नाकाम करना होगा दहशत का आतंकी ब्लूप्रिंट

भारत में दहशतगर्द लगातार पंख फैलाने की फिराक में है। दिल्ली का कार ब्लास्ट आतंकी हमला घोषित हो चुका है। इसके पीछे पाकिस्तानी आतंकी संगठन की संलिप्तता भी उजागर हो गई है। ऐसे में केंद्र सरकार के उस बयान की खूब चर्चा हो रही, जिसमें कहा गया था कि भारत के खिलाफ कोई भी आतंकी हमला एक्ट ऑफ वॉर माना जाएगा। भारत फिर पाकिस्तान के खिलाफ कार्रवाई करेगा। लोगों में यह भी चर्चा है कि भारत पाकिस्तान के खिलाफ ऑपरेशन सिंदूर फिर शुरू करेगा तो पाकिस्तान के साथ कौन देश खड़े होंगे।
आपको पता रहे मई में ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान का साथ चीन और तुर्की ने दिया था। चीन लंबे समय से भारत विरोधी हरकतें कर रहा, वहीं, भारत द्वारा हमेशा मदद किए जाने के बावजूद तुर्की विरोध में खड़ा हो रहा।करीब दो साल से लगातार अलग-अलग तरह के धमकी भरे हजार से अधिक ईमेल मिल चुके हैं, जिन्हें जांच एजेंसियां हर बार तकनीकी जांच के बाद फर्जी घोषित कर देती हैं। स्कूल, कॉलेज, सचिवालय, अदालत ऐसी कोई जगह नहीं बची है, जिसे बम से उड़ाने की धमकी न मिली हो। अधिकांश मामलों में ये ईमेल वीपीएन व डार्क वेब के जरिए भेजे जाते हैं, जिसमंे लोकेशन विदेश की दिखती है, लेकिन वास्तविक स्रोत तक पहुंच पाना पुलिस के लिए चुनौती बन जाता है।
आतंकी संगठनों की हरकतें बता रहीं हैं कि दिल्ली धमाका तो सिर्फ ट्रेलर था। पाकिस्तान का आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद भारत के खिलाफ फिदायीन अटैक को लेकर ब्लू प्रिंट तैयार कर चुका है। हर बार जांच में कुछ ठोस नहीं मिल पाता, लेकिन अब जब देशभर में आतंकी नेटवर्क की गतिविधियां सामने आ रही हैं और कई हमलों की साजिशें उजागर हुई हैं, तो इन पुराने मामलों का संदर्भ बेहद अहम हो गया है। जिस तरह बार-बार ये धमकी ईमेल अलग-अलग स्थानों को टारगेट करते हुए भेजे जा रहे थे, यह संभव है कि वे सिर्फ फर्जी नहीं थे, बल्कि किसी बड़ी आतंकी साजिश का संकेत दे रहे थे।
आतंकी हमले के बाद 18 नवम्बर सुबह चार प्रमुख जिला अदालतों साकेत, द्वारका, पटियाला हाउस और रोहिणी कोर्ट के साथ-साथ दो सीआरपीएफ स्कूलों को जैश-ए-मोहम्मद के नाम से बम से उड़ाने की धमकी भरा ईमेल मिला। आनन-फानन में इमारतें खाली कराई गईं और सूचना पर पहुंचा बम डिस्पोजल स्क्वाड (बीडीएस), स्निफर डॉग और फारेंसिक टीमों ने सर्च अभियान शुरू किया।
काफी तलाश के बाद जब कुछ संदिग्ध नहीं मिला तो इसे हक्स मेल करार दिया गया। वहीं, पटियाला हाउस कोर्ट में धमकी भरा मेल ऐसे वक्त आया, जब थोड़ी देर बाद बम धमाके के आरोपित व साजिशकर्ता जासिर बिलाल वानी उर्फ दानिश की पेशी होने वाली थी। एनआइए की टीम आरोपित को पेश करने जा रही थी, उससे पहले कोर्ट के बाहर आरएएफ तैनात कर दी गई थी।
लाल किला ब्लास्ट की जांच में एजेंसियों को पता चला है कि फिदायीन के अटैक का ब्लू प्रिंट पाकिस्तान में इसी साल तैयार हुआ था। जैश की मंशा है कि बेशक यह पहला सुसाइड बॉम्बर है, लेकिन आखिरी नहीं। जांच एजेंसी से जुड़े सूत्रों की मानें तो जैश ए मोहम्मद ने टेरर फंडिंग और जिहाद के लिए डिजिटल कोर्स लॉन्च किया है। सूत्रों ने बताया कि भारत के खिलाफ फिदायीन दस्ता तैयार करने को जैश-ए-मोहम्मद बड़े पैमाने पर हवाला के जरिए फंड जुटा रहा है।
एजेंसियों को इस संबंध में बेहद चैंकाने वाली जानकारी हाथ लगी है। लाल किला ब्लास्ट से 15 दिन पहले अक्टूबर के आखिरी सप्ताह में प्रतिबंधित आतंकी संगठन जैश ए मोहम्मद ने तुहफत उल मोमिनात नाम से एक ऑनलाइन कोर्स शुरू किया था। यह कोर्स खास तौर से महिलाओं के लिए डिजाइन किया गया। जांच एजेंसी से जुड़े सूत्रों ने बताया कि इस ऑनलाइन कोर्स का मकसद मजहबी और जिहादी ट्रेनिंग देने के साथ-साथ संगठन की गतिविधियों के लिए पैसे जुटाना है।
जैश ए मोहम्मद के टॉप कमांडरों की महिला रिश्तेदारों पर इस ऑनलाइन कोर्स का जिम्मा है जिनमें मसूद अजहर की बहनें सादिया अजहर, समीरा अजहर और शिया अजहर हंै। इस कोर्स का प्रचार पहले से ही जैश के इंटरनल टेलीग्राम और वाट्सऐप ग्रुप के साथ-साथ दूसरे कट्टरपंथी प्लेटफॉर्म पर गुपचुप किया जा चुका है। सूत्रों का कहना है कि इस कोर्स में एडमिशन के लिए महिलाओं से 700 पाकिस्तानी करेंसी ली जा रही है। जांच एजेंसी से जुड़े सूत्रों ने बताया कि तुहफत-उल-मोमिन वाट्सऐप, फेसबुक, यूट्यूब और टेलीग्राम जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म मदरसों के रूप में काम कर रहे हैं।लाल किला के पास हुए फिदायीन हमले की जांच में एजेंसियों ने 18 नवम्बर को एक संदिग्ध बांग्लादेशी एबीटी सदस्य इख्तियार को पकड़ा है। सूत्रों ने बताया कि जांच का फोकस भारत-बांग्लादेश के सीमावर्ती जिलों मालदा, मुर्शिदाबाद पर है। इसके बारे में इनपुट मिला था कि लश्कर ए तैयबा के साथ विडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कुछ कट्टरपंथी ग्रुप संपर्क में हैं। पकड़े गए कथित बांग्लादेशी एबीटी मेंबर से पूछताछ चल रही है। जांच ऐजेंसी लाल किले के पास हुए आतंकी हमले में बांग्लादेश कनेक्शन की पुष्टि करने में जुटी हैं। पकड़े गए संदिग्ध का प्रतिबंधित संगठन अंसारुल्लाह बांग्ला टीम (एबीटी) से जुड़े होने का शक है। जांच ऐजेंसी से जुड़े सूत्र का कहना है कि संदिग्ध इख्तियार एक बड़े नेटवर्क का हिस्सा हो सकता है जिसने विस्फोट की योजना बनाने और उसे अंजाम देने में मदद की है। एजेंसियों का मानना है कि इस संदिग्ध का साजिश में बॉर्डर पार से लिंक है। पांच दिन पहले जांच एजेंसियों को पता चला था कि बांग्लादेश के कट्टरपंथी संगठनों और लश्कर ए तैयबा के बीच ऑनलाइन विडियो कॉन्फ्रेंसिंग मीटिंग हुई थी। इसमें एलईटी का टॉप कमांडर सैफुल्लाह सैफ और बांग्लादेशी सरकारी अधिकारी शामिल हुए थे।
आपको बता दें कि पहलगाम आतंकी हमले के बाद तुर्की ने किस तरह से भारत से दुश्मनी निभाई, यह दुनिया देख चुकी है। अब दिल्ली में लाल किले के पास हुए धमाकों का भी कनेक्शन भारत के लिए दूसरे पाकिस्तान के तौर पर उभरते इसी मुल्क से जुड़ रहा है। दरअसल, इस वारदात के मुख्य संदिग्ध डॉ मोहम्मद उमर उर्फ उमर उन नबी और फरीदाबाद मॉड्यूल से जुड़े एक और संदिग्ध डॉ मुजम्मिल शकील के पासपोर्ट से उनके तुर्की की यात्रा का संकेत मिल रहे हैं और यह भी पता चल रहा है कि उन्हें वहीं से भारत में आतंकी साजिशों को अंजाम देने का फरमान मिल रहा था।जाहिर है भारत को मजहब के आधार पर मिल रही विदेशी साजिश को भी नेस्तनाबूद करना होगा।
(मनोज कुमार अग्रवाल-हिफी फीचर)



