लगाया कि उन्होंने भाजपा के साथ सांठगांठ की है। उमर की अपनी पार्टी के सांसदों ने भी उनके खिलाफ मोर्चा खोलते हुए उनकी आलोचना करनी शुरू कर दी।
रुहुल्लाह ने अप्रत्यक्ष रूप से मुख्यमंत्री उमर पर निशाना साधते हुए कहा कि अगर मकसद दिल्ली में सत्ता प्रतिष्ठान के साथ संबंध सामान्य करने का ही था, तो उन्हें चुनाव के दौरान साफ-साफ लोगों से यह कह देना चाहिए था। उन्होंने कहा, मैं यह नहीं कहूंगा कि सामान्य शासन में एक साल में सब कुछ हो सकता है, लेकिन जो हो सकता था, वह नहीं हुआ। अब पार्टी के लिए आत्मचिंतन का समय है।
श्रीनगर सांसद ने कहा, मुझे हैरत हुई, जब (उमर अब्दुल्ला की ओर से) यह कहा गया कि वह दबाव में नहीं आएंगे। यह मेरे लिए चैंकाने वाला था। 2019 के बाद, उन्हें (लोगों को) अपनी आवाज उठाने की अनुमति नहीं थी, लेकिन उन्हें उम्मीद थी कि वोट के माध्यम से वे एक ऐसी सरकार चुनेंगे, जो उनकी बात सुनेगी… लेकिन वही शासक कहता है कि वह लोगों के दबाव में नहीं आएगा।”
श्रीनगर सांसद के अलावा अनंतनाग राजौरी से सांसद मियां अल्ताफ अहमद लारवी ने भी उमर के खिलाफ तल्ख रवैया अपनाया। उन्होंने कहा कि नई सरकार बनने के बाद प्रदेश में किसी भी तरह का राजनीतिक या प्रशासनिक विकास नहीं हुआ है। लारवी ने खुले तौर पर उमर अब्दुल्ला पर हमला बोलते हुए कहा, मुख्यमंत्री को बयानबाजी की जगह पर आत्मचिंतन पर ध्यान देना चाहिए। अगर मैं कहूं कि उमर साहब बिल्कुल सही रास्ते पर हैं, तो यह उन्हें धोखा देने जैसा होगा। उन्हें सोच समझकर बोलना चाहिए।
रूहुल्लाह ने उमर पर छात्रों की मांग को अहंकारपूर्ण तरीके से लेने का आरोप लगाया। उन्होंने मुख्यमंत्री से भाजपा के साथ भी ऐसा ही रुख अपनाने को कहा। गौरतलब है कि श्रीनगर और अनंतनाग राजौरी के सांसदों का यह रुख आरक्षण के खिलाफ उमर अब्दुल्ला के उस बयान के बाद आया, जिसमें उन्होंने कहा था कि वह लोगों के दबाव में नहीं झुकेंगे। पिछले कुछ समय से लगातार इन सांसदों की तरफ से उमर सरकार की आलोचना की जाती रही है।
दरअसल, लद्दाख में प्रदर्शन और कश्मीर से राज्यसभा के लिए हुए चुनावों में एक सीट पर भाजपा की जीत ने उमर अब्दुल्ला के खिलाफ उनकी ही पार्टी में बगावत तेज कर दी है। पार्टी के दो सांसदों ने उमर पर भाजपा के प्रति नरम रुख अपनाने का आरोप लगाया था। अब इसका जवाब देते हुए उमर ने कहा कि उनकी पार्टी नेशनल कॉन्फ्रेंस प्रदेश में भाजपा का सक्रिय रूप से मुकाबला कर रही है। इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने भाजपा के साथ किसी भी प्रकार के गोपनीय अथवा प्रत्यक्ष संबंध बनाने के लिए अपने प्रतिद्वंद्वियों की तीखी आलोचना भी की।
उमर ने भारतीय जनता पार्टी और नेशनल कॉन्फ्रेंस के बीच किसी भी गठबंधन की अटकलों को सिरे से खारिज करते हुए जम्मू-कश्मीर में प्रभावी शासन के लिए केंद्र के साथ सौहार्दपूर्ण संबंधों की वकालत की। इसके साथ ही उन्होंने राज्य सरकार और केंद्र सरकार के बीच संबंध और नेशनल कॉन्फ्रेंस और भाजपा के बीच के अंतर को भी स्पष्ट करने का प्रयास किया। उमर ने आगामी नगरोटा विधानसभा सीट के लिए होने वाले विधानसभा उपचुनाव का जिक्र करते हुए कहा कि वहां पर केवल नेशनल कॉन्फ्रेंस ने ही भाजपा के खिलाफ अपना उम्मीदवार उतारा है। उन्होंने सवाल पूछा कि आखिर पीडीपी ने वहां पर उम्मीदवार घोषित क्यों नहीं किया।
उमर अब्दुल्ला ने स्पष्ट किया कि उनका प्रशासन केंद्र की मोदी सरकार के साथ सौहार्दपूर्ण संबंध चाहता है ताकि प्रदेश का शासन प्रभावित न हो, लेकिन उनकी पार्टी का राजनीतिक रूख पूरी तरह से अटल है।
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘सरकारों के बीच के रिश्तों तथा नेशनल कॉन्फ्रेंस और भाजपा के बीच रिश्तों में बहुत फर्क होता है। नेशनल कॉन्फ्रेंस और भाजपा के बीच कोई रिश्ता नहीं है और भविष्य में भी नहीं बनेगा।’’ इसके साथ ही उन्होंने इन अटकलों को भी खारिज कर दिया कि जम्मू-कश्मीर में राज्यसभा की चार सीटों के चुनाव के लिए नेकां और भाजपा के बीच कोई सहमति है। बहरहाल, पार्टी के नेताओं के विरोध के बावजूद उमर अब्दुल्ला केन्द्र से टकराकर दिल्ली की केजरीवाल सरकार जैसा माहौल नहीं बनाना चाहते हैं।
(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)



